प्रदूषण

पटना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए बना दी योजना, लेकिन

बिहार की राजधानी पटना में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सीएनजी वाहनों को सब्सिडी दी जाएगी, लेकिन इस स्कीम पर सवाल उठ रहे हैं

Pushya Mitra

बिहार की राजधानी पटना में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिये सरकार इन दिनों कई योजनाओं के साथ आगे आयी है। इन्हीं योजनाओं में से एक है पटना में चलने वाले ऑटो और कैब में डीजल और पेट्रोल इंजन के बदलकर उन्हें सीएनजी और बैटरी चालित बनवाना, ताकि इनसे कम से कम वायु प्रदूषण हो। इसके लिये परिवहन विभाग ने ऑटो और कैब मालिकों को 20 से 40 हजार रुपये तक कि प्रोत्साहन राशि देने की योजना शुरू की है। इसके तहत लक्ष्य यह है कि 31 जनवरी 2021 तक राजधानी पटना में और 31 मार्च 2021 तक पटना से सटे दानापुर, खगौल, फुलवारी शरीफ के इलाकों में डीजल से चलने वाले ऑटो का परिचालन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जा सके। मगर दिक्कत यह है कि अभी पटना शहर में सिर्फ तीन ही सीएनजी रिफिल स्टेशन हैं, ई-रिक्शा चार्जिंग की भी कोई ढंग की व्यवस्था नहीं है।

बिहार सरकार ने ऐसा निर्णय राजधानी पटना में पिछले कुछ सालों से वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार गम्भीर बने रहने की वजह से मजबूर होकर लिया गया है। पिछले दो साल से पूरे वर्ष में एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा जिसमें पटना की आवोहवा को सांस लेने के लिये बेहतर माना जा सके। इस लिहाज से शहर के पर्यावरणविद इस फैसले को सही ठहरा रहे हैं।

इस योजना के तहत अगर कोई डीजल-पेट्रोल चलित ऑटो वाला उसे बदल कर नया सीएनजी ऑटो लेना चाहता है तो सरकार उसे 40 हजार रुपये का अनुदान देगी। अगर वह इसके बदले नया बैटरी वाला वाहन लेना चाहता है तो सरकार उसे 25 हजार रुपये का अनुदान देगी। अगर कोई भी डीजल या पेट्रोल चलित ऑटो वाला या कैब चालक अपने वाहन में सीएनजी किट लगवाना चाहता है तो सरकार की तरह से उसे 20 हजार रुपये तक अनुदान दिया जाएगा।

ऐसी सूचना है कि इस साल अमूमन 15 हजार ऑटो को सीएनजी में बदलने की योजना है। परिवहन विभाग इस अभियान में जुटा है। हालांकि पटना जिले में 2016 के आंकड़ों के मुताबिक कुल निबंधित 53 हजार ऑटो थे। पटना शहर में डीजल-पेट्रोल चलित ऑटो की कुल संख्या 22 हजार बतायी जा रही है, इसके अलावा तीन हजार ई-रिक्शा भी चल रहे हैं।

पटना में पर्यावरण के मसले पर काम करने वाली जानकार अंकिता पाश कहती हैं कि योजना निश्चित रूप से काफी अच्छी है, मगर मन में एक संशय है कि जरूरत के हिसाब के अगर सीएनजी रिफिल स्टेशन नहीं बढ़े तो अफरातफरी की स्थिति न बन जाये। अभी शहर में दो या तीन ही रिफिलिंग स्टेशन हैं। वे ई-रिक्शा के रिचार्जिंग की व्यवस्था नहीं होने की भी बात करती हैं। साथ ही वे कहती हैं कि ऑटो के साथ पीली बसों को भी सीएनजी में कनवर्ट किया जाना चाहिए।

हालांकि परिवहन विभाग का दावा है कि बहुत जल्द शहर में दो और सीएनजी रिफिलिंग स्टेशन खुलेंगे और उम्मीद है कि साल भर के भीतर यह संख्या 15 तक पहुंच जायेगी। फिर ऐसी दिक्कत नहीं होगी।