प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार 
नदी

पर्यावरण नियमों को ताक पर रख यमुना बाढ़ क्षेत्र में नहीं करें निर्माण: एनजीटी

एनजीटी ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि यमुना बाढ़ क्षेत्र में या पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्माण जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक अहम आदेश में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यमुना बाढ़ क्षेत्र (फ्लड प्लेन) में किसी भी तरह का अवैध निर्माण नहीं होना चाहिए। ट्रिब्यूनल ने गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण आदेश, 2016 से जुड़े नियमों का पालन करने का भी निर्देश दिया है।

यह आदेश 21 अप्रैल, 2025 को दिया गया है। अदालत ने परियोजना प्रस्तावक जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड को अगली सुनवाई तक पर्यावरण नियमों को ताक पर निर्माण कार्य न करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त, 2025 को होगी।

अपने आदेश में एनजीटी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि, "यमुना बाढ़ क्षेत्र में या पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्माण जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती।"

यह मामला 14 जुलाई, 2024 को दायर किया गया था। कोर्ट ने पाया है कि बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद न तो नोएडा अथॉरिटी और न ही जेपी इंफ्राटेक की ओर से कोई जवाब दाखिल किया गया है।

यह याचिका गौतम बुद्ध नगर के नोएडा स्थित जेपी विशटाउन के निवासियों द्वारा दायर की गई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन करते हुए टाउनशिप में बड़े बदलाव कर रहा है।

निवासियों की दलील है कि टाउनशिप का इलाका यमुना के बाढ़ क्षेत्र में आता है और यमुना नदी इस टाउनशिप से महज दो किलोमीटर की दूरी पर है। यह इलाका ओखला पक्षी विहार जैसी राष्ट्रीय पक्षी अभयारण्य की सीमाओं में आता है। आवेदकों का यह भी आरोप है कि परियोजना प्रस्तावक टाउनशिप के ग्रीन एरिया पर व्यावसायिक निर्माण कर रहा है।

सोनमर्ग में भालुओं के रहवास पर कचरे का संकट, एनजीटी में हुई मामले पर सुनवाई

जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सूचित किया है कि अब सोनमर्ग और बालटाल क्षेत्रों में बर्फ पिघलने लगी है, जिससे वहां जमा ठोस कचरे का मूल्यांकन करना संभव होगा।

22 अप्रैल, 2025 को समिति ने स्थिति का आकलन करने, सुधारात्मक कदम उठाने और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत से चार सप्ताह का समय मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त, 2025 को होगी।

गौरतलब है कि 27 जुलाई, 2024 को इंडिया डॉट कॉम में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है। यह खबर कश्मीर के सोनमर्ग क्षेत्र में कचरे के अनियोजित निपटान और उपचार के कारण हिमालयी भूरे भालुओं के घटते प्राकृतिक आवास से जुड़ी है। नतीजन इन दुर्लभ भालुओं और इंसानों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ रही हैं।

खबर के मुताबिक वाइल्डलाइफ एसओएस ने जम्मू-कश्मीर वन्यजीव संरक्षण विभाग के साथ मिलकर एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका मकसद सोनमर्ग क्षेत्र में हिमालयी भूरे भालुओं का अध्ययन करना और इंसानों व भालुओं के बीच होने वाले टकरावों के कारणों को समझना है।

2021 में वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा की गई एक स्टडी में सामने आया है कि भालुओं के आहार का 75 फीसदी हिस्सा इंसानों द्वारा फेंका गया कचरा था, जिसमें प्लास्टिक, चॉकलेट और जैविक खाद्य अपशिष्ट शामिल है।