प्रदूषण

स्मॉग से जूझता पटना, नहीं लागू हुई आपात कार्ययोजना : सीड

Vivek Mishra
बिहार की राजधानी पटना में वायु प्रदूषण ने लोगों को बेहाल कर रखा है और सरकार की तरफ से किसी भी तरह के आपात कदम नहीं उठाए गए हैं। पटना बीते एक महीने से गहरे ‘स्मॉग’ यानी ‘प्रदूषित धूलकण एवं धुआं मिश्रित धुंध’ से जूझ रहा है। सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा बीते नवंबर महीने में 30 दिनों के एयर क्वालिटी संबंधी आंकड़ों का अध्ययन एवं विश्लेषण किया गया जो यह दर्शाता है कि केवल एक दिन को छोड़ दिया जाए तो राजधानी पटना में वायु गुणवत्ता लगातार ‘खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी के बीच रही है। इसके बावजूद दिल्ली की तर्ज पर बिहार सरकार के जरिए तैयार ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ को समय से लागू कर सकने में विफल रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के औसत 24 घंटे वाली वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के मुताबिक दिसंबर महीने के बीते चार दिनों में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी  (301 से 400 के बीच) में ही दर्ज की गई है। 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में माना जाता है। एक दिसंंबर का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।  वहीं नवंबर महीने का एक्यूआई यह बताता है कि कुल 7 दिन पटना की हवा गंभीर श्रेणी में रही। इनमें 2, 3 और 5 नवंबर को एक्यूआई क्रमश: 428, 413 और 414 रिकॉर्ड किया गया। जबकि 23, 25, 26 और 27 नवंबर को एक्यूआई क्रमश: 407, 404, 419 और 426 दर्ज किया गया। इसके अलावा 21 नवंबर को पटना की वायु गुणवत्ता का आंकड़ा ही नहीं दर्ज किया गया। 401 से अधिक का एक्यूआई स्तर गंभीर वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। वहीं, लगातार इस श्रेणी में रहने वाली हवा सामान्य व्यक्ति को भी बीमार बना सकती है। इसके अलावा नवंबर महीने में 16 दिन बहुत खराब श्रेणी वाली वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। जबकि शेष एक सप्ताह हवा की गुणवत्ता खराब स्तर पर रिकॉर्ड की गई।   
प्रदूषण स्तर में अचानक होनेवाली वृद्धि को नियंत्रित करने और इसके संपर्क में लोगों को रहने से बचाने के लिए आपात स्थिति में पटना क्लीन एयर एक्शन प्लान के तहत ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को अधिसूचित किया गया था। तात्कालिक और अल्पकालिक नीतिगत उपाय के तौर पर वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए इसे लागू किया जाना था। प्लान के तहत जब शहर की आबोहवा में घातक माने जाने वाले प्रदूषित सूक्ष्म धूलकणों यानी पार्टिकुलेट मैटर 2.5  का स्तर 121 से लेकर 300+ माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (µg/m3) के बीच दर्ज होता है तो इस प्लान के तहत प्रदूषण के अनुसार विभिन्न श्रेणी और स्तरों पर कई कदम उठाए जाते हैं।
 
सीड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमापति कुमार ने कहा कि ‘‘पटनावासी बिहार सरकार द्वारा शहर के लिए जारी किए गए ‘व्यापक स्वच्छ वायु कार्य योजना’  की सिफारिशों को ईमानदारी और पारदर्शी ढंग से क्रियान्वित करने से कम कुछ और उम्मीद नहीं करते। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार खुद अपनी सिफारिशों को क्रियान्वित करने में विफल रही है, क्योंकि पटना के लिए क्लीन एयर एक्शन प्लान को जारी किए जाने के तुरंत बाद छह दिनों तक यह शहर ‘गंभीर’ वायु प्रदूषण का गवाह रहा। प्रदूषण के जोखिम भरे उच्च स्तर को ध्यान में रखते हुए पटना में ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ को अविलंब लागू किया जाना चाहिए था। सच्चाई यह है कि पटना में एयर क्वालिटी में सुधार तभी आ सकता है, जब क्लीन एयर एक्शन प्लान में पहले से बताए गए रचनात्मक कदमों को ठोस तरीके से लागू किया जाए। हमें दरअसल इस योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति की फौरन जरूरत है।’’
सीड की वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी अंकिता ज्योति ने गंभीर प्रदूषण वाले दिनों में ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ की जरूरत और अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘जीआरएपी के मानकों के अनुसार, ‘गंभीर प्रदूषण वाले दिनों’ में पटना में सभी कंस्ट्रक्शन संबंधी गतिविधियों समेत ईंट भट्ठा ईकाइयों पर अल्पकालिक प्रतिबंध लगना चाहिए था और अल्पकालिक तौर पर स्कूल और कॉलेजों को बंद कर देना चाहिए था। इसी तरह ‘बहुत खराब वायु प्रदूषण वाले दिनों’ में मालवाही ट्रकों के शहर में आवागमन (केवल अनिवार्य सेवाओं एवं वस्तुओं के आवागमन को छोड़ कर), डीजल जेनरेटर सेट के इस्तेमाल, होटल-ढाबों तथा खुले में कोयले के जलावन पर प्रतिबंध लगाया जाना सुनिश्चित होता। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में इसी तरह की परिस्थितियों में कंस्ट्रक्शन गतिविधियों, हॉट-मिक्सिंग प्लांट्स और जीवाश्म ईंधन आधारित सभी उद्योगों पर अल्पकालिक पाबंदी सुनिश्चित की गई थी। यहां तक कि आज भी जब दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता थोड़ी सुधरी है, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना जारी रहा है। 
जाड़े के मौसम में पटना निरंतर गंभीर स्तर का प्रदूषण स्तर से जूझता रहा है, जिसके पीछे विपरीत मौसमी परिस्थितियां भी जिम्मेवार हो सकती हैं। वैसे विपरीत मौसम संबधी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता, लेकिन ‘क्लीन एयर एक्शन प्लान’ के सख्त क्रियान्वयन से लोगों को थोड़ा सुकून मिल सकता है। सीड ने राज्य सरकार से क्लीन एयर एक्शन प्लान में कुछ नए उपायों को जोड़ने पर विचार करने की अपील की है, ताकि यह ज्यादा प्रभावी बन सके और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। अन्य सिफारिशों तथा कदमों में अंतरराज्यीय और क्षेत्रीय स्तर पर ‘रिजनल एयर क्वालिटी मैनेजमेंट’ के दायरे को बढ़ाना और राज्य के भीतर ‘अंतर-नगरीय समन्वयन’ पर ठोस तरीके से काम करना हो सकते हैं। एक्शन प्लान में प्रदूषित धूलकणों की सघनता को वर्ष 2024 तक 30 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अंतरिम तौर पर मापदंड संबंधी लक्ष्य योजना में नहीं दिखती है।