फोटो : विकास चौधरी / सीएसई 
नदी

महाकुंभ नजदीक लेकिन प्रयागराज की गंगा-यमुना में बह रहा सीवेज

Vivek Mishra

इस बार कुंभ का मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जनवरी, 2025 में होगा, लेकिन हैरानी भरा यह है कि गंगा और यमुना में सीवेज बह रहा है। फिलहाल गंगा का पानी श्रद्धालुओं के आचमन और नहाने लायक नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा कि कुंभ मेला में आने वाले श्रद्धालु न सिर्फ गंगा-यमुना में डुबकी लगाते हैं बल्कि वह जल का इस्तेमाल पीने के लिए भी करते हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को सीवेज की रोकथाम को लेकर समयबद्ध तरीके से तेज प्रयास करने चाहिए।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में कुल 81 नालों के जरिए  289.97 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज निकलता है जिसमें से महज 178.31 एमएलडी सीवेज ही मौजूदा 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में सीवेज नेटवर्क के जरिए पहुंचता है, जिसका  सीधा अर्थ है कि 128.28 एमएलडी सीवेज का उपचार नहीं किया जा रहा है। 

एनजीटी चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जुलाई, 2024 को एक संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि यह रिपोर्ट दर्शाती है कि आगामी महाकुंभ को लेकर कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया जा रहा है। 81 में से 44 नाल ऐसे हैं जो अभी तक अनछुए (अनटैप) हैं और जिनके जरिए 73.80 एमएलडी गैर शोधित सीवेज सीधा गंगा में गिर रहा है।  

एनजीटी की पीठ याचिकर्ता कमलेश सिंह के मामले की सुनवाई कर रही है। 

इस मामले में उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता ने कहा कि नवंबर 2024 तक 44 में से 17 नालों को टैप किया जाएगा और उन्हें एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा, जिससे 11.61 एमएलडी सीवेज की रोकथाम हो जाएगी।  इसके अलावा 44 नालों के सीवेज उपचार में कमी को पूरा करने के लिए कुल 183 एमएलडी क्षमता वाले तीन एसटीपी बनाए जा रहे हैं। इन तीनों एसटीपी की क्षमता 90, 43 और 50 एमएलडी है। 

उत्तर प्रदेश सरकार की दलील से पीठ संतुष्ट नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि संयुक्त समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि 90 और 50 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी के लिए अभी तक निविदा प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है। वहीं, 43 एमएलडी वाले एसटीपी का काम ही 19 मार्च, 2024 से शुरू हुआ है। 

पीठ ने कहा कि संयुक्त समिति की रिपोर्ट से कई कमियां और संदेह उजागर हो रहा है, मसलन प्रयागराज में हर दिन नालों और सीवेज नेटवर्क के जरिए 468.28 एमएलडी सीवेज पैदा होता है। इसमें से 73.80 एमएलडी 44 अनछुए नालों के जरिए गंगा में गिर रहा है, बाकी 394 .48 एमएलडी सीवेज को 340 एमएलडी की क्षमता वाले 10 एसटीपी में भेजा रहा है , ऐसे में इस स्पष्टता की जरूरत है कि क्षमता से अधिक आने वाले सीवेज का मानकों के आधार पर उपचार कैसे किया जा रहा है?

पीठ ने कहा कि यह भी स्पष्ट करने की जरूरत है कि 1,66,456 घरों को अभी सीवेज नेटवर्क से जोड़ा जाना है, ऐसे में सीवेज को उपचार के लिए मौजूदा एसटीपी पर या फिर प्रस्तावित एसटीपी पर भेजा जाएगा?

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से सीवेज डिस्चार्ज की रोकथाम को लेकर उचित कदम उठाने के साथ प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है और मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त, 2024 के लिए तय की है। पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि गंगा-यमुना में सीवेज डिस्चार्ज न सिर्फ पूरी तरह से रुकना चाहिए बल्कि नदी के पानी की गुणवत्ता पीने योग्य बनाया जाना चाहिए। 

पीठ ने कहा कि नदी के पानी की गुणवत्ता को  स्नानघाट पर  श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के लिए डिस्पले में दिखाया और सूचित भी किया जाना चाहिए।