परड्यू विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि आपके गैस स्टोव पर खाना पकाते समय गैस या डीजल से चलने वाले वाहनों की तुलना में हवा में अधिक नैनो-आकार के कण उत्सर्जित हो सकते हैं, जिससे अस्थमा या अन्य सांस संबंधी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ सकता है।
अध्ययन की अगुवाई करने वाले पर्ड्यू के लाइल्स स्कूल ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर ब्रैंडन बूर ने कहा, घर के अंदर और बाहर दोनों जगह चीजों का जलना दुनिया भर में वायु प्रदूषण का एक स्रोत बना हुआ है। अध्ययन में पाया गया है कि आपके गैस स्टोव पर खाना पकाने से बड़ी मात्रा में छोटे नैनोकण उत्सर्जित होते हैं जो आपके श्वसन तंत्र में प्रवेश कर वहां आसानी से जमा हो जाते हैं।
अध्ययन के निष्कर्षों को देखते हुए, शोधकर्ताओं ने गैस स्टोव पर खाना बनाते समय रसोई के एग्जॉस्ट फैन को चालू करने का सुझाव दिया है।
पीएनएएस नेक्सस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन छोटे हवा में घुले नैनोकणों पर आधारित है जिनका व्यास केवल एक से तीन नैनोमीटर है, जो श्वसन प्रणाली के कुछ हिस्सों तक पहुंचने और अन्य अंगों में फैलने के लिए बिल्कुल सही आकार है।
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि जो बच्चे गैस स्टोव वाले घरों में रहते हैं उनमें अस्थमा होने के अधिक आसार होते हैं। लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है कि तीन नैनोमीटर से छोटे कण, जिन्हें नैनोक्लस्टर एरोसोल कहा जाता है, घर के अंदर कैसे बढ़ते और फैलते हैं क्योंकि उन्हें मापना बहुत मुश्किल होता है।
बूर ने कहा, ये अत्यंत छोटे नैनोकण इतने छोटे हैं कि आप उन्हें खुली आंखों देख नहीं पाएंगे। वे धूल के कणों की तरह नहीं हैं जिन्हें आप हवा में तैरते हुए देखते हैं। गैस पर खाना पकाने के दौरान नैनोक्लस्टर एयरोसोल की इतनी अधिक मात्रा देखने के बाद, हम अब इन नैनो-आकार के कणों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।
शोध में बताया गया है कि ड्यूराग ग्रुप की सदस्य, जर्मन कंपनी ग्रिम एयरोसोल टेक्निक द्वारा प्रदान किए गए अत्याधुनिक वायु गुणवत्ता उपकरण का उपयोग करते हुए, पर्ड्यू के शोधकर्ता गैस स्टोव पर खाना बनाते समय इन छोटे कणों को एक नैनोमीटर तक मापने में सफल हुए।
पर्ड्यू जीरो एनर्जी डिजाइन गाइडेंस फॉर इंजीनियर्स (जेडईडीजीई) लैब कहे जाने वाले इस छोटे से घर में एक सामान्य घर की सभी विशेषताएं हैं, लेकिन इस घर की वायु गुणवत्ता पर रोजमर्रा की गतिविधियों के प्रभाव की बारीकी से निगरानी करने के लिए सेंसर लगाए गए।
इस परीक्षण वाले वातावरण और ग्रिम्म एयरोसोल के उपकरण, एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन कण आकार मैग्निफायर-स्कैनिंग मोबिलिटी पार्टिकल साइजर के साथ, टीम ने खाना पकाने के प्रयोगों के दौरान घर के अंदर नैनोक्लस्टर एयरोसोल कणों पर बहुत सारे आंकड़े एकत्र किए।
उच्च-गुणवत्ता वाले आंकड़ों के इस परिमाण ने शोधकर्ताओं को ज्ञात बाहरी वायु प्रदूषण के स्तरों के साथ अपने निष्कर्षों की तुलना करने में मदद मिली, जो इनडोर वायु प्रदूषण की तुलना में अधिक नियमित समझे जाते हैं। उन्होंने पाया कि प्रति किलोग्राम खाना पकाने के ईंधन में 10 क्वाड्रिलियन नैनोक्लस्टर एयरोसोल कण उत्सर्जित हो सकते हैं, जो आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों से उत्पन्न होने वाले कणों के बराबर या उससे अधिक हो सकते हैं।
इसका मतलब यह होगा कि व्यस्त सड़क पर खड़े होकर कार के धुएं की तुलना में घर के अंदर गैस स्टोव पर खाना पकाते समय वयस्क और बच्चे 10 से 100 गुना अधिक नैनोक्लस्टर एयरोसोल में सांस ले सकते हैं।
सह-अध्ययनकर्ता तथा सिविल इंजीनियरिंग सहायक प्रोफेसर नुसरत जंग ने कहा आप अपनी रसोई में वायु आपूर्ति के रूप में डीजल इंजन निकास पाइप का उपयोग नहीं करेंगे।
पर्ड्यू सिविल इंजीनियरिंग पीएच.डी. शोध छात्र सत्य पात्रा ने छोटे घर की प्रयोगशाला में एकत्र किए गए आंकड़ों को देखकर और विभिन्न तरीकों से मॉडलिंग करके ये निष्कर्ष निकाले हैं। इससे पता चलता है कि नैनोक्लस्टर एयरोसोल घर के अंदर बदल सकता है और किसी व्यक्ति की श्वसन प्रणाली में जमा हो सकता है।
मॉडलों से पता चला कि नैनोक्लस्टर एयरोसोल कण गैस स्टोव से घर के बाकी हिस्सों तक अपनी यात्रा में बहुत लगातार बने रहते हैं। पानी उबालने या गैस स्टोव पर ग्रिल्ड पनीर सैंडविच या छाछ पैनकेक बनाने के मात्र 20 मिनट के भीतर खरबों कणों का उत्सर्जन हुआ।
हालांकि कई कण तेजी से अन्य सतहों पर फैल गए, मॉडल से पता चला कि लगभग 10 अरब से एक खरब कण एक वयस्क के सिर के वायुमार्ग और फेफड़ों के ट्रेकोब्रोनचियल क्षेत्र में जमा हो सकते हैं। बच्चों के लिए ये मात्रा और भी अधिक होगी, मनुष्य जितना छोटा होगा, मात्रा उतनी ही अधिक जमा होगी।
गैस के जलने से आने वाला नैनोक्लस्टर एरोसोल मक्खन, तेल या गैस स्टोव पर जो कुछ भी पक रहा है, उससे हवा में प्रवेश करने वाले बड़े कणों के साथ आसानी से मिश्रित हो सकते हैं, जिसके कारण अपने स्वयं के अनूठे व्यवहार के साथ नए कण उत्पन्न होते हैं।
अध्ययनकर्ता ने कहा एक गैस स्टोव का एग्जॉस्ट फैन संभवतः इन नैनोकणों को आपके श्वसन तंत्र से दूर भेज देगा, लेकिन इसका परीक्षण किया जाना बाकी है।
बूर ने कहा, क्योंकि ज्यादातर लोग खाना बनाते समय अपने एग्जॉस्ट फैन को चालू नहीं करते हैं, इसलिए स्वचालित रूप से सक्रिय होने वाले रसोई चिमनी या हुड रखना एक समाधान हो सकता है। आगे बढ़ते हुए, हमें यह सोचने की जरूरत है कि सभी प्रकार के इनडोर वायु प्रदूषकों के संपर्क को कैसे कम किया जाए। हमारे नए आंकड़ों के आधार पर, हम सलाह देंगे कि नैनोक्लस्टर एरोसोल को एक विशिष्ट वायु प्रदूषक श्रेणी के रूप में माना जाए।