वाराणसी के आलोकनगर कॉलोनी में पीएम सूर्यघर योजना के तहत 3 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाने वाले रवीश कुमार चौधरी। फोटो: वर्षा सिंह 
प्रदूषण

इस्तेमाल के बाद सोलर पैनल का नहीं हो रहा सही तरीके से डिस्पोजल, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

कानपुर के ग्रामीण क्षेत्र में समस्या के बाद एनजीटी को लिखा पत्र

Vivek Mishra

सोलर पैनल का इस्तेमाल करके उन्हें न तो सही से निस्तारित किया जा रहा है और न ही उनकी रिसाइकलिंग की जा रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में कानपुर नगर के एक गांव से भेजी गई पत्र याचिका पर केंद्र और राज्य प्राधिकरणों से इस मुद्दे पर जवाब तलब किया है।

एनजीटी में 23 दिसंबर, 2024 को जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने आकाश कुमार चंदेल के पत्र को याचिका की तरह स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई की।

फरियादी किसान का कहना है कि उनके गांव में कृषि क्षेत्रों में सिंचाई के लिए सोलर पैनल का उपयोग 2019 से कुसुम योजना के तहत किया जा रहा है। इस सोलर पैनल का एक जीवन चक्र है, उसके पूरा होने के बाद इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती और इन्हें स्क्रैप की तरह फेकने की आवश्यकता होती है। हालांकि, इसके उचित निस्तारण के लिए कोई बुनियादी संरचना मौजूद नहीं है।

किसान का आरोप है कि ये पैनल्स कृषि भूमि में दफन कर दिए जाते हैं या लैंडफिल में भेज दिए जाते हैं, जिससे मृदा गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

फरियादी ने कहा कि स्क्रैप डीलर केवल एल्यूमीनियम, तांबा और कांच के घटकों को स्वीकार करते हैं। बाकी सामग्री, जैसे पॉलिमर, सिलिकॉन और अन्य पदार्थ गैर-पुनर्चक्रणीय होते हैं और इन्हें लैंडफिल में भेजा जाता है। वहीं, पीवी पैनल में लेड और कैडमियम जैसे भारी धातु होते हैं, जो मिट्टी और पानी में मिलकर दीर्घकालिक पर्यावरणीय नुकसान कर सकते हैं। जबकि क्षेत्र में खराब हो चुके सोलर पैनल्स के सुरक्षित निस्तारण या पुनर्चक्रण के लिए कोई स्थापित तंत्र नहीं है।

एनजीटी ने कहा कि पत्र याचिका में पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं। विशेष रूप से 2022 के ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियमों के कार्यान्वयन को लेकर। इसलिए इस मामले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) सदस्य सचिव, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्य सचिव और पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव नोटिस का जवाब 10 फरवरी से पहले दाखिल करें।