प्रदूषण

स्मॉग रिटर्न : दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 आपात स्तर में दाखिल

Vivek Mishra

दिल्ली-एनसीआर की हवा में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। फिर से धुंध और धुएं का मिश्रण यानी स्मॉग आने का खतरा बना है। लगातार 9 नवंबर से खराब हो रही हवा 12 नवंबर को गंभीर स्तर में दाखिल हो गई। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के केंद्रीय निगरानी कक्ष के मुताबिक खतरनाक और नुकसानदेह पार्टिकुलेट मैटर 2.5 का स्तर 12 बजे इमरजेंसी लेवल (300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) को पार कर गया।

यदि यह प्रदूषक 48 घंटे तक लगातार 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर या उससे ऊपर बना रहेगा तो स्कूल-उद्योग, निर्माण आदि को बंद करने से लेकर आपात स्तर के सभी कदम फिर से उठाने होंगे। वैसे भी सम-विषम जैसा आपात कदम लागू है लेकिन इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर की हवा में सुधार नहीं हो पाया है। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 24 घंटों के आधार पर 12 नवंबर को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 425 रहा। 401 से 500 का एक्यूआई स्तर का अर्थ होता है गंभीर प्रदूषण। यही हाल दिल्ली से लगे यूपी और हरियाणा के शहरों का भी है। यूपी में नोएडा का एक्यूआई 440 , ग्रेटर नोएडा का 436, गाजियाबाद का 453 है। वहीं, हरियाणा में फरीदाबाद 406, फतेहाबाद 403, गुरुग्राम 402, हिसार 445, जींद 446, मानेसर 410, पानीपत का एक्यूआई 458 है।

केंद्रीय पृथ्वी मंत्रालय के अधीन वायु प्रदूषण की निगरानी करने वाली एजेंसी सफर के मुताबिक 03 नवंबर को सबसे ज्यादा पराली जलाई गई थी और इसी दिन दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया था तब प्रदूषण में पराली जलाए जाने की हिस्सेदारी 25 फीसदी थी। वहीं, इस वक्त भी दिल्ली-एनसीआर में पराली जलाए जाने की हिस्सेदारी 25 फीसदी ही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 09 नवंबर से तीनों राज्यों में लगातार पराली जलाने की घटनाओं में जबरदस्त बढोत्तरी हुई है। 

आंकड़ों से स्पष्ट है कि बीते तीन दिनों में तीनों राज्यों में खूब पराली जलाई गई है, जिसका असर दिल्ली-एनसीआर की हवा पर भी देखा जा सकता है। तीनों राज्यों में 09 नवंबर को पराली जलाने की 2,298 घटनाएं दर्ज हुईं जबकि 10 नवंबर को 2,344 घटनाएं दर्ज की गईं। 11 नवंबर को 1,035 घटनाएं ही पराली जलाने की दर्ज की गई हैं। 09 और 10 नवंबर को तीनों राज्यों में जबरदस्त पराली जलाई गई। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की सेटेलाइट इमेज से यह पता चलता है कि सिर्फ उत्तर ही नहीं अब मध्य और दक्षिण भारत की तरफ भी खेतों में आग की घटनाएं दर्ज हो रही हैं। किसानों के पास अब खेत खाली करने के लिए बहुत थोड़ा वक्त बचा है, वहीं जहां पर खेती देर से हुई वहां देर से पराली जलाई  जा रही है। एक अक्तूबर से लेकर 11 नवंबर तक इन तीन राज्यों में कुल 53,873 घटनाएं पराली जलाने की दर्ज हो चुकी हैं। इनमें सबसे ज्यादा पंजाब में पराली जलाई गई। अकेले पंजाब में ही 45,691 खेतों में आग लगने या पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई हैं।  जबकि हरियाणा में 5793 और यूपी में 2443 घटनाएं हुई हैं। 

केंद्रीय एजेंसी सफर के मुताबिक दिल्ली की हवा में प्रदूषण बढ़ने का कारण मौसम भी है। आद्रता बेहद ज्यादा है और हवा की गति मंद है और उत्तर-पश्चिमी हवाएं यहां के प्रदूषण को बढ़ा रही हैं। अगले दो दिन दिल्ली-एनसीआर में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बदरी छाई रह सकती है, हालांकि बारिश होने की कोई उम्मीद नहीं है। फिर भी मौसम में सुधार के साथ पराली जलाने की घटनाएं यदि कम होती हैं तो अगले दो दिन बाद हवा की गुणवत्ता में सुधार को देखा जा सकता है।