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गंगा की सहायक दामोदर नदी में प्रदूषण जारी, एनजीटी ने लगाया झारखंड पर जुर्माना

पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लगातार अवसर दिए जाने के बावजूद जिलाधिकारियों द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया, न ही मुख्य सचिव द्वारा ट्रिब्यूनल से कोई संवाद स्थापित किया गया

Vivek Mishra

गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण के मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के द्वारा राज्य और जिलावार स्तर पर सुना जा रहा है। हालांकि, संबंधित राज्यों के अधिकारी और जिलाधिकारी ट्रिब्यूनल के आदेशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। 

एनजीटी ने आदेशों का पालन न करने के लिए 20 फरवरी, 2024 को एक हफ्ते में झारखंड सरकार पर 25 हजार रुपए की टोकन लागत का आदेश दिया है। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव पीठ ने कहा कि टोकन कॉस्ट उन संबंधित जिलाधिकारियों से वसूली जाए जिन्होंने ट्रिब्यूनल में रिपोर्ट नहीं दाखिल की है। 

पीठ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लगातार अवसर दिए जाने के बावजूद जिलाधिकारियों द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया, न ही मुख्य सचिव द्वारा ट्रिब्यूनल से कोई संवाद स्थापित किया गया। 

एनजीटी ने 24 नवंबर, 2023 और 5 दिसंबर, 2023 को गंगा राज्यों में झारखंड के विभिन्न जिलाधिकारियों से गंगा और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण मामले पर स्थिति रिपोर्ट तलब की थी। हालांकि, तबसे अब तक यह रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल नहीं की गई। 

एनजीटी ने 20 फरवरी, 2024 को याची एमसी मेहता के बिंदुओं पर गौर किया कि गंगा की मुख्य धारा जो  साहिबगंज जिले से बहती है जबकि गंगा की अन्य सहायक नदियां राज्य के अन्य 14 जिलों से बहती हैं। इनमें गंगा की सहायक नदी दामोदर में गंभीर और लगातार प्रदूषण जारी है। 

हालांकि, दामोदर नदी हुगली नदी की भी सहायक नदी है। वहीं, गंगा की मुख्य धारा हुगली से अलग होकर बांग्लादेश में पदमा नदी के नाम से बहती है। झारखंड में गंगा की अन्य सहायक नदी साहिबगंज के अलाव बोकारो, धनबाद और रामगढ जिले से होकर बहती है। 

एनजीटी का यह कदम याची की मांग पर आया है। याची ने ट्रि्ब्यूनल से मांग की थी कि वह प्रिंसिपल ऑफ पॉल्यूटर पेज के तहत संबंधित जिलाधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश जारी करें। 

अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल, 2024 को होगी।