नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में यमुना की सहायक नदी खोखरी पर अदालती आदेशों की बार-बार अनदेखी करने के लिए शामली के जिला मजिस्ट्रेट की आलोचना की है। खोखरी शामली और सहारनपुर जिलों से गुजरने वाली यमुना की सहायक नदी है, जो बारिश के पानी पर निर्भर है।
इस बारे में एक अप्रैल, 2025 को दिए आदेश में अदालत ने कहा, "हमें लगता है कि शामली के जिला मजिस्ट्रेट, अदालत के आदेश की बार-बार अनदेखी कर रहे हैं, और उचित रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहे हैं। इसकी वजह से मामले में देरी हो रही है और ट्रिब्यूनल का समय बेवजह बर्बाद हो रहा है।"
ऐसे में एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की बेंच ने जिला मजिस्ट्रेट पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है।
इसके साथ ही एनजीटी ने पिछले आदेशों पर विचार करते हुए शामली के जिला मजिस्ट्रेट को जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।
बता दें कि अदालत उत्तर प्रदेश के शामली और सहारनपुर में बहने वाली यमुना की सहायक नदी खोखरी के संरक्षण और पुनरुद्धार के मुद्दे की समीक्षा कर रही है। इस मामले में अतिक्रमण और प्रदूषण के आरोप भी शामिल हैं।
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा बार-बार हुई चूक
एक मार्च, 2024 को इस बारे में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए थे।
10 मई 2024 को एनजीटी ने शामली और सहारनपुर के जिलाधिकारियों को खोखरी नदी को बहाल करने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। हालांकि, जब 27 अगस्त 2024 को मामले की फिर से सुनवाई हुई तो उन्होंने अपना जवाब दाखिल नहीं किया था।
6 दिसंबर, 2024 को एनजीटी ने पाया कि शामली के जिला मजिस्ट्रेट न तो वर्चुअली पेश हुए और न ही उचित रिपोर्ट प्रस्तुत की। शामली के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दायर बिना हस्ताक्षर वाली रिपोर्ट में जरूरी विवरण भी नहीं थे। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने शामली और सहारनपुर के जिला मजिस्ट्रेटों को अपने हलफनामों के जरिए सभी जरूरी जानकारी के साथ अतिरिक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
हालांकि एक बार फिर शामली के जिला मजिस्ट्रेट अपने हलफनामे के साथ आवश्यक रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहे। इसके बजाय, शामली के मुख्य विकास अधिकारी की ओर से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, लेकिन यह न तो जिला मजिस्ट्रेट की ओर से थी और न ही उनके हलफनामे द्वारा समर्थित थी।
मेरठ में अतिक्रमण से जल निकाय के जीर्णोद्धार में आ रही बाधा, भूजल में भी गिरावट
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक अप्रैल 2025 को अधिकारियों से जवाब मांगा है। मामला उत्तर प्रदेश में मेरठ के सरधना तहसील के दादरी ग्राम पंचायत में जल निकाय पर अतिक्रमण के बारे में शिकायत से जुड़ा है।
इस मामले में मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जल निगम सहित अधिकारियों को हलफनामे के माध्यम से अपने जवाब प्रस्तुत करने होंगे। मामले में अगली सुनवाई एक अगस्त, 2025 को होगी।
आवेदक का आरोप है कि लोगों ने तालाब पर अतिक्रमण कर लिया है और बेदखली के आदेश के बावजूद अतिक्रमण को हटाया नहीं गया है। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, साथ ही तालाब के जीर्णोद्धार में भी बाधा आ रही है। इतना ही नहीं दावा है कि इसकी वजह से भूजल के पुनर्भरण की क्षमता में भी गिरावट आई है।
तहसीलदार ने तालाब क्षेत्र में 21 अवैध निर्माणों की पहचान की और बेदखली के आदेश जारी किए। साथ ही जुर्माना भी लगाया गया है। हालांकि, अतिक्रमण को हटाने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
आवेदक ने 9 नवंबर, 2022 को ब्लॉक विकास अधिकारी द्वारा उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, सरधना को भेजे गए पत्र का हवाला दिया है, जिसमें तालाब (खसरा संख्या 440, 1.442 हेक्टेयर) को साफ करने और इसकी सीमाओं को चिह्नित करने के प्रस्ताव के बारे में बताया गया था।
आवेदक के वकील का कहना है कि सीमांकन तो हो गया है, लेकिन बेदखली अभी भी लंबित है।