दिवाली का उत्सव शुरु हो चुका है और इस बीच हल्की ठंड ने प्रदूषण स्रोतों को कैद करने का काम शुरु कर दिया है। इस बार ऐसा कयास है कि पराली जलाने पर नियंत्रण और पटाखों पर सख्ती के चलते स्मॉग जैसी स्थिति नहीं बनेगी। हालांकि, वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाली बहु-एजेंसियों ने दीवाली और दीवाली के बाद वायु गुणवत्ता में गंभीर प्रदूषण के आशंका जाहिर की है।
वायु गुणवत्ता की निगरानी और फोरकास्ट करने वाली एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक 22 अक्तूबर, 2022 को दिल्ली-एनसीआर की हवा में बेहद सूक्ष्म प्रदूषण कण पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की हिस्सेदारी करीब 46 फीसदी तक पहुंच गई है। हालांकि, इस वायु गुणवत्ता प्रदूषण में पराली का असर बेहद अल्प है।
देश की सर्वोच्च प्रदूषण नियामक संस्था केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी) के रोजाना जारी होने वाले औसत 24 घंटे वायु गुणवत्ता निगरानी सूचकांक (एक्यूआई) बुलेटिन के मुताबिक 22 अक्तूबर को दिल्ली और आस-पास (एनसीआर) के शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब से बहुत खराब के बीच बनी हुई है। जबकि इस बार सूखे की मार झेलने वाले बिहार के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता सूचकांक की चार अहम श्रेणियां हैं। इसके मुताबिक 1-50 का एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 का एक्यूआई संतोषजनक, 101 से 200 का एक्यूआई मध्यम (मॉडरेट), 201-300 का एक्यूआई खराब, 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब और गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्तान 401-500 का एक्यूआई दर्शाता है। जबकि 501 से अधिक इमरजेंसी वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
2021 की दीपावली का पर्व 5 नवंबर को मनाया गया था। बीते वर्ष दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता स्मॉग के स्तर पर पहुंच गई थी और एजेंसियों के जरिए ग्रेडेड रिस्पांस एंक्शन प्लान (ग्रेप) समय से लागू नहीं किया जा सका था।
पांच राज्यों के कई शहरों की वायु गुणवत्ता बहुत खराब
सीपीसीबी के 22 अक्तूबर एक्यूआई बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार के कई शहरों की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी (301-400) में पहुंच गई है और हवा में प्रमूख प्रदूषक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 व 10 है। बुलेटिन के मुताबिक 22 अक्तूबर को दिल्ली का एक्यूआई 265 (खराब) जबकि एनसीआर के प्रमुख शहरों जैसे : गाजियाबद 312 (बहुत खराब), गुरुग्राम 206 (खराब), ग्रेटर नोएडा 261 (खराब), नोएडा 290 (खराब), फरीदाबाद 280 (खराब) वायु गुणवत्ता श्रेणी में पहुंच गए हैं।
इसके अलावा हरियाणा के कुछ शहर जहां पारंपरिक तौर पर पराली ज्यादा जलाई जाती है जैसे हिसार, कैथल, पानीपत, मानेसर की हवा भी खराब श्रेणी में दर्ज की गई है।
इस बार बिहार के कई शहर खराब से बहुत खराब श्रेणी वाली वायु गुणवत्ता स्तर पर पहुंच गए हैं। इनमें राजधानी पटना (254 एक्यूआई) समेत बेगुसराय (330 एक्यूआई), बक्सर 209 एक्यूाई, हाजीपुर 236 एक्यूआई, कटिहार 268 एक्यूआई, मुजफ्फरपुर 236 एक्यूआई, मुंगेर 219 एक्यूआई शामिल हैं।
सफर एजेंसी के मुताबिक दिल्ली की हवा में फाइन पार्टिकुलेट मैटर का स्तर 46 फीसदी है। अगले 26 अक्तूबर तक यह बढ़ सकता है। सरफेस विंड यानी सतह की हवा की रफ्तार 8 से 10 किलोमीटर प्रति घंटा तक मंद पड़ सकती है। ऐसे में वायु प्रदूषकों को छंटाई का मौका नहीं मिल पाएगा और दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषक दीपावली तक बढ़ सकते है।
सफर एजेंसी के मुताबिक फायर काउंट बीते वर्ष के मुकाबले काफी कम हुआ है। साथ ही पराली जलाए जाने की घटना भी पंजाब और हरियाणा में बेहद कम रिकॉर्ड की जा रही है।