बाबर ने पानीपत के किसी ओयो होटल की छत से दूर-दूर तक फैली अपनी छावनी को आखिरी बार देखा। व्हाट्सप पर “कल जंग के मैदान पर मिलते हैं। गुड नाइट इब्राहिम!” का पोस्ट डाला और सोने चला गया। पर नींद भला उसे कैसे आती?
कल से जंग शुरू होनी थी। यह जंग पानीपत में होनी थी और यह पहली जंग थी इसलिए इसे “पानीपत की पहली जंग” के नाम से जानते हैं। करवटें बदलता हुआ बाबर स्मार्ट फोन को स्क्रोल कर रहा था। तभी अचानक बाहर धूम! धूम! धड़ाम! धड़ाम! का तेज शोर उठा। बाबर चौंक कर उठ बैठा।
उसने पास रखे फोन पर नौ दबाया। दूसरी ओर से आवाज आई, “रूम सर्विस! होटल पानीपत सर! क्या चाहिए? पानी की बोतल, चादर, एक्स्ट्रा तकिया?”
बाबर चीखा, “मुझे इन्फॉर्मेशन चाहिए! इब्राहिम लोधी को बारूद कहां से मिला! मेरे रक्षामंत्री, सुरक्षा सलाहकार, सेनापति को मेरे कमरे में भेजो! तुरंत।”
सन् 1526 की उस रात होटल पानीपत के मुगलिया प्रेसिडेंशियल सूट में एक ऐतिहासिक मीटिंग की शुरुआत हुई।
“यह बमों की आवाज क्यों आ रही है!” बाबर ने पूछा। कमरे में सन्नाटा था क्योंकि यही सवाल तो बाकी लोगों के दिमाग में भी घूम रहे थे। तभी कमरे में एक बैरा अंदर आया और खाली हो चुकी पानी की बोतलों को भरते हुए बोला, “बाबर जी, आप परेशान मत हों। हमारा देश एक बम-पटाखा प्रिय देश है। क्रिकेट के मैच से लेकर तीज-त्योहार हम लोग बम फोड़ कर ही मनाते रहे हैं। हजारों-लाखों साल पुरानी परंपरा है।”
सेनापति ने पूछा, “त्योहार में बम? यह त्योहार है कि जंग? पर यहां लोगों को बम बनाने के लिए बारूद का मसाला मिला कैसे?”
सुरक्षा सलाहकार ने गूगल किया और बोला,“वही तो मैं भी सोच रहा हूं सर! अभी 1526 चल रहा है यानी जुम्मा-जुम्मा कोई पांच-छह सौ साल पहले नवीं सदी में चीन में बारूद की खोज हुई। ऐसे में यहां के लोग पिछले हजारों-लाखों साल से बम कैसे फोड़ सकते हैं? इस बारूद की मदद से हम कल पानीपत की जंग में पहली बार तोप-कमान से गोले दागेंगे। स्क्रिप्ट के अनुसार, इसके बाद इब्राहिम लोधी को हार जाना था, दिल्ली सल्तनत का दी-एंड होना था। हिन्दोस्तान में मुगल सल्तनत की शुरुआत होनी थी। इतने सारे काम करने थे और आज से ही यहां बम फूटने लगे हैं!”
बाबर ने अचरज से कहा, “आज तक यही सुनता आया हूं कि पहले किसी चीज का आविष्कार होता है फिर वह मार्केट में आता है पर यहां तो अलग ही खेल चल रहा है। बारूद के आविष्कार के हजारों-लाख साल पहले से ही यहां बम न केवल मार्केट में अवेलेबल हैं बल्कि झमाझम फोड़े जा रहे हैं! भला ऐसा कैसे हो सकता है?”
“इट हैपेंस ऑनली इन इंडिया!” कहता हुआ बैरा कमरे से चला गया।
बाहर बमों का शोर बढ़ता ही चला जा रहा था। जल्द ही होटल का कमरा, ओयो होटल ही नहीं बल्कि पूरा शहर बारूद की तीखी जहरीली गैस और धुएं से ढक गया। दूसरे दिन शहर का एक्यूआई हजारों अंक पार कर चुका था। विजिबिलिटी नेगेटिव हो चुकी थी। इसी में दोनों सेनाओं ने खूब युद्ध किया। पर होना वही था जो पहले से इतिहास की किताबों में लिखा था, अर्थात इब्राहिम लोधी हार गया, दिल्ली सल्तनत का दी-एंड हो गया और इसी के साथ हिन्दोस्तान में मुगल सल्तनत की शुरुआत हो गई।…
एक चीज और हुई, आने वाले दिनों में केवल पानीपत ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में मास्क, एयर प्यूरिफायर, इन्हेलर, पफ का बाजार तेजी से बढ़ा जिससे जीडीपी ने लंबी छलांग ली और हिंदुस्तान दुनिया का तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।