प्रदूषण

शहरों के वायु प्रदूषण को कम करने में अहम भूमिका निभाती है रिमोट सेंसिंग तकनीक

सेंसर द्वारा पहचाने गए अधिक उत्सर्जन करने वाले वाहनों में सुधार करने से हाइड्रोकार्बन में 22, कार्बन मोनोऑक्साइड में 47 और नाइट्रिक ऑक्साइड में 39 फीसदी की कमी की जा सकती है

Dayanidhi

दुनिया भर में शहरी वातावरण में वायु प्रदूषण का सबसे अहम स्रोत वाहनों से फैलने वाला उत्सर्जन है। लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन वाहनों का पता लगाना और नियंत्रण करना बहुत जरूरी है।

अब अधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का पता लगाने के लिए सड़क के किनारे उत्सर्जन सेंसर लगाए जाते हैं। इन्हें अपनाने वाले शहरों मे, इन वाहनों का निरीक्षण, मरम्मत और सुधार कार्यक्रम लागू किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया से शहरी वायु गुणवत्ता में काफी सुधार किया जा सकता है।

दुनिया भर के शहरी वातावरण में वाहनों का उत्सर्जन वायु प्रदूषण का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। यह जलवायु और लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालता है। वायु प्रदूषण को कम करना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में से एक है।

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी (यूटीएस) के प्रोफेसर जॉन झोउ कहते हैं कि कार से निकलने वाले धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसी जहरीली गैसें होती हैं, जो फेफड़ों के कैंसर, दिल पर आघात लगने, अस्थमा और अन्य बीमारियों को जन्म देती है।

उन्होंने कहा रिमोट सेंसिंग उपकरण वाहनों से निकलने वाले रासायनिक सांद्रता को मापने के लिए एक सेंसर और लाइट बीम का उपयोग करता है। एक कैमरा लाइसेंस प्लेट को रिकॉर्ड करता है, इसलिए वाहनों का निरीक्षण और मरम्मत और सुधार करने के लिए पहचाना जा सकता है।

यद्यपि नई कारों पर उत्सर्जन मानकों को पूरा करने का ध्यान दिया जाता है। जबकि पुरानी कारों, काफी अधिक चल चुके वाहनों और उनमें बदलाव किया गया हो, या अच्छी तरह से रखरखाव नहीं किया गया हो। इस तरह के वाहनों का उत्सर्जन स्तर काफी अधिक हो सकता है, जिससे वायु प्रदूषण का स्तर भी बहुत अधिक हो सकता है।

हांगकांग के रिमोट सेंसिंग प्रवर्तन कार्यक्रम की सटीकता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया। इसके लिए यूटीएस के शोधकर्ताओं ने हांगकांग पर्यावरण संरक्षण विभाग (एचकेईपीडी) और हांगकांग व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद के साथ सहयोग किया।

उन्होंने सितंबर 2014 से दिसंबर 2018 में कार्यक्रम की शुरुआत से आंकड़ों की जांच की, जिसमें 150 से अधिक निगरानी करने वाली जगहों में से लगभग 29 लाख वाहन शामिल थे। उन्होंने वायु गुणवत्ता निगरानी और चेसिस डायनेमोमीटर परीक्षण के आंकड़ों की भी जांच की।

रिमोट सेंसिंग द्वारा कुल 16,365 बहुत अधिक उत्सर्जक एलपीजी और पेट्रोल वाहनों की पहचान की गई। इनके सुधार और उत्सर्जन परीक्षण के लिए नोटिस जारी किए गए। उनमें से 96.3 फीसदी से अधिक उत्सर्जक की सफलतापूर्वक मरम्मत की गई और बाद में हांगकांग उत्सर्जन परीक्षण (एचकेटीईटी) ने उन्हें पास किया।

इनमें से केवल 1.4 फीसदी वाहन एचकेटीईटी के उत्सर्जन परीक्षण में विफल रहे और 2.3 फीसदी वाहनों ने परीक्षण नहीं करवाया, जिससे 558 वहनों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए।

अध्ययन में पाया गया कि हांगकांग के रिमोट सेंसिंग प्रवर्तन कार्यक्रम ने सड़क के किनारे और वायुमंडलीय वातावरण में हानिकारक रसायनों के स्तर में महत्वपूर्ण और निरंतर कमी पाई है।

यह उच्च प्रदूषण वाले वाहनों की मरम्मत करने की कार्रवाइयों पर नजर रखने के साथ वाहन उत्सर्जन की माप को जोड़ने वाला अपनी तरह का पहला अध्ययन है। प्रमुख अध्ययनकर्ता युहान हुआंग ने कहा यह नीति निर्माताओं के लिए न केवल निगरानी बल्कि प्रवर्तन कार्यक्रमों को लागू करने के लिए अहम जानकारी भी प्रदान करता है।

शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जब सभी अधिक उत्सर्जन करने वाले वाहनों की मरम्मत की जाती है, तो कुल हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रिक ऑक्साइड को क्रमशः 22 फीसदी, 47 फीसदी और 39 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

एचकेईपीडी द्वारा किए गए बेसलाइन परीक्षण से पता चला है कि पेट्रोल और एलपीजी वाहनों के लिए कुल असफलता दर क्रमशः 13 फीसदी और 63 फीसदी थी। टैक्सी और हल्के बस बेड़े में अधिक उत्सर्जन करने वालों का प्रतिशत निजी कारों की तुलना में बहुत अधिक था।

अधिक उत्सर्जक सबसे खराब कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की सीमा से 10 गुना अधिक थे। पुराने वाहनों के उत्सर्जन मानकों के विफल होने के आसार अधिक थे, हालांकि कुछ नए वाहन भी विफल रहे।

600 चुने गए एलपीजी टैक्सियों पर एक छोटा मरम्मत या सुधार करने का कार्यक्रम किया गया। मरम्मत के बाद, इनमें उत्सर्जन विफलता की दर 63 फीसदी से घटकर 7 फीसदी हो गई। आवश्यक मरम्मत का लगभग 90 फीसदी थ्री-वे कैटेलिटिक कन्वर्टर्स (टीडब्ल्यूसी) और ऑक्सीजन सेंसर से संबंधित था।

हांगकांग सरकार ने बाद में टैक्सी और हल्के बस बेड़े में थ्री-वे कैटेलिटिक कन्वर्टर्स (टीडब्ल्यूसी) और ऑक्सीजन सेंसर को बदलने हेतु सब्सिडी देने के लिए एचकेटीईटी को 150 मिलियन डॉलर का वित्त पोषण प्रदान किया। इंजन की खराबी को ठीक करने से न केवल उत्सर्जन में कमी आई बल्कि ईंधन की खपत में भी सुधार हुआ।

शोधकर्ताओं ने बताया कि तकनीकी सेमिनार और प्रयोगशाला प्रदर्शन दोनों सहित ऑटोमोटिव उद्योग और मरम्मत करने वालों के लिए स्थापित प्रशिक्षण कार्यशालाएं कार्यान्वयन कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहीं।

शोधकर्ताओं ने मौजूदा चुनौतियों को भी उजागर किया है, जिसमें उत्सर्जन कटौती, सिंगल-लेन माप स्थलों की आवश्यकता और डीजल वाहनों में आवेदन की कमी शामिल है। अधिक संवेदनशील रिमोट सेंसिंग सिस्टम और वर्टिकल सिस्टम विकसित करने से इन मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी। यह अध्ययन ‘साइंस एडवांसेज जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है।