नदी

जलवायु परिवर्तन के दौर में पूर्वाेत्तर भारत, भाग-2 नदियों की धारा में बदलाव से असम में खाद्य सुरक्षा को खतरा?

असम का जिला धेमाजी हमेशा पानी से भरपूर था और अपने चावल के खेतों के लिए जाना जाता था

DTE Staff

असम की राजधानी गुवाहाटी से लगभग 424 किलोमीटर दूर असम का धेमाजी जिला है। ‘धेमाजी’ नाम खुद देवरी शब्द ‘डेमा-जी’ से आया है जिसका अर्थ है ‘बहुत पानी’। जैसा कि नाम से पता चलता है, यह क्षेत्र हमेशा पानी से भरपूर था और अपने चावल के खेतों के लिए जाना जाता था।

 दुख की बात है कि अब यह बदल रहा है! और वह भी खतरनाक गति से, भारत में नदियों को पवित्र माना जाता है क्योंकि वे लाखों लोगों की जीवन रेखा हैं। और दुनिया की सबसे लंबी नदियों में से एक, ब्रह्मपुत्र, असम राज्य से बहती है, जो लाखों मनुष्यों और वन्यजीवों का घर है।

 धेमाजी जिले में जियाधल नदी, ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों में से एक है और यह इसके आस-पास के गांवों के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत है। बार-बार बाढ़ आना, कटाव होना और नदी का मार्ग बदलना न केवल क्षेत्र में जैव विविधता को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि समुदायों को उनकी भूमि से विस्थापित भी कर रहा है। आइए आज इस पर चर्चा करते हैं

  ‘जियाधल’ नदी अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले से आती है, और असम के धेमाजी जिले में पहुँचने तक इसका नाम ‘कुमुतिया’ हो जाता है। जियाधल नदी को इसके कारण होने वाली तबाही के कारण ‘धेमाजी का शोक’ के रूप में जाना जाता है।

 दशकों से प्राकृतिक रूप से बाढ़ के कारण यह नदी अपना मार्ग बदल रही है। और इस प्राकृतिक परिवर्तन के कारण, स्थानीय लोग बाढ़ और जियाधल के परिवर्तन के पैटर्न के आदी हो गए हैं। लेकिन 1970 के दशक के बाद बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के परिणाम दिखने लगे।

धीरे-धीरे, पिछले कुछ वर्षों में, जियाधल की बाढ़ की वजह से मिट्टी का कटाव ज्यादा होने लगा है जो खेतों को नुकसान पहुंचा रहा है; साथ ही, 2007 के बाद से अच्छी तरह से बने घरों को भी नुकसान होने लगा है।  अब, धेमाजी जिले के दिहिरी और केकुरी गांवों के लोगों को आश्रय के साथ-साथ कृषि भूमि की दोहरी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

ऐसा गाद या रेत के जमाव के कारण हो रहा है, जो बाढ़ के पानी के साथ नीचे की ओर बह आती है। दशकों से, धेमाजी के स्थानीय लोगों ने नदी के बदलते रास्ते और इसकी बाढ़ के साथ तालमेल बिठा लिया था।

 लेकिन आज जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं के कारण अब ऐसा हो पाना बहुत मुश्किल लग रहा है। क्योंकि अब नदी के ऊपरी इलाके बहुत भारी व अनियमित बारिश होने लगी है, जिसकी वजह से निचले इलाकों में आपदाएं बढ़ गई हैं