प्रदूषण

राजस्थान के बड़े शहरों के साथ कस्बों में बढ़ा वायु प्रदूषण, सीएसई का नया विश्लेषण

राजस्थान के शहरों में पार्टिकुलेट पोल्यूशन (कण प्रदूषण) लगातार बढ़ रहा है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन के स्तर में वृद्धि हो रही है

Anil Ashwani Sharma

राजस्थान के शहरों में पार्टिकुलेट पोल्यूशन (कण प्रदूषण) लगातार बढ़ रहा है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसे कई गैसीय प्रदूषकों के स्तर में वृद्धि के साथ एक बहु-प्रदूषक संकट उभरकर सामने आ रहा है। यह बात नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा किए नए विश्लेषण में कही गई है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी के अनुसार, “स्वच्छ वायु कार्यक्रम के बावजूद न केवल गैर-लक्ष्य प्राप्ति वाले शहरों में बल्कि राजस्थान के छोटे शहरों और कस्बों में भी वायु की गुणवत्ता खराब हो रही है। वायु गुणवत्ता में समयबद्ध सुधार के लिए उद्योग, वाहन और परिवहन, स्वच्छ ऊर्जा, अपशिष्ट  प्रबंधन, निर्माण और हरियाली सहित प्रदूषण के सभी प्रमुख क्षेत्रों में प्रणालियों और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राज्यव्यापी कार्रवाई की आवश्यकता है।

स्वच्छ हवा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक मजबूत अनुपालन ढांचे के साथ प्रमुख क्षेत्रों में त्वरित उपायों  के लिए समान रूप से संसाधन आवंटित करें।” सीएसई के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी कहते हैं कि वायु गुणवत्ता निगरानी के विस्तार से इस बढ़ते जोखिम का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी। शहर के स्टेशनों में निरंतर ऊंचा प्रदूषण स्तर एक प्रणालीगत प्रदूषण को उजागर करता है जिसका कारण प्रदूषण नियंत्रण का कमजोर बुनियादी ढांचा है। स्वच्छ वायु मानकों को पूरा करने के लिए पूरे साल कड़ी और एकसमान कार्रवाई की आवश्यकता है।

ध्यान रहे कि 1 जनवरी, 2019 से 31 मई, 2023 की अवधि के लिए राजस्थान में निगरानी स्टेशनों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। यह राजस्थान में कार्यरत वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है। इसके अनुसार राज्य में वायु गुणवत्ता निगरानी बुनियादी ढांचे के  विस्तार से वायु गुणवत्ता के रुझानों के आकलन में सुधार हुआ है। राजस्थान के शहरों में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क के विस्तार हेतु काफी प्रयास हुए  हैं।

2022 में राज्य में 10 रीयलटाइम और 39 मैनुअल स्टेशन कार्यरत थे। 2023 की पहली छमाही में 32 नए रीयलटाइम और 18 नए मैनुअल स्टेशन चालू हो गए हैं, जिससे स्टेशनों की कुल संख्या 99 हो गई है। ये स्टेशन 33 शहरों में फैले हुए हैं और ये अलवर, जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर में स्थित हैं। जोधपुर शहरों में से सबसे अधिक प्रदूषित है, जहां पीएम2.5 का औसत 71 µg/m3 और पीएम10 का औसत 153 µg/m3 है। कोटा में यह औसत पीएम 2.5 के लिए 55 µg/m3 और पीएम10 के लिए 105 µg/m3 है जो इसे राज्य का दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर बनाता है। जयपुर में पीएम 2.5 स्तर  52 µg/m3 और पीएम10 स्तर 114 µg/m3 है और यह राज्य में  तीसरे स्थान पर है। उदयपुर और अलवर भी प्रदूषित  हैं।

जयपुर, कोटा और उदयपुर में पार्टिकुलेट प्रदूषण बढ़ रहा है। 2022 का औसत स्तर कोरोना से पहले के स्तर को पार कर चुका है। जयपुर, कोटा और उदयपुर में पीएम 2.5 और पीएम10 दोनों का स्तर बिगड़ रहा है। इन तीन शहरों में 2022 में पीएम 2.5 का स्तर 2019 में दर्ज स्तर से 14-18 प्रतिशत अधिक रहा है। इसी तरह 2022 में पीएम10 का स्तर 2019 के पीएम10 के स्तर से 11-16 फीसदी अधिक रहा है। अलवर में पीएम2.5 और पीएम10, दोनों में  पिछले चार वर्षों में न्यूनतम परिवर्तन हुआ है। जोधपुर में पीएम2.5 और पीएम10 दोनों में 2019 के स्तर से क्रमश: 17 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की गिरावट के साथ सुधार देखने को मिला है।

जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में बढ़ रहा है एनओ2 प्रदूषण। 2022 का स्तर कोरोना से पहले के स्तर को पार कर चुका है। भले ही राजस्थान के शहरों में एनओ2 का स्तर नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानकों से कम है, फिर भी शहरों में प्रदूषण बढ़ रहा है। जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में एनओ2 का स्तर बिगड़ रहा है। इन तीनों राज्यों में 2019 में दर्ज स्तर की तुलना में एनओ2 का स्तर 24-51 प्रतिशत अधिक रहा है। 2022 में जयपुर में हालात तब असाधारण रूप से चुनौतीपूर्ण गए जब एनओ2 वार्षिक स्तर को पार कर गया। अलवर और कोटा में रुझान स्थिर रहे हैं। गाड़ियों की बढ़ती संख्या हालात को और बिगाड़  सकती है।  एनओ2 प्रदूषण यातायात प्रवाह से प्रभावित होता है।

विश्लेषण में कहा गया है कि छोटे शहरों और कस्बों में भी उच्च पीएम और एनओ2 प्रदूषण देखने को मिल  रहा है। इस वर्ष की शुरुआत में राजस्थान के 24 छोटे शहरों और कस्बों ने पहली बार अपनी वायु गुणवत्ता की निगरानी शुरू की  है। गर्मियों के  उनके डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि उनमें से कई का मौसमी प्रदूषण स्तर गैर-लक्ष्य प्राप्ति वाले शहरों की तुलना में भी अधिक हो सकता है।

इस गर्मी के मौसम (मार्च-मई) के दौरान, जोधपुर में पीएम10 का स्तर सबसे खराब था, जबकि  कोटा में पीएम2.5  और गैर-लक्ष्य प्राप्ति वाले शहरों में अलवर का एनओ2 स्तर सबसे खराब था। इसी अवधि के दौरान श्री गंगानगर में पीएम2.5 का स्तर 64 µg/m3 और PM10 का स्तर 258 µg/m3 दर्ज किया गया, जो सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले शहरों का लगभग दोगुना है।