2022 से कई आदेश जारी करने के बाद भी लोनी में आवासीय कॉलोनी से निकल रहे सीवेज का उचित तरीके से निपटान नहीं किया गया। इसकी वजह से आसपास के इलाके में जलभराव हो रहा है। मामला गाजियाबाद में लोनी की पूजा कॉलोनी से जुड़ा है।
अदालत को जानकारी दी गई है कि पूजा कॉलोनी से निकले सीवेज का उपचार नहीं किया जा रहा और नियमों को ताक पर रख उसे खुले में छोड़ा जा रहा था। ट्रिब्यूनल ने इस मामले में 12 जुलाई, 2024 को कहा है कि वहां स्पष्ट रूप से पर्यावरण संबंधी कानूनों, विशेष रूप से जल अधिनियम 1974 और वायु अधिनियम 1981 के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन किया गया है।
वहीं उत्तर प्रदेश जल निगम के प्रबंध निदेशक का कहना है कि इन कानूनों का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी लोनी नगर पालिका परिषद, गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और उत्तर प्रदेश शहरी विकास विभाग की है।
मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत के समक्ष कुछ दस्तावेज प्रस्तुत किए है। इसमें बताया गया है कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को पत्र भेजे गए थे।
अदालत का कहना है कि इन दस्तावेजों से यह नहीं पता चलता कि मामले में कोई ठोस प्रगति हुई है। साथ ही इस मामले में उचित समय सीमा भी नहीं रखी गई है। इसके अलावा, शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हालांकि सरकार की ओर से पेश वकील ने विस्तृत तथ्यों के साथ एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा है। अदालत ने उनका यह अनुरोध स्वीकार कर लिया है।
संयुक्त समिति ने 21 नवंबर, 2022 को पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जब उन्होंने इस साइट का दौरा किया तो वहां जलभराव देखा गया, पूजा कॉलोनी से सीवेज आ रहा था और ग्रीन बेल्ट पर कचरा भी डंप किया गया था।
संयुक्त समिति ने सुझाव दिया है कि आवासीय क्षेत्र से निकलने वाले सीवेज को ड्रेनेज सिस्टम के माध्यम से पास के ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाना चाहिए। वहीं पैदा हो रहे ठोस कचरे का निपटान ग्रीन बेल्ट पर नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही मौजूदा कचरे को नगरपालिका ठोस अपशिष्ट नियम, 2016 के अनुसार सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सीवेज निपटान के लिए एक उचित सीवर लाइन स्थापित की जानी चाहिए।