प्रदूषण

कार्बन मोनोऑक्साइड का सुरक्षित स्तर भी पहुंचा सकता है स्वास्थ्य को नुकसान

Lalit Maurya

वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में हुई थोड़ी सी भी वृद्धि उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों को बढ़ा सकती है| यह जानकारी येल विश्वविद्यालय द्वारा दुनिया के 337 शहरों से एकत्र किए आंकड़ों के विश्लेषण में सामने आई है| यही नहीं शोध के अनुसार जिसे हम स्वास्थ के लिए सुरक्षित स्तर मानते हैं, कार्बन मोनोऑक्साइड की उतनी मात्रा भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है| इससे जुड़ा शोध आज जर्नल लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में प्रकाशित हुआ है|

यह शोध येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से जुड़े काई चेन के नेतृत्व में किया गया है| जिसमें शोधकर्ताओं ने 1979 से 2016 के दौरान हुई 4 करोड़ मौतों के आंकड़ों का एक सांख्यिकीय मॉडल की मदद से विश्लेषण किया है| शोध के अनुसार वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) के स्तर में थोड़ी सी भी वृद्धि जानलेवा साबित हो सकती है| यही नहीं हम इसके लिए जारी जिन वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों को स्वास्थ्य के लिए बेहतर समझते थे, उस स्तर में थोड़े समय के लिए भी रहना मृत्यु की सम्भावना को बढ़ा सकता है|

क्या कुछ निकलकर आया अध्ययन में सामने

शोध के अनुसार कुल मिलकर पिछले दिन के औसत की तुलना में यदि कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा में 1 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की वृद्धि होती है, तो इससे कुल मृत्युदर में 0.91 फीसदी की वृद्धि हो सकती है| ऐसे में यातायात और अन्य कारणों से उसर्जित हो रही सीओ की मात्रा में कमी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है|

यदि अमेरिका में कार्बन मोनोऑक्साइड के लिए जारी वायु गुणवत्ता मानक को देखें तो उसका दैनिक औसत लगभग 7 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक वर्ग मीटर है जो 1971 में स्थापित किया गया था| जिसमें तबसे लेकर आज तक कोई बदलाव नहीं किया गया है| यह मानक यूरोप और अन्य देशों पर भी लागु है| जबकि चीन में सीओ के लिए जारी दैनिक मानक 4 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक वर्ग मीटर है|

शोध से पता चला है कि यदि वायु में इसकी दैनिक औसत मात्रा 0.6 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक वर्ग मीटर से भी कम होती है तो भी इस बात के कोई सबूत नहीं है कि उसे सुरक्षित समझा जा सके| चेन के अनुसार लाखों लोग ऐसे वातावरण में रहते हैं जहां सीओ का स्तर मानकों से कहीं ज्यादा है जबकि जहां वातावरण में सीओ का स्तर सुरक्षित सीमा में माना जाता है, वहां भी यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है|

ऐसे में जरुरी है कि वैश्विक स्तर पर कार्बन मोनोऑक्साइड के लिए जारी वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों पर गौर किया जाए और उनमें जरुरी बदलाव किए जाएं| इसके साथ ही परिवहन सम्बन्धी नीतियों पर भी पुनर्विचार की आवश्यकता है| 

क्या होती है कार्बन मोनोऑक्साइड

कार्बन मोनोऑक्साइड एक रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन ज्वलनशील गैस है| जो हवा से कम सघन होती है। वातावरण में इस गैस के उत्सर्जन के लिए बहुत हद तक हम इंसान ही जिम्मेवार हैं| पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद लगभग आधी कार्बन मोनोऑक्साइड जीवाश्म ईंधन और बायोमास (जैसे जंगल और झाड़ियों) के जलने से है। जबकि बाकी का हिस्सा इंसानी गतिविधियों और पौधों द्वारा उत्सर्जित कार्बनिक यौगिकों के साथ रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण आता है। यह गैस जलवायु परिवर्तन के लिए भी जिम्मेवार होती है|