प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
प्रदूषण

भीमा नदी को दूषित कर रहा है राजगुरुनगर में फ्लैटों से निकल रहा सीवेज

आरोप है कि 2,000 घरों से हर दिन करीब 10 लाख लीटर सीवेज पैदा हो रहा है। यह सीवेज जमीन के साथ-साथ भीमा नदी को भी दूषित कर रहा है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 मार्च, 2025 को महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और अन्य से विश्वजीत रामचंद्र दीक्षित की शिकायत पर जवाब मांगा है। यह शिकायत घरों से निकलने वाले दूषित सीवेज से जुड़ी है, जो भूमि को प्रदूषित करने के साथ-साथ भीमा नदी को भी दूषित कर रहा है। मामला महाराष्ट्र के पुणे का है।

इस मामले में जिन अन्य लोगों से जवाब मांगा गया है उनमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सत्करस्थल ग्राम पंचायत, पुणे महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए), राजगुरुनगर नगर परिषद और पुणे के जिला कलेक्टर शामिल हैं।

यह शिकायत 80 फ्लैटों और 26 बंगलों से आने वाले दूषित सीवेज और अपशिष्ट जल की वजह से होने वाले गंभीर प्रदूषण के बारे में है। यह प्रदूषण राजगुरुनगर, खेड़, पुणे (प्लॉट नंबर 92/1) में आवेदक की कृषि भूमि को भी प्रभावित कर रहा है।

आवेदक की ओर से पेश वकील ने दलील दी है कि फ्लैट और बंगलों सहित 2,000 घरों से हर दिन करीब 10 लाख लीटर सीवेज पैदा हो रहा है। यह सीवेज आवेदक की जमीन को भी नुकसान पहुंचा रहा है, जो आगे भीमा नदी में मिल रहा है।

अवैध कचरा डंपिंग: एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब, जांच के दायरे में जीपीसीबी

अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा को अनुमति देने के मामले में गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) के खिलाफ एनजीटी की पश्चिमी पीठ में मामला दायर किया गया है।

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधिकरण ने 7 मार्च, 2025 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), इको वेस्ट मैनेजमेंट, एमओईएफसीसी और गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 21 मार्च, 2025 को होगी।

शिकायत में कहा गया है कि इको वेस्ट मैनेजमेंट (ईडब्ल्यूएम) कचरे का उचित तरीके से निपटान नहीं कर रहा है। इसकी वजह से प्लॉट संख्या 201-204, जीआईडीसी पालेज, भरूच, गुजरात में 800-1,000 ट्रक खतरनाक कचरा जमा हो गया है।

गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) ने इको वेस्ट मैनेजमेंट को 31 दिसंबर, 2027 तक के लिए वैध परमिट दिया है।

आवेदक की ओर से पेश वकील ने कहा है कि कचरे से बहुत तेज गंध आ रही है। इसकी वजह से आस-पास के इलाके प्रभावित हो रहे हैं। इससे आग लगने और भूजल के दूषित होने का भी खतरा पैदा हो गया है।

8 अगस्त, 2023 को दौरे के दौरान उल्लंघन पाए जाने के बाद जीपीसीबी ने इको वेस्ट मैनेजमेंट (ईडब्ल्यूएम) को 13 सितंबर, 2023 को बंद करने का आदेश दिए गए थे। आवेदक को आशंका है कि जीपीसीबी ने साइट का निरीक्षण किए बिना ही परमिट को मंजूरी दे दी होगी।

आवेदक ने अनुरोध किया है कि जीपीसीबी यह सुनिश्चित करे कि खतरनाक कचरे का सुरक्षित परिवहन, उपचार और निपटान पर्यावरण की दृष्टि से उचित तकनीक (ईएसटी) का उपयोग करके किया जाए। इसकी लागत को इको वेस्ट मैनेजमेंट (ईडब्ल्यूएम) से वसूल की जानी चाहिए।