प्रदूषण

हमें दिवाली के दौरान पटाखे से क्यों बचना चाहिए

DTE Staff

दीपावली का पर्व अंधकार मिटाने का पर्व है, लेकिन कुछ वर्षों से दीपों की जगह आतिशबाजी को तरजीह दी जाने लगी है। इसके दुष्परिणाम भी हम वायु प्रदूषण की बढ़त के तौर पर झेलते हैं। दिल्ली-एनसीआर में दीपावली के दौरान प्रदूषण आपात स्तर तक पहुंच जाता है। तमाम प्रतिबंध भी लगाये जाते हैं। कई लोगों के जीवन पर रोजगार का संकट खड़ा हो जाता है। वहीं बच्चों और वृद्धों को सांस की परेशानी के चलते अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।

अभिभावक वायु प्रदूषण की समस्या की अनदेखी कर बच्चों को पटाखे दगाने की वकालत करते हैं। उन्हें यह नहीं मालूम कि पटाखों के संपर्क में आने से बच्चों को खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का भयानक एक्सपोजर होता है। इसका दुष्परिणाम बच्चे की सेहत में देर से दिखाई दे सकता है।

पीएम 2.5 का 24 घंटे का सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। जबकि सिर्फ एक छोटी सी नाग गोली से बच्चा सिर्फ तीन मिनट में 64,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से भी ज्यादा पीएम 2.5 का उत्सर्जन झेलता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों से बचें और बच्चों को प्रदूषण के कारण मौत के मुंह में जाने से बचायें। देखें- एक वीडियो...