इंद्रायणी नदी; फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स 
नदी

‘हम दोषी नहीं…’, महाराष्ट्र की इंद्रायणी नदी में प्रदूषण पर नगर पंचायत की सफाई

पंचायत ने नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए एसटीपी और बायोरिमेडिएशन परियोजना का हवाला दिया है, साथ ही कहा है कि उस पर क्षतिपूर्ति का बोझ न डाला जाए

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • देहू नगर पंचायत ने एनजीटी से इंद्रायणी नदी प्रदूषण मामले में राहत की मांग की है, यह कहते हुए कि सीमित संसाधनों के बावजूद वे प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास कर रहे हैं।

  • पंचायत का तर्क है कि उन पर ईडीसी का बोझ डालना अनुचित होगा, क्योंकि इससे उनकी सेवाओं और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन पर असर पड़ेगा।

  • महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में तीर्थ विकास योजना के तहत 3 एमएलडी क्षमता का एसटीपी लगाया था, जो अभी तक चालू है। शेष गंदे पानी का निपटान सोख्ता गड्ढों से किया जा रहा है।

महाराष्ट्र की देहू नगर पंचायत ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष कहा है कि वह सीमित वित्तीय संसाधनों और नया निकाय होने के बावजूद इंद्रायणी नदी में गंदे पानी के उपचार और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे में उस पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईडीसी) का बोझ डालना उचित नहीं होगा।

नगर पंचायत ने दलील दी है कि यदि उस पर ईडीसी लगाया गया तो इससे रोजमर्रा की सेवाओं और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के संचालन पर असर पड़ेगा। महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में तीर्थ विकास योजना के तहत 3 एमएलडी क्षमता का एसटीपी लगाया था, जो अभी तक चालू है। शेष गंदे पानी का निपटान सोख्ता गड्ढों से किया जा रहा है।

मार्च 2024 में टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक देहू पंचायत में इंद्रायणी नदी के हिस्से में सैकड़ों मछलियां मृत पाई गईं। रिपोर्ट के अनुसार मार्च-अप्रैल के दौरान नदी में न के बराबर पानी रह जाता है। ऐसे में आशंका जताई गई है कि नदी के सूख जाने से मछलियों की मौत हुई थी।

20 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देहू नगर पंचायत को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया था। नगर पंचायत ने सुनवाई में कार्ययोजना भी प्रस्तुत की और बताया कि कपूर नाला व घाट नाला का पानी पहले ही एसटीपी में डायवर्ट कर दिया गया है। इसके बाद एमपीसीबी ने 14 मई 2025 को अतिरिक्त हलफनामा दायर कर अपनी गणना के अनुसार ईडीसी की जानकारी दे दी थी।

क्या कुछ दी है पंचायत ने अपने पक्ष में दलील

नगर पंचायत का तर्क है कि उसका गठन 8 दिसंबर 2020 को हुआ था। इसलिए उससे पहले की अवधि का ईडीसी उस पर थोपना गलत है। गणना करते समय इस तारीख को ध्यान में नहीं रखा गया। नगर पंचायत का कहना है कि गठन से पहले की अवधि के लिए या बिना पर्याप्त मौका दिए उस पर क्षतिपूर्ति नहीं लगाई जा सकती।

महाराष्ट्र सरकार ने पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) का गठन किया है, जिसके अधिकार क्षेत्र में देहू नगर पंचायत सहित इंद्रायणी नदी के किनारे बसे अन्य शहर भी आते हैं।

यह भी कहा गया है कि पीएमआरडीए ने देहू सहित अन्य कस्बों और शहरों के लिए संयुक्त रूप से एसटीपी स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। विभिन्न नगरों की डीपीआर पहले ही जमा की जा चुकी है और इन्हें राज्य व केंद्र एजेंसियों के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। ऐसे में केवल देहू नगर पंचायत को जिम्मेदार ठहराकर ईडीसी लगाना अनुचित होगा।

पंचायत ने यह भी दलील दी है कि उसने प्रदूषण रोकने के कदम उठाए हैं। कपूर और घाट नाला का पानी अब नदी में जाने के बजाय एसटीपी में छोड़ा जा रहा है। इसलिए 1 अप्रैल 2022 से इन धाराओं पर ईडीसी लगाना सही नहीं होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आंतरिक उपायों या एसटीपी शुरू न करने के आरोपों के आधार पर क्षतिपूर्ति लगाना अनुचित है। साथ ही, एसटीपी चालू न करने के कथित आरोप पर ईडीसी वसूलना भी उचित नहीं है।

पंचायत का यह भी कहना है एमपीसीबी की 24 मई 2024 की रिपोर्ट के अनुसार उसके क्षेत्र में हर दिन 2.7 मिलियन लीटर गंदे पानी का उपचार हो रहा है और शेष का प्रबंधन सोख्ता गड्ढों से किया जा रहा है। इस तरह 0.3 एमएलडी का भी बहाव सीधे इंद्रायणी नदी में नहीं होता।

फिलहाल पंचायत इंद्रायणी नदी की बायोरिमेडिएशन परियोजना पर काम कर रही है। मौजूदा नालियों की मरम्मत व सुधार योजना जिला योजना समिति से मंजूरी की प्रतीक्षा में है, वहीं नई भूमिगत नाली योजना को मंजूरी दिलाने की प्रक्रिया पीएमआरडीए में चल रही है।