प्रदूषण

लगातार दूसरे दिन श्रीगंगानगर में जानलेवा रही हवा, जानिए देश के छोटे बड़े दूसरे शहरों में प्रदूषण का हाल

श्रीगंगानगर की तरह ही फरीदाबाद में भी प्रदूषण के स्तर में इजाफा हुआ है। हालांकि कल के मुकाबले दिल्ली की हवा साफ हुई है 

Lalit Maurya

श्रीगंगानगर में लगातार दूसरे दिन प्रदूषण का स्तर जानलेवा दर्ज किया गया है। आंकड़ों की मानें तो देश के दूसरे सभी शहरों को पीछे छोड़ श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 315 पर पहुंच गया है। कल के मुकाबले देखें तो वहां प्रदूषण के स्तर में 13 अंकों का उछाल आया है।

वहीं दूसरी तरफ देश में मदिकेरी की हवा सबसे ज्यादा साफ है, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरा है। श्रीगंगानगर में मौजूद प्रदूषण की तुलना यदि मदिकेरी से करें तो वहां हवा 12 गुणा ज्यादा खराब है।

इसी तरफ फरीदाबाद में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक में कल के मुकाबले 45 अंकों का उछाल आया है, जिसके बाद वहां एक्यूआई 257 पर पहुंच गया है। हालांकि राजधानी दिल्ली में कल से वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है। जहां 47 अंकों की गिरावट के साथ सूचकांक 178 दर्ज किया गया है।

आंकड़ों के मुताबिक जहां देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल से 67 फीसदी की गिरावट आई है। इसके बाद इन शहरों का आंकड़ा घटकर छह पर पहुंच गया है। इन शहरों में बांसवाड़ा (250), दौसा (261), धौलपुर (262), फरीदाबाद (257), फतेहाबाद (202), हिसार (213), शामिल हैं। हैरानी की बात है कि देश में जहां खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में गिरावट आई है।

साथ ही बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या भी कम हुई है। इन शहरों की संख्या भी कल से करीब नौ फीसदी घटी है। हालांकि इसके बावजूद देश के 32 शहरों में वायु गुणवत्ता अभी बेहतर बनी हुई है। इन शहरों में बरेली, बिलासपुर, चामराजनगर, चेन्नई, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कुड्डालोर, गंगटोक, हल्दिया, हावेरी, हावड़ा, कोलकाता, कोरबा, मदिकेरी, आदि शामिल हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देश के 123 शहरों में वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की भी पुष्टि की है। बता दें कि कल के मुकाबले देश में संतोषजनक वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में करीब 37 फीसदी का इजाफा हुआ है।

इन शहरों में देहरादून, देवास, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गया, गोरखपुर आदि शहर शामिल रहे। इसी तरह देश में बल्लभगढ़, बारबिल, बाड़मेर, भागलपुर, भरतपुर, भिवाड़ी, भिवानी, भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बूंदी, बर्नीहाट, चंडीगढ़, चित्तौड़गढ़, दिल्ली, धनबाद, धारूहेड़ा, धुले, डूंगरपुर, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, ग्वालियर, हनुमानगढ़, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, सहित 82 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर मध्यम श्रेणी में है। कल के मुकाबले देखें तो इन शहरों की संख्या भी करीब नौ फीसदी घटी है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 09 मई 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 244 में से 32 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 123 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 08 मई 2024 यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया था।

82 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही। वहीं छह शहरों बांसवाड़ा, दौसा, धौलपुर, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार आदि में स्थिति दमघोंटू है। दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (315) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के पार पहुंच गया है।   

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 47 अंक गिरकर 178 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 257, गाजियाबाद में 132, गुरुग्राम में 152, नोएडा में 161, ग्रेटर नोएडा में 178 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 70 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 101, चेन्नई में 46, चंडीगढ़ में 135, हैदराबाद में 64, जयपुर में 140 और पटना में 98 दर्ज किया गया।  

इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

बरेली (48) सहित देश के जिन 32 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 36, अमरावती 34, अंकलेश्वर 47, आरा 46, बागलकोट 46, बिलासपुर 46, चामराजनगर 47, चेन्नई 46, चिकबलपुर 48, चिक्कामगलुरु 50, कुड्डालोर 39, गंगटोक 41, हल्दिया 35, हावेरी 39, हावड़ा 36, कोलकाता 41, कोरबा 50, मदिकेरी 26, मंगलौर 49, पालकालाइपेरुर 31, पुदुचेरी 43, रायरंगपुर 48, राजमहेंद्रवरम 44, राजगीर 34, सतना 41, सूरत 29, तिरुवनंतपुरम 32, वापी 48, वाराणसी 28, विजयपुरा 42, और यादगीर 42 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अहमदनगर, अजमेर, अकोला, अंबाला, अमरावती, अनंतपुर, अररिया, आसनसोल, बदलापुर, बालासोर, बारां, बैरकपुर, बठिंडा, बेलापुर, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिहारशरीफ, बोईसर, ब्रजराजनगर, बुलन्दशहर, ब्यासनगर, चंद्रपुर, छाल, छपरा, चित्तूर, कटक, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हाजीपुर, हापुड़, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, इंदौर, जैसलमेर, जलना, जालौर, कलबुर्गी, कन्नूर, कानपुर, काशीपुर, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खुर्जा, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, लातूर, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मोतिहारी, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, मैसूर, नगांव, नागपुर, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, नयागढ़, पानीपत, परभनी, पटना, पिंपरी-चिंचवाड, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पूर्णिया, रायपुर, राजसमंद, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, रोहतक, राउरकेला, रूपनगर, सागर, सहरसा, सलेम, समस्तीपुर, सांगली, सासाराम, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सुआकाती, तालचेर, टेंसा, ठाणे, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, उदयपुर, उज्जैन, उल्हासनगर, वातवा, वेल्लोर, विजयवाड़ा, विरार, विशाखापत्तनम आदि 123 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।