दिल्ली की यमुना में झाग, प्रतीकात्मक छवि : आईस्टॉक  
नदी

यमुना में प्रदूषण : कई एसटीपी नहीं कर रहे काम, कई टेंडर में फंसे

डीजेबी के द्वारा एक अदालती हलफनामे में बताए गए 40 में सिर्फ 32 एसटीपी ही काम कर रहे

Vivek Mishra

दिल्ली में 54 किलोमीटर लंबी यमुना नदी में नालों के जरिए सीवेज, घरेलू अपशिष्ट और औद्योगिक प्रवाह का पहुंचना जारी है। नदी धारा में प्रदूषण की रोकथाम के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल करीब 28 आदेश दे चुका है। इनमें यमुना के पुनरुद्धार योजना को लेकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डिसेंट्रलाइज सीवेज ट्रीटमेंट लगाने का भी आदेश दिया गया था। हालांकि, दिल्ली प्राधिकरणों की ओर से अदालतों में दिए जा रहे हलफनामे और बयानों में तालमेल नहीं मिल रहा। एसटीपी न सिर्फ संख्या में कम काम कर रहे बल्कि अपनी क्षमता से भी कम काम कर रहे हैं।

एनजीटी के चेयरमैन व जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने 6 अगस्त, 2024 को निजामुद्दीन वेस्ट एसोसिएशन एप्लीकेंट बनाम भारत सरकार व अन्य मामले की सुनवाई की। इस सुनवाई के दौरान दिल्ली प्राधिकरण की ओर से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर दिए गए हलफनामे में कई त्रुटियां उजागर हुईं। 

दिल्ली जल बोर्ड की ओर से दिल्ली में एसटीपी/डीएसटीपी की स्थिति रिपोर्ट को लेकर 1 अगस्त, 2024 को दाखिल की गई थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली में कुल 40 एसटीपी काम कर रहे हैं। जबकि करीब 8 एसटीपी इनमें काम नहीं कर रहे हैं। 

याचीकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता ने हलफनामे में दी गई स्थिति रिपोर्ट को लेकर यह स्पष्ट किया कि  जिन 40 एसटीपी का जिक्र किया गया है उनमें कोंडली, कोंडली फेज - 2, कोंडली फेज 3, रिठाला फेज 1, कोंडली एसटीपी फेज 4 जैसे करीब 6 एसटीपी अंडर ट्रायल रन में हैं  जबकि ओखला एसटीपी फेज 4, मेहरौली एसटीपी, वसंत कुंज ओल्ड 5, वसंत कुंज न्यू, घिटोरनी एसटीपी जैसे 5 एसटीपी का टेंडर तक नहीं निकाला गया है। 

वहीं, एक दूसरे हलफनामे में बताया गया  कि करीब 59 झुग्गी-झोपड़ी कल्स्टर से निकलने वाले नालों में महज एक नाले की ही अब तक ट्रैपिंग की गई है। 

वहीं, इस मामले में  दिल्ली जल बोर्ड ने कहा है कि वह एसटीपी और डीएसटीपी की अपडेटेड रिपोर्ट हलफनामे के साथ अदालत में पेश करेंगे। 

दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में 744 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) सीवेज पैदा होता है, जो कि दिल्ली को आपूर्ति होने वाले 930 एमजीडी का 80 फीसदी है। 

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की ओर से जल शक्ति मंत्रालय को 12 अप्रैल, 2024 को सौंपी गई एक मासिक स्थिति रिपोर्ट में बताया गया था कि 2024 में दिल्ली की अनुमानित आबादी 2.15 करोड़ है। वहीं, दिल्ली के 20 लोकेशन पर करीब 37 एसटीपी काम कर रहे हैं जो कि 667 एमजीडी यानी प्रतिदिन कुल पैदा होने वाले सीवेज का 84.2 फीसदी ही उपचार कर सकते हैं। इसके अलावा अपनी क्षमता का 566.9 एमजीडी यानी 84.9 फीसदी ही यूटिलाइज कर सकते हैं।   

वहीं, अदालत में दिए गए हलफनामे से पता चलता है कि अभी 37 से भी कम एसटीपी काम कर रहे हैं।  यमुना में प्रदूषण की रोकथाम के लिए माह-दर-माह बीत रहा है जबकि नालों के जरिए बहकर जाने वाले सीवेज और औद्योगिक प्रवाह की रोकथाम के लिए एसटीपी या डीएसटीपी काम नहीं कर रहे हैं। 

एनजीटी में चल रहे मामले में यह बात भी सामने आई कि दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से कुछ एसटीपी के लिए आवंटित की गईं जमीने भी निरस्त कर दी गई हैं।  बहरहाल यमुना से जुड़ने वाले शहरी नालों की सफाई और डी-सिल्टिंग जैसे निर्णय को लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव ने सिफारिशें की हैं। एनजीटी ने इन्हें समयबद्ध तरीके से पूरा करने का आदेश दिया है। इसके तहत बारापुला ड्रेन का बैथिमेट्रिक सर्वे कराया जाएगा। बारापुला से जुड़ी ड्रेन जैसे सुनेहरीपुल और कुशक ड्रेन का भी सरवे होगा। यह काम एक महीने के भीतर कराने का निर्णय लिया गया है। वहीं, तीन महीनों में 100 फीसदी डी-सिल्टिंग का काम कराने का निर्णय लिया गया है। साथ ही यमुना किनारे और उससे जुड़े नालों के किनारों पर होने वाले अतिक्रमण को भी 15 दिनों में खत्म करने का निर्णय लिया गया है। कंस्ट्रक्शन एंड डीमोलिशन वेस्ट के अवैध डंपिंग पर भी कठोर कदम उठाने का निर्णय लेने को कहा गया है। इसके अलावा कैमरा इंस्टॉल करके  बारापुला ड्रेन पर सड़क किनारे बाड़ेबंदी करने की भी सिफारिश की गई है। अगली सुनवाई में दिल्ली के एसटीपी और डीएसटीपी को लेकर स्थिति रिपोर्ट डीजेबी की ओर से दाखिल की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।