प्लास्टिक मुख्य रूप से एक बार उपयोग किया जाता है और फिर यह अपने जीवन चक्र के अंत में नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट लैंडफिल में समा जाता है। इस तरह के प्लास्टिक का कचरा छोटे-छोटे डुकड़ों में टूटकर नैनो प्लास्टिक, नैनोमटेरियल्स आदि में बदल जाता है। पानी और हवा के माध्यम से लगातार इन प्रदूषकों का रिसाव होता है, जो बहुत बड़ा चिंता का विषय है।
इस समस्या से निजात पाने के लिए आईआईटी के शोधकर्ताओं ने इसे आसानी से रिसाइकल कर उपयोग करने वाली चीजों को बनाने के लिए किया गया है।
भारतीय शोधकर्ताओं ने बेकार पड़े थर्मोप्लास्टिक पॉलिमर और अकार्बनिक कणों को पिघलाकर मिश्रण तैयार करके रीसाइक्लिंग के लिए ‘सिंगल स्क्रू एक्सट्रूडर’ नाम का स्वदेशी उपकरण विकसित किया है। यह उपकरण पॉलिमर कंपोजिट के निर्माण में मददगार हो सकता है जिससे पेवर ब्लॉक, टाइल्स और ईटों को बनाने के लिए आवश्यक आकार में ढाला जा सकता है। इस उपकरण को बनाने में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे ने अहम भूमिका निभाई है।
वर्तमान में, व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उपकरण बेकार पड़े थर्मोप्लास्टिक पॉलिमर को संभालने के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं जो अक्सर दूषित पदार्थों से चिपक जाते हैं, क्योंकि उनकी बैरल और स्क्रू प्रणाली काफी मजबूत नहीं होते हैं।
यह अन्य परंपरागत रूप से उपलब्ध उपकरणों की तुलना में वास्तविक समय में इस प्रक्रिया को दोहराने के लिए, एक सतत प्रक्रिया के रूप में पिघला हुआ मिश्रण बना सकता है। शोधकर्ताओं ने बेकार पड़े पॉलिमर और कणों के मिश्रण की सुविधा के लिए कंप्रेशन रेश्यो और क्लीयरेंस डेप्थ जैसे कुछ प्रमुख मापदंडों पर भी विचार किया है।
कचरे के प्रबंधन तकनीकों के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सहयोग से विकसित उपरोक्त तकनीक अब प्रयोगशाला वातावरण में पिघलाने और मिश्रण बनाने के व्यवसायीकरण के लिए तैयार है। स्वदेशी तरीके से बने इस उपकरण की लागत पांच लाख रुपये तक हो सकती है, जबकि मौजूदा अन्य उपकरणों से इस उपकरण की कीमत कम से कम छह से आठ गुना तक और कम हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने पिघले हुए मिश्रण संबंधी उपकरण से प्राप्त पॉलीमर कंपोजिट के थर्मोग्रैविमेट्रिक विश्लेषण हासिल करने के लिए एक टीजीओएसए भी विकसित किया है। यह व्यवस्था 200 ग्राम तक के नमूने के आकार की सुविधा देता है जो परीक्षण की जा रही सामग्रियों के अलग-अलग पहलुओं को शामिल कर सकता है।
इसके अलावा, पॉलीमर कंपोजिट के निर्माण के लिए स्वदेशी तरीके से निर्मित एक छोटे स्तर पर प्लांट स्थापित किया गया है। इस व्यवस्था में एक श्रेडर, एक मिक्सर कम प्रिहीटर और एक एक्सट्रूडर शामिल है, जो प्लास्टिक के कचरे को काटने, प्लास्टिक कचरे और आईबीपी के मिश्रण बनाने और पहले से गरम करने और आईबीपी के साथ प्लास्टिक के कचरे को पिघलाने और अंत में एक साथ मिलाकर ताजा बाइंडर फिलर कंपोजिट प्राप्त करने के लिए है।
यह तकनीक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे द्वारा विकसित की गई है। उद्योग सहयोगी- हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा इसका एक क्षेत्रीय प्लांट स्थापित किया गया है।