महाकुंभ जैसा आयोजन है और प्रयागराज में गंगा-यमुना की गुणवत्ता को लेकर श्रद्दालु और आमजन को कोई भी सरकारी जानकारी नहीं दी जा रही है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की वेबसाइट पर भी कोई जानकारी अपलोड नहीं की जा रही है। न ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) इस संबंध में कोई जानकारी दे रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में इस संबंध में 16 जनवरी, 2024 को एक याचिका दाखिल की गई है।
डीटीई हिंदी ने यह मुद्दा 14 जनवरी, 2016 को अपनी खबर कुंभ हो या महाकुंभ, प्रदूषित ही रहा प्रयाग संगम का पानी शीर्षक से खबर में उठाया था।
बहरहाल 16 जनवरी को एनजीटी में पूर्व भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी और राजनीतिक कार्यकर्ता अमिताभ ठाकुर द्वारा याचिका दायर की गई है। याचिका के मुताबिक निर्देशों के तहत विभिन्न डेटा जैसे नमूना विश्लेषण रिपोर्ट, एसटीपी और जियो-ट्यूब के प्रदर्शन की रिपोर्ट, और आउटलेट्स से लिए गए नमूनों की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट को वेबसाइट पर अपलोड करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया कि एनजीटी ने कमलेश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मामले में दिसंबर, 2024 के अपने आदेश में कहा था कि महा कुंभ के दौरान गंगा और यमुना में बिना उपचारित सीवेज के प्रवाह के कारण श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो, साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए सीपीसीबी और यूपीपीसीबी अपनी निगरानी बिंदुओं और निगरानी की आवृत्ति को बढ़ाएंगे। इसके अलावा दोनो एजेंसी गंगा और यमुना से नियमित अंतराल पर सप्ताह में कम से कम दो बार पानी के नमूने लेंगे। नमूनों की पुनरावृत्ति से बचने के लिए इसे व्यवस्थित तरीके से किया जाएगा। इन नमूनों की विश्लेषण रिपोर्ट को यूपीपीसीबी और सीपीसीबी की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।
एनजीटी ने कहा था कि दोनों एजेंसी समय-समय पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और उन्नत ऑक्सिडेशन तालाबों के आउटलेट से भी नमूने एकत्र करेंगे। इन नमूनों की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट भी वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन निगरानी डेटा भी वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।
एनजीटी में दायर याचिका में आरोप है कि सीपीसीबी की वेबसाइट पर उक्त आदेश के बाद भी तीन सप्ताह बीत जाने के बावजूद इन निर्देशित तथ्यों, डेटा और रिपोर्ट्स को कहीं प्रदर्शित नहीं किया गया। न ही यूपीपीसीबी की साइट पर महाकुंभ में जलगुणवत्ता को लेकर कोई परिणाम प्रदर्शित किए गए हैं।
याचिका में कहा गया कि यह मुद्दा करोड़ों कुंभ यात्रियों के जीवन और सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए सीपीसीबी और यूपीपीसीबी को निर्देश दिया जाए कि वे नमूना विश्लेषण रिपोर्ट को अपनी संबंधित वेबसाइटों के मुख्य पृष्ठ पर लिंक के साथ प्रदर्शित करें।