प्रदूषण

प्लास्टिक मुक्त दुनिया: पेरिस बैठक के पहले दिन राजनीति में अटका पेंच, धीमी रही प्रगति

प्रतिनिधियों के चुनाव पर आम सहमति न बन पाने के कारण अब ड्राफ्ट नियमों पर चर्चा करने के लिए बहुत सीमित समय बचा है

Siddharth Ghanshyam Singh, Lalit Maurya

वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से निजात पाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र की अंतर सरकारी वार्ता समिति (आईएनसी-2) की दूसरी बैठक फ्रांस के पेरिस शहर में शुरू हो चुकी है। यह बैठक 29 मई से 2 जून, 2023 के बीच संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के मुख्यालय में हो रही है। इस वार्ता के पहले दिन कई कड़े बयान सामने आए हैं। हालांकि प्रतिनिधियों के चुनाव पर आम सहमति न बन पाने के कारण अब ड्राफ्ट नियमों पर चर्चा करने के लिए बहुत कम समय बचा है।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिनिधिमंडलों का स्वागत किया। इमैनुएल मैक्रॉन ने अपनी शुरुआती भाषण में कहा कि, "अगर हम कुछ नहीं करते हैं, तो बढ़ता प्लास्टिक वेस्ट 2060 तक तीन गुना हो जाएगा।" ऐसे में उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण को न केवल टाइम बम की संज्ञा दी, साथ ही यह भी कहा कि यह ऐसा संकट है जो पहले से मौजूद है। साथ ही उन्होंने प्लास्टिक के बढ़ते उत्पादन को बंद करने का भी आह्वान किया है।

इस बारे में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन का कहना था कि, "हम यहां पेरिस में एकत्र हुए हैं क्योंकि वर्तमान में प्लास्टिक अर्थव्यवस्था व्यापक प्रदूषण पैदा कर रही है, जो पारिस्थितिक तंत्र, जलवायु और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है।"

उन्होंने जोर देकर कहा कि प्लास्टिक को लेकर की गई वैश्विक संधि, एक ऐसा उपकरण हो सकती है जिसका उपयोग दुनिया प्लास्टिक के बढ़ते संकट को रोकने के लिए कर सकती है। यह ऐसा संकट है जो अभी बढ़ता जा रहा है। उन्होंने पारदर्शिता के साथ प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र में कटौती की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि, "हम इस समस्या को अपने तरीके से रिसाइकिल नहीं कर सकते हैं।"

आईएनसी की कार्यकारी सचिव ज्योति माथुर फिलिप ने कहा कि, "प्लास्टिक प्रदूषण को संबोधित करने की तात्कालिकता बढ़ती जा रही है और दुनिया की निगाहें एक बार फिर हम पर टिकी हैं।" उनका कहना है कि इसपर बिना देरी के कार्रवाई करने की जरूरत है। यह उद्घाटन सत्र, प्लास्टिक के जीवन चक्र के सभी चरणों को शामिल करते हुए एक व्यापक और लागू करने योग्य समझौते की आशा करते हुए सकारात्मक रूप से समाप्त हुआ।

ड्राफ्ट नियमों पर चर्चा में देरी

आईएनसी-2 का पहला एजेंडा एक ब्यूरो का चयन करना था। जो बैठकों के आयोजन में सचिवालय का मार्गदर्शन करेगा। इस ब्यूरो के लिए हर क्षेत्र से दो प्रतिनिधियों को नामित करना आवश्यक था।

पूर्वी यूरोप को छोड़कर सभी क्षेत्रों ने आईएनसी-1 में दो प्रतिनिधियों को मनोनीत और निर्वाचित किया था। वहीं इस क्षेत्र में तीन सदस्यों रूस, यूक्रेन और एस्टोनिया ने स्वयं का नामांकन किया था। वहीं 25 मई को यूक्रेन ने सचिवालय को लिखे एक पत्र के माध्यम से जॉर्जिया के पक्ष में अपना नामांकन वापस ले लिया था।

विभिन्न क्षेत्रों ने निम्नलिखित नामों को अंतिम रूप दिया है:

  • अफ्रीकी समूह: रवांडा और सेनेगल
  • एशिया और प्रशांत समूह: जापान और जॉर्डन
  • पूर्वी यूरोपीय राज्य: जॉर्जिया, एस्टोनिया और रूस
  • लैटिन अमेरिका और कैरेबियन समूह: इक्वाडोर और पेरू
  • पश्चिमी यूरोपीय समूह और अन्य राज्य: स्वीडन और अमेरिका
  • छोटे विकासशील द्वीपीय देश: एंटीगुआ और बारबुडा

वहीं समिति को पश्चिमी यूरोपीय उम्मीदवारों में से एक के लिए आपत्ति प्राप्त हुई, जबकि पूर्वी यूरोपीय क्षेत्र में बहुत ज्यादा उम्मीदवार थे। दोनों क्षेत्रों में प्रतिनिधियों के चयन के लिए गुप्त मतदान हुआ था।

यह निर्णय सदस्य राज्यों की सहमति से तय प्रक्रिया के नियमों के ड्राफ्ट के अनुसार था, जिसमें कहा गया था कि सदस्य देश आम सहमति बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। वहीं मतदान प्रणाली पर सऊदी अरब की आपत्ति के जवाब में, सचिवालय ने प्रक्रिया के ड्राफ्ट नियमों में से चुनाव सम्बन्धी नियम 45 और 47 को वापस ले लिया है।

उदाहरण के लिए, नियम 47.2 में कहा गया है कि, "यदि बहुमत प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों की संख्या, भरे जाने वाले स्थानों की संख्या से अधिक है, तो सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा।" चूंकि यूनेस्को मुख्यालय इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रणाली से लैस नहीं है, ऐसे में गुप्त मतदान के लिए कागज आधारित और समय लेने वाली प्रक्रिया का सहारा लिया गया था।

इस मतदान के निम्न परिणाम सामने आए थे:

समय लेने वाली इस गुप्त मतदान प्रक्रिया ने प्रतिनिधियों के चयन पर आम सहमति तक पहुंचने में पूर्वी यूरोपीय क्षेत्र की महत्वपूर्ण विफलता को उजागर किया।  दूसरी ओर, यह उन सदस्य देशों की रणनीति भी हो सकती है, जो बातचीत की प्रक्रिया को धीमा करना चाहते हैं।

इसमें बर्बाद होने वाले समय को बचाया जा सकता था, जिसका उपयोग एजेंडा से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए किया जा सकता था। बशर्ते क्षेत्र अपने मतभेदों को अलग रखकर वास्तविकता में "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण" विकसित करने की दिशा में काम करें। हालांकि इसके बाद, सदस्य देशों द्वारा प्रक्रिया के नियमों के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए बहुत कम समय बचा है।