प्रदूषण

वैज्ञानिकों ने सिंगल यूज प्लास्टिक से बनाए कई प्रोडक्ट्स

Dayanidhi

वैज्ञानिकों ने सिंगल यूज प्लास्टिक से तरल उत्पाद, जैसे मोटर तेल, लुब्रिकेंट, डिटर्जेंट और यहां तक कि सौंदर्य प्रसाधन में बदलने की एक नई विधि विकसित की है। यह खोज वर्तमान रीसाइक्लिंग के तरीकों में भी सुधार लाएगी। यह उत्प्रेरक नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, अमेरिका, नेशनल लेबोरेटरी एंड एमएस लेबोरेटरी की टीमों ने तैयार की है।  

यह अध्ययन एसीएस सेंट्रल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन टीम के सदस्य नॉर्थ वेस्टर्न के केनेथ आर. पोपेलमीयर ने कहा कि इस विधि से प्लास्टिक को इस तरह से विकसित किया जाएगा कि वे पर्यावरण और इंसान को कम से कम नुकसान पहुंचाए।

हर साल दुनिया भर में 38 करोड़ टन प्लास्टिक बनाया जाता है और बाजार में प्लास्टिक की वृद्धि लगातार जारी है। विश्लेषकों का अनुमान है कि 2050 तक इसका उत्पादन चार गुना बढ़ जाएगा। इन प्लास्टिक सामग्रियों में से 75 फीसदी से अधिक को एक बार उपयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है। जो महासागरों और जलमार्गों में समा जाते हैं, वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहा जाता है।

जब प्लास्टिक को लैंडफिल में छोड़ दिया जाता है तो यह खराब नहीं होता है, क्योंकि यह बहुत मजबूत कार्बन- कार्बन बांड से जुड़े होते हैं। ये छोटे प्लास्टिक में टूट जाते हैं, जिसे माइक्रोप्लास्टिक्स के रूप में जाना जाता है। डेलफेरो ने कहा कि उत्प्रेरक के माध्यम से पॉलीथीन को हमने उत्पादों में बदल दिया है।

इस उत्प्रेरक में प्लैटिनम नैनोपार्टिकल्स होते हैं, जो सिर्फ दो नैनोमीटर आकार के होते हैं, ये नैनोक्यूब पर जमा होते हैं, जो लगभग 50-60 नैनोमीटर के बराबर होते हैं।

उत्प्रेरक ने कम दबाव और तापमान पर प्लास्टिक के कार्बन-कार्बन बांड को तोड़ दिया, इससे तरल हाइड्रोकार्बन तैयार हुआ। इन तरल पदार्थों का उपयोग मोटर तेल, लुब्रिकेंट या वैक्स में किया जा सकता है या आगे इनसे डिटर्जेंट और सौंदर्य प्रसाधन के लिए सामग्री बनाने के लिए तैयार किया जा सकता है। 

सबसे अच्छा यह है कि उत्प्रेरक विधि ने उत्पाद बनाने की प्रक्रिया में ना के बराबर कचरा उत्पन्न किया। इसके विपरीत रीसाइक्लिंग के तरीके जो प्लास्टिक को पिघलाते हैं या पारंपरिक उत्प्रेरक का उपयोग करते हैं वे ग्रीनहाउस गैसों और विषाक्त उत्पाद को उत्पन्न करते हैं।