महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने 29 अक्टूबर, 2024 को अपना जवाबी हलफनामा अदालत में दाखिल किया है। इस हलफनामे के मुताबिक पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) क्षेत्र में नालों के जरिए दूषित सीवेज और पानी पावना में छोड़ा जा रहा है।
मामला शहरीकरण, सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और औद्योगिक विकास के चलते पावना नदी में हो रहे प्रदूषण से जुड़ा है। यह नदी महाराष्ट्र के पुणे में है। हलफनामे के मुताबिक रावेट से दापोडी गांव तक नदी प्रदूषण से त्रस्त है।
यह सभी इलाके पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। यह नदी पीसीएमसी में रावेट, चिंचवाड़, थेरगांव, पिंपरी, कासरवाड़ी, सांगवी और दापोडी से होकर बहती है।
हलफनामे के मुताबिक महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय जल निगरानी कार्यक्रम (एनडब्ल्यूएमपी) के तहत हर महीने पवना नदी की जल गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है। वे तालेगांव, रावेट, चिंचवाड़, पिंपरी, कासरवाड़ी, सांगवी और दापोडी सहित विभिन्न स्थानों पर पानी की जांच करते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 2022 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सांगवीगांव से दापोडी तक पावना नदी खंड को प्रदूषण के लिए प्राथमिकता II श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।
साझा की गई जानकारी के मुताबिक पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) ने पावना नदी जलग्रहण क्षेत्र में 26 करोड़ लीटर प्रतिदिन की कुल क्षमता वाले नौ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किए हैं। यह प्लांट हर दिन 218.18 मिलियन लीटर सीवेज का उपचार कर रहे हैं।
वहीं कुल 23 एमएलडी क्षमता वाले तीन अतिरिक्त एसटीपी मौजूदा समय में निर्माणाधीन हैं। पीसीएमसी ने 2041 तक बढ़ती आबादी की जरूरतों को देखते हुए 60 एमएलडी की कुल क्षमता वाले तीन और एसटीपी स्थापित करने की भी योजना बनाई है।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले पानी की गुणवत्ता की नियमित रूप से निगरानी करता है। विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, साफ किए जाने के बाद भी पानी में बीओडी, सीओडी, निलंबित ठोस और डिटर्जेंट का स्तर स्वीकृत सीमा से अधिक है, जिसका अर्थ है कि पावना में छोड़ा जा रहा पानी आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करता है।
गौरतलब है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम को पावना नदी में प्रदूषण के स्रोतों से संबंधित सभी पहलुओं को संबोधित करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। पांच अप्रैल 2024 को दिए इस निर्देश के मुताबिक रिपोर्ट में इस मुद्दे के समाधान के लिए पीसीएमसी द्वारा उठाए कदमों और प्रस्तावित कार्रवाई की भी जानकारी होनी चाहिए।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने अपनी एक रिपोर्ट में सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के बारे में जानकारी साझा की थी, जिससे पता चलता है कि उनमें से अधिकांश संयंत्र ठीक से काम नहीं कर रहे और वो आवश्यक मापदंडों को पूरा करने में विफल रहे हैं।