प्रदूषण

इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने से भारत में हर साल बचाई जा सकती है 70,380 लोगों की जान

अनुमान है कि वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य के मामले में सबसे ज्यादा फायदा तभी होगा जब ई-वाहनों के साथ-साथ उसको चार्ज करने के लिए उपयोग की जा रही ऊर्जा के स्रोतों पर भी ध्यान दिया जाएगा

Lalit Maurya

यदि देश में व्यापक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाए और साथ ही ऊर्जा क्षेत्र से हो रहे उत्सर्जन और कोयले के उपयोग को सीमित किया जाए तो उसकी मदद से 2040 में करीब 70,380 लोगों की जान बचाई जा सकती है।

यह जानकारी हाल ही में द इंटरनेशनल कॉउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), कानपुर द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे न केवल हजारों लोगों की जान बचाई जा सकेगी साथ ही वर्ष 2040 में स्वास्थ्य पर खर्च होने वाले करीब 6 लाख करोड़ रुपए की भी बचत होगी।

रिपोर्ट के मुताबिक 2030 और 2040 के लिए निकाले गए निष्कर्ष बताते हैं कि प्रदूषण के कारण होने मौतों को रोकने में महत्वाकांक्षी डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों की तुलना में एमिशन को रोकने के लिए बनाई सख्त रणनीतियां कहीं ज्यादा प्रभावी हैं। 

रिपोर्ट में इस बात को भी स्वीकार किया गया है कि यदि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग बढ़ावा दिया जाए, लेकिन ऊर्जा के लिए कोयले पर निर्भरता बनी रहे, ऐसे में भी प्रदूषण के कारण जाने वाली हजारों जानों को बचाया जा सकता है। अनुमान है कि यदि ऊर्जा क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन को रोकने और कोयले के उपयोग को बंद करने के लिए कोई भी नई कठोर नीति न अपने जाए तो भी अकेले ई-वाहनों को बढ़ावा देने से 2030 में हर साल 13,300 और 2040 तक हर साल 16,700 लोगों की जान को बचाया जा सकता है। 

ट्रांसपोर्ट का भविष्य हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल

आईसीसीटी से जुड़े इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता अरिजीत सेन ने बताया कि, "यह कहना कि ग्रिड से होने वाले उत्सर्जन में कमी किए बिना ई-वाहनों के उपयोग का विचार वायु गुणवत्ता के मामले में उलटा असर डालेगा, सही नहीं है। इस शोध में जो निष्कर्ष सामने आए हैं वो बताते है कि ई-वाहनों का उपयोग सामाजिक तौर पर फायदेमंद होगा। हालांकि जब ऊर्जा क्षेत्र में कोयले के उपयोग और उत्सर्जन में कमी करने सम्बन्धी रणनीतियों को इलेक्ट्रिक वाहन सम्बन्धी नीतियों के साथ-साथ लागु किया जाएगा तो उससे सबसे ज्यादा फायदा पहुंचेगा। 

इस शोध से जुड़े आईआईटी, कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा की मानें तो इलेक्ट्रिक व्हीकल, ट्रांसपोर्ट का भविष्य हैं। हालांकि हमें बदलाव और ई-वाहनों को चार्ज करने के लिए जो ऊर्जा उपयोग की जाएगी उसके स्रोतों के मामले में सावधान रहने की जरुरत है। अनुमान है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ऊर्जा क्षेत्र पर जो अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है उसे पूरा करने के लिए वर्तमान में जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली संयंत्रों का उपयोग किया जा रहा है।      

कुल मिलकर यह कह सकते हैं कि रिपोर्ट में जो निष्कर्ष सामने आए हैं उसके अनुसार हमें इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के साथ-साथ उसे चार्ज करने के लिए उपयोग की जा रही बिजली के स्रोत पर भी ध्यान देने की जरुरत है। ई-वाहनों के उपयोग का सबसे ज्यादा फायदा तभी पहुंचेगा जब कोयले के उपयोग को सीमित किया जाए और ऊर्जा क्षेत्र से हो रहे उत्सर्जन सम्बन्धी नीतियों को कठोर बनाया जाए। इसकी मदद से 2040 तक ने केवल देश के हर राज्य की वायु गुणवत्ता में सुधार आएगा साथ ही लोगों के स्वास्थ्य को भी फायदा पहुंचेगा।