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नर्मदा आंदोलन: 9 सितंबर की बैठक पर टिकी हैं उम्मीदें

नौ दिन तक अनशन के बाद मध्य प्रदेश सरकार केे आश्वासन के बाद मेधा पाटकर और उनके साथियों की उम्मीद है कि नौ सितंबर की बैठक से कोई ठोस हल निकलेगा

Anil Ashwani Sharma

मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथ संवाद कर सभी सरदार सरोवर प्रभावितों के पुनर्वास का आश्‍वासन दिया है।आगामी नौ सितंबर को प्रभावितों और राज्य सरकार के साथ बातचीत होगी। इस बातचीत का मुख्य विषय यही है कि 192 गांवों और 1 नगर के 15,946 परिवारों को बिना किसी आधार के गैरकानूनी तरीके से बैकवाटर स्‍तर से बाहर कर पुनर्वास लाभों से वंचित कर दिया गया है। डूब से बाहर किए कई गांवों के इन हिस्‍सों के पास अभी पानी पहुंच गया है। जहां, अभी पानी नहीं पहुंचा है उन हिस्‍सों की भी बिजली काट दी गई है, जिससे गांवों में पेयजल की समस्‍या खड़ी हो गई है। यही नहीं, प्रभावित गांवों से नागरिक सुविधाएं जैसे, स्‍कूल, आंगनबाड़ी, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र, सार्वजनिक परिवहन आदि पिछले 2 वर्षों से हटा दी गई हैं। इससे प्रभावित गांवों में जीवन यापन कठिन हो गया है। बातचीत में राजय सरकार इस को अपनी यह गलती तुरंत सुधार कर बैकवाटर से बाहर किए गए प्रभावितों के साथ न्‍याय करना होगा।

बातचीत का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होगा, प्रदेश सरकार बांध प्रभावितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए उनके पुनर्वास अधिकारों का संरक्षण करे और गैरकानूनी डूब को तुरंत रोकने के लिए गुजरात सरकार बातचीत करे। इस सबंध में आंदोलन की नेता मेधा पाटकर भी मध्य प्रदेश सरकार को आड़े आतों लेते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सरकार इस मुद्दे पर अपनी बात ठीक से उठाने में अब तक असफल रही है। उसे इसकी गंभीरता से गुजरात सरकार के सामने उठाना होगा। यही नहीं, जब तक सारे प्रभावितों का नीति अनुसार पुनर्वास नहीं हो जाता तब तक इस डूब को रोका जाना चाहिए। एक समयबद्ध कार्ययोजना बनाकर अगले 1 वर्ष में हर परिवारों का पुनर्वास सुनिश्चित करना चाहिए।

हालांकि सरकार ने प्रभावितों की पात्रता निर्धारण करने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के साथ मिलकर एक सहभागी प्रक्रिया प्रारंभ करने का अश्‍वासन दिया है। इस प्रक्रिया में एनबीए के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। एनबीए का यह जरूर कहना है कि मुख्‍यमंत्री की ओर से भिजवाए गए वार्ताकार शरदचंद बेहर (पूर्व मुख्‍य सचिव), सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्‍द्र कोठारी और पत्रकार राकेश दीवान को आगामी नौ सितंबर को होने वालेसंवाद की प्रक्रिया में शामिल रखा जाए।

इसके अलावा नौ सितंबर कोने वाली बातचीत में आंदोलन द्वारा पुनर्वास से संबंधित 33 मुद्दों पर विस्‍तृत ज्ञापन विभाग के मंत्री को 25 जनवरी, 2019 को  सौंपे गए थे। विभाग द्वारा इसके जवाब अनशन के 7वें दिन 31 अगस्‍त, 2019 की रात को उपलब्‍ध करवाए गए। लेकिन सरकार के ये जवाब अतार्किक, असंबद्ध, हास्‍यास्‍पद और पीड़ित प्रभावितों की हंसी उड़ाने वाले होकर विधिसम्‍मत नहीं हैं। आंदोलन ने इन जवाबों को सिरे से खारिज करते हुए इसे तैयार करने वाले अधिकारियों से सरकार को सतर्क रहने का आग्रह किया।

यही नहीं, कमिश्‍नर ने प्रभावित गांवों की संख्‍या 178 बताई है लेकिन नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) को मुख्‍य सचिव द्वारा लिए गए पत्र में प्रभावित गांवों की संख्‍या केवल 66 और प्रभावित परिवारों की संख्‍या 6000 बताई है। सरकार को बातचीत के समय इसमें सुधार करते हुए एनसीए समेत सभी फोरम पर सही आंकड़ों प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए। सरकार के साथ प्रारंभ हुए इस संवाद की कड़ी में 9 सितंबर को भोपाल में विस्‍तार से चर्चा की जाएगी। चर्चा के दौरान सैकड़ों प्रभावित भी भोपाल में उपस्थित रहेंगें। 

एनबीए ने सरकार को चेताया है कि यदि सरकार अपने वायदे से पलटने का प्रयास करती है तो वहीं पर अनिश्चितकालीन कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया जाएगा।