प्रदूषण

प्लास्टिक प्रदूषण: ओटावा में सुस्त रही चौथे दौर की वार्ता, महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में हाथ लगी विफलता

Siddharth Ghanshyam Singh, Lalit Maurya

प्लास्टिक प्रदूषण से निजात पाने के लिए अंतरसरकारी वार्ता समिति की चौथे दौर की वार्ता (आईएनसी-4) में प्रगति की रफ्तार धीमी रही और वो किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) की देखरेख में आयोजित अंतरसरकारी वार्ता समिति की यह चौथे दौर की वार्ता (आईएनसी-4) 23 से 29 अप्रैल 2024 के बीच कनाडा की राजधानी ओटावा में आयोजित की गई।

बता दें कि इससे पहले अंतरसरकारी वार्ता समिति की तीसरे दौर की वार्ता (आईएनसी-3) में एक प्रारंभिक मसौदा (जीरो ड्राफ्ट) पेश किया गया। सभी सदस्य देशों के दृष्टिकोण को शामिल करने के लिए इसका विस्तार भी किया गया। इसके बाद ड्राफ्ट को आईएनसी-4 में चर्चा के लिए आगे बढ़ा दिया गया था।

चौथे दौर की इस वार्ता का आखिरी दिन उपसमूहों द्वारा ड्राफ्ट में दिए विभिन्न प्रावधानों और उसके पाठ के संशोधनों के साथ शुरू हुआ। पहले तो लगा कि ये समूह अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन वास्तव में उन्होंने बैठक के अंतिम कुछ दिनों में ही पाठ को लेकर चर्चा शुरू की।

कुछ सदस्य देशों की प्राथमिकता इस ड्राफ्ट के विशिष्ट प्रावधानों से पाठ के कुछ हिस्सों को हटाने की थी। वो जिस तरह वार्ता कर रहे थे उससे कहीं भी यह नहीं लगता था कि वो इस मुद्दे पर सहयोग करना चाहते हैं।

वहीं साथ ही वार्ता दे दौरान उन्होंने मौजूदा ड्राफ्ट में कुछ ऐसी चीजें जोड़ने का सुझाव दिया, जिनका उद्देश्य प्रावधानों को कमजोर करना था।

यह दृष्टिकोण सिर्फ प्राइमरी प्लास्टिक पॉलिमर, चिंता का विषय बन चुके रसायनों और समस्या पैदा करने वाले प्लास्टिक और उससे सम्बंधित प्रावधानों को ही निर्देशित नहीं करता, बल्कि यह उपयोग के बाद उत्पादकों की जिम्मेवारी तय करने वाले प्रावधानों (ईपीआर) को भी प्रभावित करता है।

बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों (एमईए) में पाठ्य पर होने वाली वार्ता, चर्चा का उन्नत चरण होती है। इस दौरान पक्ष समझौते के शब्दों और उसमे बदलावों को लेकर चर्चा करते हैं। इस दौरान समझौते के विभिन्न प्रावधानों, लेखों और खंडों की रूपरेखा पर आम सहमति तक पहुंचने के लिए पक्षकारों के बीच चर्चा होती है।

समझौते के पाठ्य को अंतिम रूप देने के लिए वार्ता के दौरान पक्षकार मौजूदा पाठ में बदलाव, नए हिस्से को जोड़ने या कुछ को हटाने का सुझाव दे सकते हैं क्योंकि पक्षकारों की चिंताएं, हित या उद्देश्य अलग-अलग हो सकते हैं। इस दौरान वार्ताकार सभी अलग-अलग दृष्टिकोणों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए मिलकर काम करते हैं और ऐसे शब्दों पर सहमत होते हैं जो इसमें शामिल सभी पक्षों के इरादों और प्रतिबद्धताओं को सटीक रूप से दर्शाते हैं।

समझौते के सटीक शब्दों के बारे में बात करना वास्तव में बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तय करता है कि समझौता क्या और कैसे काम करेगा। इन वार्ताओं के दौरान, विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी, कानूनी और नीतिगत पहलुओं पर विचार करते हैं कि समझौता स्पष्ट, अर्थपूर्ण, और वास्तव में उन पर्यावरणीय समस्याओं को हल कर सकता है जिनसे उसे निपटना है।

महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिगड़ी चाल

संपर्क समूह 1, जिसे बाद में तीन छोटे उप-समूहों में विभाजित किया गया, वो संधि के मूल प्रावधानों पर चर्चा कर रहा था। इन मूल प्रावधानों में यह भी शामिल है कि वास्तव में यह संधि कैसे काम करेगी।

इन सभी प्रावधानों के पाठ्य को लेकर चर्चा नहीं हो सकी:

*पाठ को लेकर वार्ता शुरू तो हुई, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंची।

संपर्क समूह 2, को दो उप-समूहों में विभाजित किया गया था। इसमें उप-समूह 2.1 ने अपने अधिदेश को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और जिन दो प्रावधानों का उसे काम सौंपा गया था, उनके लिए पाठ्य वार्ता को अंतिम रूप दे दिया गया। वहीं उप-समूह 2.2 को चुनौतियों का सामना करना पड़ा और अधिकांश प्रावधानों को पाठ पर होने वाली चर्चा के चरण तक आगे नहीं बढ़ाया जा सका।

निराशापूर्ण रहा समापन सत्र, समान विचारधारा वाले समूहों का रहा दबदबा

समापन समारोह में निराशा छाई रही, साथ ही इस दौरान समान विचारधारा वाले समूहों का दबदबा कायम रहा। अध्यक्ष ने समिति से उनकी टिप्पणियां और सुझाव आमंत्रित करते हुए अंतर-सत्रीय कार्य के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कुछ देश अध्यक्ष के प्रस्ताव से सहमत थे। हालांकि एक संक्षिप्त चर्चा से पता चला कि समान विचारधारा वाले देश अब अंतर-सत्रीय कार्य की नई योजना के प्रमुख प्रस्तावक बन गए हैं।

अध्यक्ष ने शुरू में जो प्रस्ताव रखा था वो पहले ही मजबूत नहीं था, जिसे बाद में और कमजोर कर दिया गया। वार्ता के दौरान अंतर-सत्रीय कार्य को आगे बढ़ाने पर तो सहमति बनी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि वे क्या हासिल करने की कोशिश कर रहे थे।

अंतिम प्रस्ताव, इराक द्वारा रखा गया और जिसको सभी सदस्यों द्वारा स्वीकार कर लिया गया। इस प्रस्ताव में एक विशेष विशेषज्ञ समूह का गठन शामिल था।

इस विशेषज्ञ समूह को कौन से प्लास्टिक उत्पाद, और चिंताजनक रसायन समस्या पैदा कर रहे हैं, यह तय करने का काम सौंपा गया है। साथ ही पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग कितना आसान है इसपर भी विचार करना होगा। साथ ही उन्हें यह भी ध्यान रखें है कि इन उत्पादों का उपयोग वास्तविक जीवन स्थितियों में कैसे किया जाता है और लागू किया जाता है।

इस विशेषज्ञ समूह के निष्कर्षों पर अंतरसरकारी वार्ता समिति के पांचवे दौर की वार्ता (आईएनसी-5) के दौरान चर्चा की जाएगी। यह वार्ता एक दिसंबर 2024 को कोरिया गणराज्य के बुसान में आयोजित की जाएगी।

ब्राजील ने भी विशेषज्ञों का एक समूह बनाने का प्रस्ताव रखा था और समिति ने उसका समर्थन भी किया था। इस समूह का उद्देश्य यह पता लगाना था कि समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्त कहां से आ सकता है। यह समूह वित्तीय तंत्र की स्थापना के विकल्पों पर गौर करेगा। साथ ही यह वित्त का प्रबंधन करेने में मदद करेगा और इसे कैसे जुटाया जा सकता है इसपर भी विचार करेगा।

हालांकि, अंतर-सत्रीय कार्य में समझौते के पाठ के बारे में चर्चा नहीं होगी। इसलिए इस दौरान की गई किसी भी प्रगति की पुष्टि और अनुमोदन केवल आईएनसी-5 के दौरान ही किया जाएगा।

ओटावा, सत्र की समाप्ति पर समिति संधि पर काम जारी रखने पर सहमत हुई है। इस वादे को पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय शेष है। हालांकि प्लास्टिक में कटौती के लक्ष्य और आम सहमति बनाम मतदान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में झिझक, अध्यक्ष की क्षमता और 2024 में संधि के शब्दों को समय सीमा में पूरा करने के लिए समिति की तैयारी के बारे में संदेह पैदा होती हैं।