नदी

ओडिशा में अवैध रेत खनन का खेल, एनजीटी ने जांच के दिए आदेश

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चार अगस्त, 2023 को रेयान रामचंद्रपुर रेत स्रोत के 20.38 एकड़ क्षेत्र में हुए अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला ओडिशा के बालसोर जिले का है। कोर्ट ने समिति को समिति साइट का दौरा करने के बाद रिपोर्ट सौंपने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति को बहाली के उपाय सुझाने के साथ-साथ पर्यावरणीय मुआवजा भी निर्धारित करना चाहिए। कोर्ट ने विभिन्न विभागों को भी उल्लंघनकर्ता के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए कहा है।

मामले में आवेदक का कहना है कि जलेश्वर के तहसीलदार ने 13 अप्रैल, 2021 को खननकर्ता के पक्ष में एक पट्टा जारी किया था। वहीं 13 जुलाई, 2017 को राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण (एसईआईएए), ओडिशा द्वारा खनन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दी गई थी।

आवेदक का कहना है कि एसईआईएए ने छह मई, 2022 को एक स्पष्टीकरण जारी किया था, जिसमें कहा गया कि पर्यावरण मंजूरी तदर्थ तरीके से दी गई है और 31 दिसंबर, 2022 के बाद रद्द कर दी जाएगी। इस खनन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालन की सहमति द्वारा 10 मई, 2022 को दी गई, जो 31 दिसंबर, 2022 तक के लिए वैध थी। हालांकि इसे बाद में 14 फरवरी, 2023 के लिए बढ़ा दिया गया, जो 2500 घन मीटर की क्षमता के लिए 31 मार्च, 2023 तक वैध थी।

आरोप है कि पर्यावरण मंजूरी की वैधता की जांच किए बिना संचालन की सहमति अवैध रूप से दी गई। यह भी आरोप है बालासोर के उप-कलेक्टर, ने 24 मार्च, 2023 को अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, बालासोर को संबोधित किए अपने पत्र में स्पष्ट किया था कि रेयान रामचंद्रपुर रेत स्रोत डीएलसी वन में स्थित है और इसके संचालन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

यह भी आरोप है कि स्वीकृत खनन योजना के अनुसार कोई हरित पट्टी या वृक्षारोपण का काम नहीं किया गया है, जिसके लिए हर साल 50 पौधे और पांच साल की लीज अवधि में 250 पौधे लगाने की आवश्यकता होती है।

पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ा रही गौशाला, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पूर्वी बेंच ने उत्तर 24 परगना में एक गौशाला पर लगाए आरोपों की जांच के निर्देश दिए हैं। पश्चिम बंगाल का यह मामला एक गौशाला द्वारा पर्यावरण नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है। कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति को इस साइट का दौरा करने और आरोपों के संबंध में चार सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।

कोर्ट के अनुसार यदि उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति बहाली के उपाय सुझाएगी और साथ ही इसके लिए पर्यावरणीय मुआवजा भी निर्धारित करेगी। कोर्ट ने विभिन्न विभागों को कानून के अनुसार उल्लंघन करने वाले खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा है।

यह मामला राजस्थान गोकल्याण ट्रस्ट के तहत 'सुरवी सदन गौशाला' के नाम से एक 'गौशाला' के अवैध संचालन से जुड़ा है। आरोप है कि उक्त गौशाला पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से स्थापना और संचालन के लिए वैध सहमति लिए बिना ही कई वर्षों से चलाई जा रही थी।

यह भी आरोप है कि गौशाला जुलाई, 2021 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रकाशित डेयरी फार्मों और गौशालाओं के पर्यावरण प्रबंधन के लिए जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके काम कर रही थी। जानकारी मिली है कि गोशाला द्वारा गोबर और चारे के कचरे को नालियों में बहाया गया था जिसकी वजह से नालियां बंद हो गईं हैं। 

एनजीटी ने नेरगुंडी रेलवे साइडिंग में स्टैक यार्ड से जुड़े मामले की जांच के दिए आदेश

27 जुलाई 2023 को एनजीटी के समक्ष दायर आवेदन में कहा गया कि ईस्ट कोस्ट रेलवे के नेरगुंडी रेलवे साइडिंग में एक अवैध स्टैक यार्ड चलाया जा रहा है। इस स्टैक यार्ड के लिए ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 16 अप्रैल, 2010 को जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया है जो खनिज स्टैक यार्ड और रेलवे साइडिंग में पर्यावरण प्रबंधन के लिए जारी किए गए थे।

 एनजीटी के मुताबिक इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है। ऐसे में कोर्ट ने ओडिशा सरकार, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ईस्ट कोस्ट रेलवे सहित अन्य को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। मामले में कोर्ट ने एक समिति गठित करने के भी आदेश दिए हैं। कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है।

आदेश के मुताबिक यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति को बहाली के उपाय सुझाने के साथ-साथ पर्यावरणीय मुआवजा तय करने का भी काम सौंपा गया है और साथ ही अधिकारियों को आवश्यक उपाय करने के लिए कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई छह सितंबर 2023 को होगी।