फोटो: आईस्टॉक 
नदी

गर्मी में गंगा को ग्लेशियर नहीं भूजल का सहारा, एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय से मांगा जवाब

आईआईटी-रुड़की के अध्ययन में पाया गया कि गर्मियों में गंगा का प्रवाह बनाए रखने में हिमनदों का योगदान बेहद कम है। इसका असली आधार भूजल है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 अगस्त, 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पूछा कि गर्मियों में गंगा के प्रवाह को बनाए रखने में भूजल की क्या भूमिका है। इसके साथ ही इस मुद्दे पर जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और केंद्रीय भूजल बोर्ड से भी जवाब तलब किया गया है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वो अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल करें। गौरतलब है कि इस मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर, 2025 को होगी।

इस मामले को अदालत ने 1 अगस्त, 2025 को इंडिया टुडे में प्रकाशित एक खबर के आधार पर स्वतः संज्ञान में लिया है।

वाष्पीकरण से खत्म होता 58 फीसदी पानी

इस रिपोर्ट में आईआईटी-रुड़की के अध्ययन का हवाला दिया गया है, जिसमें पाया गया कि गर्मियों में गंगा का प्रवाह बनाए रखने में हिमनदों (ग्लेशियर) का योगदान बहुत कम है। असली आधार भूजल है, खासकर हिमालय की तलहटी से लेकर पटना तक का प्रवाह भूजल पर निर्भर रहता है।

यह अध्ययन गंगा और उसकी सहायक नदियों के आइसोटोप विश्लेषण पर आधारित है। इसमें बताया गया कि पहाड़ी क्षेत्रों से आगे गंगा के प्रवाह में ग्लेशियर का योगदान बहुत कम है, जबकि मैदानों में भूजल का रिसाव इसकी जलधारा को करीब 120 प्रतिशत तक बढ़ा देता है।

अध्ययन में यह भी कहा गया कि गर्मियों में गंगा का करीब 58 फीसदी पानी वाष्पीकरण से खत्म हो जाता है।

ऐसे में विशेषज्ञों का सुझाव है कि नमामि गंगे और जल शक्ति अभियान जैसी योजनाओं का फोकस भूजल के पुनर्भरण, एक्वीफर प्रबंधन, आर्द्रभूमियों की बहाली और सहायक नदियों के पुनर्जीवन पर होना चाहिए, ताकि गंगा का प्रवाह लगातार बना रहे।

अतिक्रमण मुक्त होगा वीरंगल ओडाई, चेन्नई निगम तैयार कर रहा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट

जल संसाधन विभाग से वीरंगल ओडाई जलनिकाय पर हुए अतिक्रमण और उन्हें हटाने के लिए उठाए गए कदमों की पूरी जानकारी मांगी गई है। संबंधित विभागों से रिपोर्ट मिलने के बाद एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पेश की जाएगी। यह जानकारी ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन की ओर से स्टॉर्म वाटर ड्रेन विभाग के अधीक्षण अभियंता ने अपनी रिपोर्ट में दी है।

22 अगस्त, 2025 को ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के स्टॉर्म वाटर विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अक्टूबर 2024 में जल संसाधन विभाग ने वीरंगल ओडाई को निगम के सुपुर्द कर दिया था। निगम को वीरंगल ओडाई, विरुगम्बक्कम नहर और ओटेरी नाले के सुधार व रखरखाव का जिम्मा सौंपा गया है।

निगम ने जिम्मेदारी मिलने के बाद वीरंगल ओडाई की सफाई शुरू कर दी। इसमें से गाद और तैरते कचरे को हटाकर जल क्षमता बढ़ाई जा रही है। निकाली गई गाद को तीन डंपर ट्रकों के जरिए पेरुंगुडी डंपिंग ग्राउंड में डाला गया है।

जलनिकाय में पानी का प्रवाह सुचारू रहे और आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की समस्या न हो, इसके लिए निगम ने हाइड्रोलॉजिकल विशेषज्ञ बी शेखर को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का कार्य सौंपा है। विशेषज्ञ इस समय वीरंगल ओडाई का बाथीमेट्रिक सर्वे और हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन कर रहे हैं। अध्ययन पूरा होने पर सुधार कार्यों के लिए विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।