प्रदूषण

शहरों से वायु प्रदूषण खत्म करने के लिए करने चाहिए ये काम: अध्ययन

Dayanidhi

इंग्लैंड के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा है कि यदि किसी भी शहर में बनने वाले घरों और इलाकों को सही से विकसित किया जाए तो वायु प्रदूषण के प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। यह पेपर जर्नल एनवायरनमेंट इंटरनेशनल में प्रकाशित हुआ है। 

इंग्लैंड की सर्वेयर यूनिवर्सिटी के ग्लोबल सेंटर फॉर क्लीन एयर रिसर्च (जीसीआरईआर) ने वायु प्रदूषण, ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और मानव स्वास्थ्य आपस में किस तरह जुड़े हैं, इस पर तीन अलग-अलग क्षेत्रों में अध्ययन किए हैं। अध्ययन में कहा गया है कि घर बनाने वाले डेवलपर्स, शहरों की योजनाएं बनाने वाले प्लानर्स और राजनेताओं को इस बात की जानकारी होने चाहिए कि शहरों को इस तरह से बसाया जाए, जिससे पर्यावरण को नुकसान न हो।

सर्वेयर विश्वविद्यालय में जीसीएआरई के निदेशक और प्रमुख अध्ययनकर्ता, प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने कहा कि ब्रिटेन में हर साल 3 लाख घर बनाने की जरूरत है। दुनिया भर के लगभग सभी बड़े शहरों में हर साल नए घर बनाने का दबाव रहता है। ऐसे में, घरों को बनाने से पहले हमें उन डेवलपर्स और योजनाकारों को सूचीबद्ध करना होगा, जो घर बानाने के साथ-साथ वायु प्रदूषण, उसके प्रभावों को किस तरह कम किया जाए इस बारे में जानकारी रखते हो, उन्हें ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर को लागू करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है इस बारे में जानकारी होनी चाहिए। निर्माण सम्बंधित दिशानिर्देश भी स्पष्ट होने चाहिए जिसका वो आसानी से पालन कर सकें।

यूएन 2014, के अनुसार सन 2050 तक दुनिया की आबादी के 66 फीसदी लोग शहरों में रहेंगे, इसका मतलब है कि हमें इन आवासों के निर्माण में यदि ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर को लागू नहीं किया गया तो दुनिया भर में वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन बढ़ेगा।

एक साधारण काम जैसे सड़क के किनारे हेज लगाना जितना आसान लगता है, उससे बहुत अधिक कठिन है, क्योंकि योजनाकारों को यह निर्णय लेना होगा कि उक्त स्थान पर कौन से पौधों की प्रजाति लगेगी, उसको कितने पानी की आवश्यकता होगी, वायु प्रदुषण खिलाफ कैसे लड़ेगा आदि ताकि उससे हमें अधिकतम लाभ मिल सकें। जहां तक संभव हो, हमें जितना हो सके योजनाकारों के लिए इस तरह के निर्णयों को आसान बनाने की आवश्यकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि वायु प्रदूषण, ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और मानव स्वास्थ्य आपस में कैसे जुड़े हैं, इसकी बेहतर समझ बनाने के लिए लगातार अध्ययन जारी हैं। वायु प्रदूषण और जलवायु संकट को दूर करने के लिए यह एक बहुत बड़ा प्रयास है, साथ ही भविष्य में हम इन संकटों से छुटकारा पाने का लक्ष्य भी प्राप्त कर लेगें।