फोटो साभार: आईस्टॉक 
नदी

गंगा किनारों पर अवैध अतिक्रमण और प्लास्टिक कचरे की डंपिंग : सुप्रीम कोर्ट ने मांगा भारत सरकार से जवाब

पीठ ने कहा कि जिन क्षेत्रों को प्रदूषण की आशंका वाले उत्पादों से मुक्त रखा जाना है, वहां प्लास्टिक का व्यापक उपयोग हो रहा है

Vivek Mishra

सुप्रीम कोर्ट ने गंगा नदी के किनारे बिना रोक-टोक होने वाले अतिक्रमण और कूड़े-कचरे की डंपिंग पर गुस्सा जाहिर किया है। गंगा के किनारे न सिर्फ अतिक्रमण है बल्कि कूड़े-कचरे की डंपिंग भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार और बिहार सरकार को अपने आदेश में स्पष्ट करते हुए कहा है "सरकार यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में भी पटना शहर में खासतौर गंगा नदी किनारे किसी भी तरह का अवैध निर्माण या अतिक्रमण न हो।"

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की संयुक्त पीठ ने 2 अगस्त, 2024 को अशोक कुमार सिन्हा बनाम भारत सरकार के मामले की सुनवाई की। याचीकर्ता ने बीते वर्ष पटना में गंगा नदी किनारे अवैध और अनाधिकृत निर्माण व प्रदूषण के खिलाफ अपील की थी।

पीठ ने अपने आदेश में कहा "इस मामले में विचार-विमर्श के दौरान यह बात सामने आई कि जिन क्षेत्रों को प्रदूषण की आशंका वाले उत्पादों से मुक्त रखा जाना है, वहां प्लास्टिक का व्यापक उपयोग हो रहा है।"

पीठ ने आगे कहा " प्लास्टिक के डंपिंग से पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है और देश में नदी के किनारों और जल निकायों में जलीय जीवन पर भी इसका असर पड़ रहा है। जब तक जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा लोगों के सहयोग से ठोस प्रयास नहीं किए जाते। चाहे कितने भी अवैध और अनधिकृत निर्माणों को लक्षित करने के प्रयास हों, गंगा नदी या देश की अन्य सभी नदियों और जल निकायों में पानी की गुणवत्ता में वांछित सुधार भ्रामक ही रहेगा।"

सुप्रीम कोर्ट में याचीकर्ता अशोक कुमार सिन्हा की तरफ से मामले में पेश होने वाले अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने कहा कि गंगा किनारे हो रहा अतिक्रमण और प्रदूषण पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 के तहत यह रिवर गंगा (रीजव्युनेशन, प्रोटेक्शन एंड मैनेजमेंट) अथॉरिटीज ऑर्डर, 2016 का पूर्ण उल्लंघन है।

वशिष्ठ ने कहा " नौजेर घाट से नूरपूर घाट तक समृद्ध डॉल्फिन हैबिटेट है जो कि गंगा किनारे डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण के चलते खतरे में है।" उन्होंने आगे कहा "नेशनल मिशन क्लीन गंगा ने सभी गंगा राज्यों को डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का और सीमांकन करने का आदेश दिया था। इस पर अब तक क्या किया गया है, यह स्थिति पता चलनी चाहिए।"

इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1 दिसंबर, 2023 को अपने आदेश में यह रिकॉर्ड किया था कि "जब मामले की सुनवाई हुई तो बिहार राज्य के विद्वान वकील ने दलील दी कि राज्य ने पटना और उसके आसपास गंगा नदी के किनारे 213 अनधिकृत निर्माणों की पहचान की है और इन अतिक्रमणों/निर्माणों को हटाने के लिए कदम उठाए गए हैं।"

पीठ ने मामले को 05.02.2024 को सूचीबद्ध करते हुए अपने आदेश में कहा था कि "इस तिथि पर राज्य सरकार इस न्यायालय को हलफनामा दाखिल करके इन अनधिकृत संरचनाओं को हटाने में हुई प्रगति की रिपोर्ट देगा। ऐसा हलफनामा बिहार राज्य के मुख्य सचिव द्वारा दाखिल किया जाएगा। राज्य यह भी सुनिश्चित करेगा कि गंगा नदी के समीप खासतौर से पटना शहर में उसके आसपास कोई और निर्माण न हो।

बहरहाल अब पीठ ने इस मामले में कहा है कि "भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चार हफ्तों में अपना हलफनामा दाखिल करें। साथ ही इस जवाब में आदेश के तहत उठाए गए पर्यावरण संबंधी चिंताओं का भी ध्यान रखें। वहीं, पीठ ने चार हफ्तों में ही बिहार सरकार को भी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।"