प्रदूषण

दिल्ली की सर्दी में कम हुआ स्मॉग, स्थानीय प्रदूषण बढ़ा रहा मुश्किलें

लॉकडाउन के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की सर्दी का विश्लेषण बेहद खास था। सीएसई के इस विश्लेषण ने स्थानीय प्रदूषण की समस्या को उजागर किया है।

Vivek Mishra

दिल्ली और एनसीआर में सर्दियों 15 अक्तूबर से 1 फरवरी के दौरान घातक हो जाने वाली वायु प्रदूषण की अवधि बीत चुकी है।  हालांकि, 2020 की दिल्ली-एनसीआर की सर्दी ने वायु प्रदूषण के रुझान का एक नया और मिश्रित संकेत दिया है।  सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) के ताजा अध्ययन के मुताबिक 2019 की तुलना में 2020 की  सर्दी के दौरान स्मॉग के असर और अवधि दोनों में कमी दर्ज की गई वहीं, सीजनल पॉल्यूशन यानी मौसमी प्रदूषण में बढ़ोत्तरी भी हुई है।  

सर्दियों के दौरान होने वायु प्रदूषण की प्रवृत्ति को देखना हमेशा एक नई समझ देता है।  इस वर्ष महामारी के कारण यह साल बेहद जटिल रहा। क्योंकि यह तथ्य पहले से है कि यहां ठंडी हवाए और ठंडा मौसम स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण को और जटिल बना देती है जो आखिरकार जानलेवा स्मॉग को बढ़ाने वाला सबित होता है। दिल्ली-एनसीआर में लोग स्मॉग से काफी परिचित हैं। हालांकि, इस बार वायु प्रदूषण के आंकड़ों ने क्षेत्रीय और स्थानीय प्रदूषण की तरफ खास इशारा किया है।  

सीएसई की  कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि 2015-2020 के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई स्तर पर कदम उठाए गए हैं जिसमें कंप्रीहेंसिव क्लीन एयर एक्शन प्लान (सीसीएएप) और जीआरएपी शामिल हैं, जिसका निश्चित ही लंबी अवधि (साल-दर-साल के आधार पर) में प्रभाव पड़ा है। इंडस्ट्री और ट्रांसपोर्ट में स्वच्छ ईंधन को प्रोत्साहित किए जाने और पावर प्लांट, ट्रकों पर पाबंदी, पुराने वाहनों पर सख्ती जैसे कदमों ने पीएम 2.5 के सांद्रण को कम करने में सहयोग दिया है। साथ ही स्थानीय और क्षेत्रीय प्रदूषण को उजागर भी किया है। यह मांग करता है कि हमें सभी स्रोतों से स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर प्रदूषण को कम करने के लिए व्यापक स्तर पर तेज गति के साथ कदम उठाना होगा।

सीएसई ने इस वर्ष दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के दौरान वायु प्रदूषण की स्थिति को जानने के लिए अपने ताजा अध्ययन के लिए विभिन्न एजेंसियों और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आधिकारिक ऑलाइन पोर्टल केंद्रीय नियंत्रण कंक्ष (सीसीआर) से (15 मिनट के आधार पर) जुटाए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इसमें 81 मॉनिटरिंग स्टेशन के आंकड़े शामिल हैं। इसके अलावा सर्दियों के दौरान फसल अवशेष में आग की घटनाओं के आंकड़े सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) से जुटाए हैं। साथ ही मौसम के आंकड़े पालम स्थित भरतीय मौसम विभाग से लिए गए हैं।

सीएसई के अर्बन लैब टीम के अविकल सोमवंशी ने कहा कि साल-दर-साल के आधार पर दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर गिर रहा है। ऐसे में सर्दियों के दौरान पीक पर पहुंचने वाले प्रदूषण के प्रभाव को थोड़ा कम करने में यह मददगार बन रहा है। वायु प्रदूषण की प्रवृत्ति में 2018 से बदलाव जारी है।  

 ऐसे किया गया अध्ययन

दिल्ली के 40 निगरानी स्टेशन, गाजियाबाद नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में चार-चार स्टेशन, मेरठ में तीन और ग्रेटर नोएडा में दो स्टेशन के आंकड़ों का इस्तेमाल विश्लेषण में किया गया है। सभी स्टेशनों पर आंकड़ों की उपलब्धता 75 फीसदी रही है।  

अध्ययन के नतीजे

इस सर्दी में गंभीर और बहुत खराब स्तर वाले प्रदूषण के दिन व पीएम 2.5 का सांद्रण (एक्यूआई के आधार पर) कम रहा है। हालांकि खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों की संख्या बढ़ी है। जबकि शहरवार सीजनल औसत प्रदूषण ज्यादा रहा है। यदि दिल्ली की बात करें तो 2019-20 की सर्दी की तुलना में इस वर्ष 2020-2021 की सर्दी में प्रदूषण 186 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा जो कि बीते वर्ष की तुलना में 7 फीसदी ज्यादा है। हालांकि सीजन में पीक (उच्चतम) प्रदूषण बीते वर्ष सर्दी की तुलना में 8 फीसदी कम है।

सीएसई के एक्सपर्ट अविकल सोमवंशी के मुताबिक समग्र तरीके से सीजनल औसत प्रदूषण का ज्यादा होना और पीक प्रदूषण का कम होना मौसमी प्रभावों और फसल अवशेषों को जलाए जाने की प्रवृत्ति में बदलाव से संभव है। लेकिन शहर के यदि व्यक्तिगत स्टेशनों की बात करें तो जहां काफी अंतर आया है वहां स्पष्ट तौर पर स्थनीय प्रदूषण स्रोतों का पता चलता है।

2020-21 रहा बेहतर

शहरवार औसत प्रदूषण के मामले में इस सर्दी में एक्यूआई श्रेणी में 23 दिन ही पीएम 2.5 का प्रदूषण गंभीर या बेहद खराब रहा जबकि 2019-20 में यह 25 दिन था और 2018-19 में 33 दिन था। वहीं स्मॉग की अवधि में भी कमी आई है। 2019 में जहां 3 स्मॉग अवधि थी वहीं इस बार महज 2 स्मॉग अवधि रही। इस बार बीते वर्षों की तुलना में स्मॉग के दिन भी कम रहे।

एनएसआई द्वारका, वजीरपुर, शादीपुर जैसे 12 वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों पर सीजनल औसत प्रदूषण बीते वर्ष की तुलना में काफी बेहतर रहा। जबकि पटपड़गंज, विवेक विहार, आरके पुरम (सभी आवासीय क्षेत्र) में सीजनल एवरेज पॉल्यूशन काफी ज्यादा गौर किया गया। पश्चिमी दिल्ली के ज्यादातर स्टेशन पर वायु गुणवत्ता में सुधार पाया गया जबकि उत्तरी और पूर्वी दिल्ली के निगरानी स्टेशनों में पीएम 2.5 का स्तर उच्च पाया गया। वहीं, पास-पास स्टेशन के बीच वायु गुणवत्ता के आंकड़ों में काफी अंतर रहा।   

मसलन बीते सर्दी के मुकाबले शादीपुर स्टेशन पर 34 फीसदी वायु गुणवत्ता में सुधार दिखा लेकिन उसके ठीक बगल पूसा आईएमडी स्टेशन पर वायु गुणवत्ता 13 फीसदी खराब हुई। इसका स्पष्ट संकेत है कि स्थानीय प्रदूषण के कारण प्रदूषण में बढ़ोत्तरी हुई जो हर स्टेशन पर अलग-अलग प्रभाव के तौर पर आंकड़ो मे दिखाई देती है।

वजीरपुर और साहिबाबाद को छोड़कर दिल्ली-एनसीआर के पॉल्यूशन हॉटस्पाट की सूची में 18 में 16 की वायु गुणवत्ता खराब हुई। बीती सर्दी की तुलना में इस वर्ष निगरानी स्टेशनों पर पीएम 2.5 सीजनल स्तर में बढ़ोत्तरी पाई गई। हॉटस्पाट में सबसे ज्यादा खराब स्थिति जहांगीरपुरी की रही। 256 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर। बहादुरगढ़ में 50 फीसदी पीएम 2.5 की स्थिति में सुधार हुआ।

सीजनल औसत जिन जगहों पर ज्यादा पाया गया उनमें 14 स्थान शामिल हैं। दिल्ली में अलीपुर, डीटीयू, आईटीओ, नेहरु नगर, पटपड़गंज, सोनियाविहार, विवेक विहार व नोएडा में सेक्टर 1 और 116 और  गाजियाबाद में लोनी, संजय विहार और इंदिरापुरम ग्रेटर नोएडा में नॉलेज पार्क पांच, व बुलंदशहर स्थानीय प्रदूषण की जद में हैं। सीजनल प्रदूषण की बढ़ोत्तरी के मामले में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर गाजियाबाद है।