दुनिया के कई बड़े देशों में बांध बहुत बड़ी समस्या बने हुए हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। पिछले 30 -35 सालों से बांधों को लेकर कई समस्या खड़ी हुई हैं। भारत के साथ-साथ अमेरिका के लिए भी बांध के मुद्दे को लेकर पर्यवरणविदों और जल विद्युत उद्योगों के बीच टकराव बना हुआ है। यह टकराव चाहे नीतिगत फैसले लेने की बात पर हो या बांध संबंधी कोई भी अन्य कार्य को करने का मुद्दा हो। इन दो समूहों के बीच हर समय तनाव बना रहता है। 2016 में यूएस के ऊर्जा विभाग द्वारा एक गहन अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि किसी नए बड़े बांध के निर्माण के बिना ही अपनी जल विद्युत क्षमता को 50 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है।
यूएस के 90,000 बांध 3 प्रतिशत से भी कम बिजली पैदा कर रहे हैं। यह यूएस के लिए सफेद हाथी बन चुके हैं। ऊर्जा विभाग के एक पूर्व अधिकारी जोस जायस ने अध्ययन का निरीक्षण कर कहा था, कुछ बड़े तकनीकी विकास हुए हैं जो अब ज्यादा टिकाऊ तरीके से ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। कुछ कंपनियां नए टर्बाइन डिजाइन कर रही हैं जो मछली की सुरक्षा का भी ध्यान रख रही हैं।
अमेरिका ने पिछले साल अपनी बिजली का लगभग 7 प्रतिशत जल विद्युत (हाइड्रोपावर) से उत्पन्न किया है। मुख्य रूप से दशकों पहले निर्मित बड़े बांधों से, जैसे हूवर बांध, जहां कोलोराडो नदी में बहने वाले पानी से टर्बाइन चलता है। ये बड़े बांध अमेरीकी नदियों को काटकर मछली की आबादी को खत्म कर रहे हैं। इसलिए, पिछले 50 वर्षों में, पर्यावरण संरक्षण समूहों ने अमेरिका में किसी भी बड़े बांध को बनाने से रोक दिया है।
न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप प्रसाशन के एक नए प्रस्ताव पर पर्यावरणविद और जलविद्युत उद्योग आपस में भिड़ गए हैं। इस प्रस्ताव में परियोजनाओं के आसपास साफ पानी के नियमों को संशोधित करने का मुद्दा उठाया गया है। अमेरिकी नदियों के मंत्री इरविन ने कहा, दोनों पक्षों के बीच गंभीर नीतिगत मतभेद होते रहेंगे लेकिन यह तथ्य कि दोनों पक्षों ने बांधों के पारिस्थितिक प्रभाव को कम करते हुए स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्यों पर काम करने के लिए सहमति व्यक्त की। यूएस के नेशनल हाइड्रोपावर एसोसिएशन के अध्यक्ष मैल्कम वुल्फ ने कहा, अब हम बड़े बांधों को हटाने के बारे में बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन हां पर्यावरणविद सभी जलविद्युत बांधों के खराब होने के बारे में बात नहीं कर रहे हैं।
स्टैनफ़ोर्ड के वुड्स इंस्टीट्यूट फॉर द एनवायरनमेंट के एक वरिष्ठ विद्वान डैन रेइशर (उद्योग और हरित समूहों के बीच बातचीत को बुलाने में मदद की है) का कहना है कि हाइड्रोपावर पर मौजूदा गतिरोध से कोई फायदा नहीं हुआ है। बांध के आसपास के विवादों ने निवेश करने के लिए बहुत कठिन स्थिति पैदा कर दी है। जबकि पर्यावरणविदों की अभी तक बांधों को हटाने में उनके अभियानों की गति बहुत धीमी रही है। ध्यान रहे कि दो साल की शांति वार्ता के परिणामस्वरूप एक समझौते पर नेशनल हाइड्रोपावर एसोसिएशन, उद्योग व्यापार समूह, साथ ही अमेरिकी नदियों, विश्व वन्यजीव कोष और वैज्ञानिकों के संगठन सहित पर्यावरण समूहों ने हस्ताक्षर किए हैं। दूसरे, प्रभावशाली संगठन द नेचर कंजर्वेंसी ने खुद को प्रतिभागी के रूप में सूचीबद्ध किया है और यह संकेत दिया है कि वह पूरे स्टेटमेंट (विवरण) पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन जलविद्युत नीतियों पर चल रहे संवाद में सहयोग अवश्य करेंगे।
उद्योग समूहों और पर्यावरणविदों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि वे खास नीतिगत उपायों पर सहयोग करेंगे, जो पहले से ही निर्मित बांधों से अधिक बिजली उत्पन्न करने में मदद कर सकते हैं। दोनों पक्षों ने यह भी कहा है कि वे नदियों को बेहतर बनाने के लिए पुराने बांधों को हटाने में तेजी लाएंगे, जिनकी अब जरूरत नहीं है। हाल ही के दशकों में 1,000 से ज्यादा बांध देश भर में हट चुके हैं। यह नया समझौता लंबे समय से चल रहे विवाद को खत्म करने के उद्देश्य की ओर संकेत करता है।
अमेरिकी नदियों के मंत्री बॉब इरविन ने लंबे समय से देश के जलमार्गों को होने वाले नुकसान पर कहा कि जलवायु संकट बहुत तेज हो गया है और हमें कार्बन-फ्री ऊर्जा उत्पन्न करने की जरूरत है। इरविन ने जोर देकर कहा कि उनका ग्रुप अभी भी नदियों पर नए बांध बनाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगा। एक उदाहरण के रूप में, उन्होंने पेनॉब्सकोट नदी की तरफ सबका ध्यान खींचने की कोशिश की, जहां पर्यावरणविदों, ऊर्जा कंपनियों और पेनबॉस्कॉट इंडियन नेशन ने 2004 में दो अन्य बांधों को हटाने के लिए नदी के बेसिन में कई बांधों को अपग्रेड करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया था। परिणामस्वरूप, पेनबॉस्कॉट पर जल विद्युत कंपनियों ने पहले की तरह स्वच्छ बिजली का उत्पादन किया।
नए समझौते के अंतर्गत पर्यावरण समूहों और उद्योग ने कहा कि वे पंप-स्टोरेज मार्केट के विस्तार में मदद करने के लिए सहयोग करेंगे। समूहों ने यह भी कहा कि वे बांधों में बिजली उन्नत करने और बांधों को हटाने के लिए विनियामक प्रक्रिया को और अधिक तेज करेंगे। देश में हजारों बांध ऐसे हैं जो बिलकुल गिरने की स्तिथि में हैं। मई के महीने में, मध्य-मिशिगन में बाढ़ ने दो बांधों को तोड़ दिया, जिससे आसपास के हजारों निवासियों को अपने घरों से भागना पड़ा। विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि देश के 15,500 बांधों की मरम्मत और उन्नति के लिए अरबों डॉलर का खर्च हो सकता है।