नदी

अलविदा 2020: एक साल में सरकार ने गंगा के लिए क्या किया?

DTE Staff

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने 2020 में 22 परियोजनाओं को पूरा किया और कुल 557.83 करोड़ रुपए की लागत से जल निकासी अवसंरचना, घाट और श्मशान स्थल, प्रदूषण नियंत्रण, वानिकीकरण,  जैव विविधता इत्यादि से जुड़ी 17 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग की साल भर की उपलब्धियों का ब्यौरा देते हुए बताया है कि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 सितंबर, 2020 को पटना में 43 एमएलडी बेऊर सीवर ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी (78 करोड़ रुपए) और 37 एमएलडी करमलीचक एसटीपी (73 करोड़ रुपए) का उद्घाटन किया।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने मुजफ्फरपुर में नमामि गंगे के तहत रिवर फ्रंट डेवलपमेंट स्कीम का शिलान्यास भी किया। इस योजना के तहत मुजफ्फरपुर शहर के तीन घाटों, पूर्व अखाड़ा घाट, सिद्धि घाट और चंदवारा घाट को विकसित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने 29 सितंबर, 2020 को उत्तराखंड में हरिद्वार के जगजीतपुर में 68 एमएलडी एसटीपी, जगजीतपुर में ही 27 एमएलडी एसटीपी के उन्नयन और सराय में 18 एमएलडी एसटीपी; ऋषिकेश के लक्कड़घाट में 26 एमएलडी एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर में 7.5 एमएलडी एसटीपी और मुनि की रेती में चोरपानी में 5 एमएलडी और बद्रीनाथ में 1 एमएलडी और 0.01 एमएलडी एसटीपी जैसी विभिन्न परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया।

उत्तराखंड में सभी प्रमुख परियोजनाएं (हरिद्वार, ऋषिकेश और मुनि की रेती में बनी 120.5 एमएलडी की क्षमता) पूरी हो चुकी हैं। मुनि की रेती में प्रदूषण के लिए चर्चित चंद्रेश्वर नगर नाले को रोका जा चुका है और अब यह गंगा में नहीं जाता है।

जिलास्तरीय अधिकारियों के प्रयासों को मान्यता देने के लिए नमामि गंगे को लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार योजना में शामिल किया गया है। इस पुरस्कार श्रेणी में, एक पुरस्कार मिशन के तहत अधिसूचित 57 डीजीसी में से एक जिले को दिया जाएगा।

एनएमसीजी ने राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राज्य के वन विभागों को बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं, घाटों के सौंदर्यीकरण, वानिकीकरण उपाय इत्यादि जैसे कार्यों को कराने के लिए जनवरी, 2020 से लेकर नवंबर 2020 तक 1,452.40 करोड़ रुपए जारी किए हैं।

विश्व बैंक बोर्ड ने 25 जून 2020 को द्वितीय राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन परियोजना (गंगा-II) के लिए 40 करोड़ अमेरिकी डॉलर (3023.10 करोड़ रुपए) मंजूर किया था। आर्थिक मामलों के विभाग, भारत सरकार और विश्व बैंक ने 7 जुलाई, 2020 को एक कर्ज समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।यह कर्ज 5 साल की अवधि दिसंबर 2026 तक के लिए होगा।

पर्यावरण, नदी संरक्षण और जैव-विविधता इत्यादि से जुड़े मुद्दों के बारे में युवाओं, स्कूली बच्चों और आम जनता की जानकारी और जागरूकता का मूल्यांकन करने के लिए 22 अप्रैल 2020 (विश्व पृथ्वी दिवस) से एक प्रतियोगी ज्ञान-निर्माण मंच गंगा क्वेस्ट 2020 को शुरू किया गया।

यह प्रतियोगिता 30 मई, 2020 को खत्म हुई थी और 5 जून, 2020 (विश्व पर्यावरण दिवस) को विजेताओं की घोषणा की गई थी। एक डिजिटल पहल, क्विज़ को कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के बावजूद, देश भर से और विदेशों से भी एनआरआई व अन्य लोगों में से 11.5 लाख से ज्यादा व्यक्तियों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली थी।

क्विज के द्विभाषी स्वरूप की वजह से इसे उन सुदूर क्षेत्रों में भी छात्रों तक पहुंचने में मदद मिली, जहां पर लोग हिंदी को लेकर ज्यादा सहज महसूस करते हैं।

एनएमसीजी ने पवित्र गंगा नदी की महिमा का उत्सव मनाने के लिए 2 से 4 नवंबर, 2020 तक गंगा उत्सव 2020, तीन दिवसीय सांस्कृतिक एवं शैक्षिक उत्सव, का आयोजन किया।

इस उत्सव में कहानी पाठ, लोककथा सुनाना, गणमान्य व्यक्तियों के साथ चर्चा, प्रश्नोत्तरी, विविध पारंपरिक कलाओं की प्रदर्शनी, प्रख्यात कलाकारों का नृत्य और संगीत प्रदर्शन, फोटो गैलरी, प्रदर्शनियों और अन्य बहुत से कार्यक्रम शामिल थे।

उत्तराखंड में 7 जिलों में 50,000 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 11 जिलों में 35,780 हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती शुरू की गई है। बिहार में भी गंगा के किनारे 13 जिलों में भी जैविक खेती को प्रारंभ किया गया है।

13 मार्च, 2020 को गंगा आमंत्रण अभियान के लिए फ्लैग-इन गंगा समारोह आयोजित किया गया था। 34 दिनों तक देवप्रयाग से गंगासागर तक रिवर राफ्टिंग अभियान गंगा के संरक्षण के लिए साहसिक खेलों के माध्यम से मार्ग में लाखों लोगों को जोड़ने का सबसे बड़ा सामाजिक संपर्क कार्यक्रम है।

एक प्रमुख सीएसआर पहल के तहत 24 फरवरी, 2020 को एनएमसीजी, इंडोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट और एमएससीजी-उत्तराखंड के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

इसके तहत इंडोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट गंगोत्री और बद्रीनाथ में भक्तों को आनंददायक क्षण का अनुभव कराने और गंगा दर्शन की सुविधा देने के लिहाज से स्नान घाटों की मरम्मत करने और सभी मूलभूत सार्वजनिक सुविधाओं वाले श्मशान घाटों को बनाने पर लगभग 26 करोड़ रुपए खर्च करेगा।