नदी

अवैध निर्माण और गंगा प्रदूषण के मामले में जल्द से जल्द रिपोर्ट सबमिट करे समिति: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 8 मई 2023 को संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो हरिद्वार में कथित तौर पर किए जा रहे अवैध निर्माण और उसके कारण गंगा में बढ़ते प्रदूषण के मामले में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे। मामला हरिद्वार में बेलीराम आश्रम का है।

कोर्ट ने जल्द से जल्द रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर आगे भी चूक होती है तो कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। इस मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई, 2023 को होगी।

गौरतलब है कि एनजीटी ने 3 मार्च, 2023 को दिए अपने आदेश में उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय गंगा मिशन और हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति से मामले पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि इस मामले में अब तक कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है।

सहारनपुर में यमुना पर किए जा रहे रेत खनन पर एनजीटी ने लगाई रोक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सहारनपुर में स्टार माइंस द्वारा यमुना से किए जा रहे रेत खनन पर रोक लगा दी है। मामला उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में गांव बरथा कोरसी का है। 8 मई, 2023 को कोर्ट द्वारा दिया यह आदेश संयुक्त समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर आया है।

गौरतलब है कि मैसर्स स्टार माइंस को 7,56,000 क्यूबिक मीटर के वार्षिक उत्पादन के लिए यमुना में 3 मीटर की गहराई तक खनन की अनुमति दी थी। इस मामले में 7 अप्रैल, 2023 को कोर्ट में संयुक्त समिति द्वारा सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि बहाली के लिए किए अध्ययन के अनुसार यहां 700,626 क्यूबिक मीटर खनन किया जा सकता है, जिसकी अनुमानित अवधि 1.35 वर्ष है।

जानकारी दी गई है कि वास्तव में वहां 756,000 क्यूबिक मीटर के वार्षिक उत्पादन के लिए तीन मीटर की गहराई तक खनन किया जा चुका है और खनन की अधिकतम 1.35 वर्ष की अवधि पूरी हो चुकी है। ऐसे में कानूनी तौर पर इसके दोबारा मूल्याङ्कन के और खनन नहीं किया जा सकता।

ऐसे में न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की बेंच ने यह आदेश दिया है कि वहां आगे खनन बंद कर दिया जाना चाहिए। साथ ही एनजीटी ने वाहनों और खनन की निगरानी के लिए जरूरी उपाय करने की बात भी कही है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने माना चांदे बाबा तालाब में डाला जा रहा है दूषित सीवेज

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी 8 मई 2023 को सबमिट रिपोर्ट में माना है कि आस-पास के क्षेत्रों से सीवेज ले जा रह एक नाले का दूषित पानी बिना किसी उपचार के चांदे बाबा तालाब में डाला जा रहा है। मामला उत्तरप्रदेश में लखनऊ का है।

एसपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला में नाले में छोड़े जा रहे सीवेज के नमूना का विश्लेषण किया गया है। विश्लेषण से पता चला कि इस पानी में बीओडी, टोटल कॉलिफॉर्म और फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा बहुत ज्यादा है, जबकि इसमें डिसॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा शून्य पाई गई है। एनजीटी को सौंपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, "इलाके का दूषित सीवेज सीधे चांदे बाबा तालाब में मिल रहा है, जो तालाब में पानी की गुणवत्ता को खराब कर रहा है।"

वहीं इस बाबत एक मई, 2023 के पत्र के माध्यम से जानकारी दी गई है कि तालाब के पास आयरन ट्री गार्ड के साथ विभिन्न प्रजातियों के 1000 पौधे लगाए जाएंगे। वहां अब तक 350 पौधे रोपे जा चुके हैं और शेष कार्य प्रगति पर है, जो आने वाले बरसात के मौसम में, जुलाई 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा।