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चिंताजनक: मनुष्य के शरीर में हर हफ्ते चले जाते हैं पांच ग्राम तक प्लास्टिक के कण

Dayanidhi

जठरांत्र संबंधी मार्ग या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट पहले से ही मनुष्य शरीर में सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक कणों (एमएनपी) के लिए एक प्रमुख भंडारण स्थल के रूप में जाना जाता है। ग्राज में सीबीमेड जीएमबीएच के नेतृत्व में वियना विश्वविद्यालय और अन्य शोधकर्ताओं ने अब मानव जठरांत्र संबंधी मार्ग में कैंसर कोशिकाओं पर छोटे प्लास्टिक कणों के प्रभावों की जांच की है

केमोस्फेयर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चला कि सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक कणों (एमएनपी) पहले की तुलना में अधिक समय तक कोशिका में रहते हैं, क्योंकि कोशिका विभाजन के दौरान वे नई बनी कोशिका में चले जाते हैं। इस बात का भी पता चला है कि प्लास्टिक के कण ट्यूमर के मेटास्टेसिस में भी वृद्धि कर सकते हैं।

क्रेडिट कार्ड के वजन के बराबर यानी पांच ग्राम तक प्लास्टिक के कण हर हफ्ते जठरांत्र संबंधी मार्ग में प्रवेश करते हैं। वियना विश्वविद्यालय, सीबीमेड और लुकास केनर के शोधकर्ताओं की टीम ने एमएनपी और विभिन्न कोलन कैंसर कोशिकाओं की जांच की।

अपने विश्लेषण में, शोधकर्ता यह दिखाने में सफल रहे कि एमएनपी कोशिका में कैसे प्रवेश करते हैं और वास्तव में वे कहां जमा होते हैं। उन्होंने उनके प्रत्यक्ष प्रभावों को भी देखा गया, एमएनपी को शरीर में अन्य "अपशिष्ट उत्पादों" की तरह लाइसोसोम में ले जाया जाता है।

लाइसोसोम कोशिका अंग हैं जिन्हें "कोशिका का पेट" भी कहा जाता है।

हालांकि, शोधकर्ताओं ने देखा कि, जैविक मूल के बाहरी निकायों के विपरीत, एमएनपी उनकी बाहरी रासायनिक संरचना के कारण खराब नहीं होते हैं।

विभिन्न कारकों के आधार पर, एमएनपी कोशिका विभाजन के दौरान नवगठित कोशिका में भी पारित हो जाते हैं और इसलिए मनुष्य के शरीर में इनके मूल अनुमान की तुलना में अधिक लगातार बने रहने की आशंका होती है।

इसके अलावा, शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि एमएनपी शरीर के अन्य हिस्सों में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ाता है और इस प्रकार यह ट्यूमर के मेटास्टेसिस को बढ़ावा देता है।

जितना छोटा, उतना अधिक हानिकारक

कोशिका प्रवास के संबंध में कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं का बदला हुआ व्यवहार मुख्य रूप से एक माइक्रोमीटर (1 माइक्रोमीटर = 0.001 मिमी) से छोटे प्लास्टिक कणों के कारण देखा गया। इस आकार के कणों को आमतौर पर नैनोप्लास्टिक कहा जाता है, जो उदाहरण के लिए, पानी की बोतल में माइक्रोप्लास्टिक की तुलना में 10 से 100 गुना अधिक बार होते हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि प्लास्टिक के कण जितने छोटे होते हैं, वे उतने ही अधिक हानिकारक होते हैं। यह एक बार फिर शोध के विश्लेषणों के परिणामों के अनुरूप है।

लुकास केनर कहते हैं, हमारा अध्ययन हाल के निष्कर्षों की भी पुष्टि करता है जिससे पता चलता है कि एमएनपी कोशिका के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं और हो सकता है बीमारियों को बढ़ाने के लिए भी जिम्मेवार हो सकते हैं।

केनर कहते हैं, पर्यावरण में हर जगह प्लास्टिक के होने और यहां तक कि सबसे छोटे प्लास्टिक कणों के संपर्क में लोगों के लगातार रहने को देखते हुए, विशेष रूप से लंबे समय के प्रभावों की जांच के लिए आगे के अध्ययन की तत्काल जरूरत है। पिचलर ने बताया उन्हें डर है कि यह माना जा सकता है कि एमएनपी पुरानी विषाक्तता का कारण बनता है।

नवीनतम परिणाम और पहले किए गए अध्ययन में ऊतकों और कोशिकाओं में भारी मात्रा में अवशोषण और लंबे समय तक बने रहने को दर्शाते हैं। इसलिए जांच किए गए कण विष विज्ञान में तीन में से दो विशेषताओं को पूरा करते हैं जिनका उपयोग ईयू रसायन नियमन के तहत चिंता के रूप में पदार्थों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है।