प्रदूषण

दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप नियमों के तहत 17 नवंबर तक स्टोन क्रशर और हॉट मिक्सिंग प्लांट पर रोक

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए पहली बार गठित आयोग ने बैठक की है। वहीं,48 घंटे के आपात स्तर के बाद सीपीसीबी ने एजेंसियों रोकथाम संबंधी आदेश जारी किए हैं।

Vivek Mishra

दीपावली पर्व के नजदीक है और दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण और अधिक घातक हो सकता है। इस अंदेशे को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में केंद्र द्वारा पूर्व में अधिसूचित ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू करने का आदेश दिया है। 

सीपीसीबी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 17 नवंबर, 2020 तक हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर बंद करने का आदेश दिया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 10 नवंबर, 2020 को पहली बैठक की थी, इसके बाद सीपीसीबी ने वायु प्रदूषण संबंधी अन्य फोरकास्टिंग व मौजूदा स्थिति का आकलन करते हुए पूर्व में लागू किए जाने वाले ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को ही लागू करने का निर्णय लिया है।

11 नवंबर, 2020 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने जारी अपने आदेश में कहा है कि ऐसी सड़कें जहां धूल और गुबार ज्यादा हो उन सड़कों पर मैकेनाइज्ड स्वीपिंग और पानी के छिड़काव की व्यवस्था को और तेज किया जाए।

इसके अलावा पंजाब-हरियाणा और अन्य राज्यों को पराली जलाने के मामले पर सख्ती से रोक लगाने के आदेश भी दिए गए हैं। साथ ही दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में बायोमास जलाए जाने पर कड़ी निगरानी रखने को भी कहा गया है। 

दीपावली पर्व को देखते हुए हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया था, सीपीसीबी ने कहा है कि वे इस आदेश का सख्ती से पालन करें साथ ही अन्य कोर्ट के आदेशों का भी अमल किया जाए। 

सीपीसीबी ने एजेंसियों और प्राधिकरणों को कहा है कि इन आदेशों पर तत्काल प्रभाव से अमल करें। 

दिल्ली-एनसीआर में 08 नवंबर, 2020 को पीेएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर  (आपात स्तर) को पार कर गया था। इसके बाद लगातार 48 घंटे तक यह आपात स्तर बना रहा है। अब आयोग की बैठक और पूर्व में ही तय किए गए जीआरएपी को लागू करने का निर्णय लिया गया है। 

सीपीसीबी के निगरानी करने वाले केंद्रीय निगरानी कक्ष के मुताबिक 11 नवंबर,2020 को सुबह 4 बजे के बाद से पीएम 2.5 खतरनाक स्तर से नीचे आना जारी है। शाम 4 बजे पीएम 2.5 का स्तर 180 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो कि सामान्य मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन गुना ज्यादा था। 

वहीं, पीएम 10 का स्तर भी 08 नवंबर से आपात स्तर 500 माइक्रोग्राम को पार कर गया था, हालांकि इसमें भी गिरावट जारी थी और 11 नवंबर, 2020 को दोपहर में यह आपात स्तर से नीचे आ गया है हालांकि, अब भी शाम चार बजे पीएम 2.5 का स्तर 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर यानी सामान्य मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन गुना ज्यादा बना हुआ है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी, पृथ्वी मंत्रालय के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार हो रहा है लेकिन 13 नवंबर तक मौसमी कारण से हवा की गुणवत्ता फिर से गंभीर स्तर पर पहुंच सकती है।

सिस्टम ऑफ एयर क्ववालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक दिल्ली के प्रदूषण में पराली के प्रदूषण की हिस्सेदारी 5 नवंबर, 2020 को जहां 42 फीसदी थी वह 10 नवंबर को घटकर 22 फीसदी रह गई है। वहीं कहा गया है कि पराली से जुड़ी समस्या में कमी तो आने वाले दिनों में जरूर मिलेगी लेकिन हवा की दिशा में बदलाव और मिक्सिंग हाईट के सामान्य होने जैसी चीजें अभी प्रदूषण के प्रतिकूल नहीं बनती दिख रही हैं। 

सफर एजेंसी के मुताबिक 10 नवंबर, 2020 को पंजाब-हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की करीब 2000 घटनाएं दर्ज हुई यही 7 से 9 नवंबर, 2020 के बीच फायर काउंट्स 4000 के करीब था। यानी पराली जलाने की घटनाओं में कमी आ रही है जो कि भविष्यगत भी जारी रहने का अनुमान है।