प्रदूषण

सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण प्राधिकरणों के प्रभावी कामकाज के लिए जारी किए दिशानिर्देश, नियमित ऑडिट को बताया जरूरी

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पर्यावरण कानूनों को लागू करने वाले इन निकायों और प्राधिकरणों को अपने कामकाज में जवाबदेह, पारदर्शी और कुशल होना चाहिए

Susan Chacko, Lalit Maurya

सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी, 2024 को देश में पर्यावरण नियामक निकायों और प्राधिकरणों के कामकाज को प्रभावी बनाने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि पर्यावरण कानूनों को लागू करने वाले निकायों और प्राधिकरणों को अपने कामकाज में जवाबदेह, पारदर्शी और कुशल होना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए यह दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारियां संभालने वाले निकायों, प्राधिकरणों, नियामकों और कार्यकारी संस्थानों को मिलकर एक टीम की तरह काम करना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक पारिस्थितिकी की सुरक्षा, बहाली और विकास के लिए इन निकायों और प्राधिकरणों का प्रभावी रूप से काम करना बेहद जरूरी है। अदालत ने इनके नियमित ऑडिट को भी महत्वपूर्ण बताया है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कौन इन प्राधिकरणों का सदस्य हो सकता है, उनकी योग्यताएं क्या होनी चाहिए, वे कितने समय तक रह सकते हैं और उन्हें कैसे चुना या हटाया जाता है, इसके स्पष्ट नियम होने चाहिए।

इनके कामकाज में निरंतरता बनी रही इसके लिए इनमें निरंतर नियुक्तियां होनी चाहिए। इन समूहों में ऐसे लोग नियुक्त होने चाहिए जो पर्यावरण के बारे में बहुत कुछ जानते हों और जिनके पास कुशल कामकाज के लिए अपेक्षित ज्ञान और  तकनीकी विशेषज्ञता हो।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आगे कहा है कि इन निकायों और प्राधिकरणों को पर्याप्त धन मिलना चाहिए, और उन्हने कितना फण्ड मिलेगा वो स्पष्ट होना चाहिए। इसके अलावा सार्वजनिक सुनवाई के क्या नियम है और निर्णय कैसे लिए जाते हैं, अपील करने का अधिकार और उन्हें कितने समय के भीतर अधिसूचित किया जाएगा, इसकी तय समय सीमा होनी चाहिए।

सनशाइन फैक्ट्री में आग लगने से हुई छह लोगों की हुई दुखद मौत, मुआवजे की जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने एक संयुक्त समिति से मुआवजे के मामले की जांच करने को कहा है। पूरा मामला महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर का है, जहां एक दस्ताना बनाने वाली फैक्ट्री में आग लगने से हुई त्रासदी में छह लोगों की मौत हो गई थी।

इस समिति में महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि के साथ-साथ संभाजीनगर के कलेक्टर और महाराष्ट्र औद्योगिक सुरक्षा के निदेशक शामिल होंगें। कोर्ट ने इस समिति को साइट का दौरा करने के साथ-साथ प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने का निर्देश दिया है।

यह समिति इस मामले में एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत करेगी। कोर्ट ने मामले पर आगे की कार्यवाही के लिए उसे एनजीटी की पश्चिमी बेंच को स्थानांतरित कर दिया है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह आग सूती और चमड़े के दस्ताने बनाने वाली मशहूर सनशाइन फैक्ट्री में लगी थी।

इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने जो लोग हताहत हुए हैं उन्हें परिजनों को पांच लाख का मुआवजा देने की घोषणा की थी। हालांकि साथ ही अदालत ने पाया है कि रिपोर्ट में इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि इस मामले में इस फैक्ट्री मालिक की ओर से कोई मुआवजा दिया गया है।

एनजीटी में उठाया गया काली टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण का मुद्दा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 30 जनवरी को काली टाइगर रिजर्व के मुख्य हिस्से में हुए अवैध निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास का मुद्दा उठाया है।

इस मामले में कर्नाटक की ओर से पेश वकील का कहना है कि कथित निर्माण का पर्यटन से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह मुख्य क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा बनाया गया एक सुरक्षा शिविर है। ऐसे में उन्होंने संबंधित क्षेत्र में हुए निर्माण के बारे में जानकारी देने के लिए कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय मांगा है।

एनजीटी ने उनकी इस दलील को स्वीकार करते हुए 15 दिन का समय दिया है और मामले में आगे की कार्यवाही के लिए उसे एनजीटी की दक्षिणी बेंच को स्थानांतरित कर दिया है।