प्रदूषण

24 घंटे पहले मिल जाएगी ओजोन प्रदूषण की चेतावनी, वैज्ञानिकों ने बनाया मॉडल

Lalit Maurya

दुनिया भर में ओजोन प्रदूषण एक बड़ा खतरा है जो की हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक होता है। पर इससे बचने के लिए ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित प्रणाली विकसित करने में सफलता हासिल की है, जो क्षेत्रीय स्तर पर 24 घंटे पहले ही इसका पूर्वानुमान कर सकती है। इससे ओजोन के बढ़ते स्तर से बचने में मदद मिलेगी, साथ ही स्वास्थ्य संबधी जोखिम कम हो जायेगा।

पृथ्वी और वायुमंडलीय विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और इस पेपर के संबंधित लेखक यूनसो चोई ने बताया कि उन्होंने न्यूरल नेटवर्क का प्रयोग करके एक ऐसा मॉडल बनाया है जो अर्टिफिकल इंटेलिजेंस पर चलता है । जो वर्तमान परिस्थितियों का जायजा लेकर अगले 24 घंटों के लिए वातावरण में ओजोन के स्तर की सटीक भविष्यवाणी कर सकता है। यह अध्ययन जर्नल न्यूरल नेटवर्क्स में प्रकाशित हुआ है। चोई ने बताया कि "अगर हम आज की स्थिति को जानते हैं, तो हम कल की परिस्थितियों का अनुमान लगा सकते हैं ।"

ओजोन एक अस्थिर गैस है, जब सूरज की रोशनी नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के साथ मिलती है, तो एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे यह गैस बनती है। इसके साथ ही यह गैस वाहनों और उद्योगों से होने वाले उत्सर्जन में भी पायी जाती है। यह लोगों में सांस की समस्या पैदा कर सकती है। विशेष रूप से अस्थमा पीड़ितों, बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए अधिक हानिकारक होती है।

कैसे काम करता है यह मॉडल

इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता अलकमा सईद ने बताया कि वर्तमान में मौजूद अधिकांश ओजोन पूर्वानुमान मॉडल आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग नहीं करते और यह मॉडल ओजोन स्तर की भविष्यवाणी करने में कई घंटों का समय लेते हैं। वे भी कम सटीक होते हैं। जबकि यह नया मॉडल कुछ सेकंडों में ओजोन स्तर की सही भविष्यवाणी कर सकता है। यह मॉडल सबसे पहले नेटवर्क के माध्यम से सूचनाएं जमा करता है, फिर उनका विश्लेषण करके उसके आधार पर परिकल्पनाएं तैयार करता है। उसके बाद आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की मदद से उन परिकल्पना के आधार पर सटीक भविष्यवाणी करता है।

इसको समझाने के लिए शोधकर्ताओं ने 2014 से 2017 के बीच ह्यूस्टन और टेक्सास के 21 स्टेशनों से एकत्र किए गए मौसम और वायु प्रदूषण के आंकड़ों का इस्तेमाल किया। सईद ने बताया कि उन्होंने 2014 से 2016 के बीच हर दिन के मौसम संबंधी डेटा जैसे तापमान, दबाव, हवा की गति और अन्य आंकड़ों को ओजोन की माप से जोड़कर, न्यूरल नेटवर्क को प्रोग्राम किया है ।उन्होंने मॉडल की सटीकता की जांच करने के लिए मॉडल द्वारा प्राप्त आंकड़ों और 2017 के मौसम सम्बन्धी आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया । जिसमें मॉडल द्वारा की गयी भविष्यावाणी 90 फीसदी सही पायी गयी । चोई ने बताया कि जैसे-जैसे यह मॉडल परिस्थितियों को सीखता जायेगा यह भविष्यवाणी और सटीक होती जाएगी ।हालांकि यह परीक्षण टेक्सास के डेटा का उपयोग करके किए गए थे, पर शोधकर्ताओं का मानना है कि इस मॉडल का उपयोग दुनिया में कहीं भी किया जा सकता है। चोई ने कहा हालांकि यू.एस. भौगोलिक रूप से पूर्वी एशिया से अलग है, लेकिन ओजोन निर्माण की भौतिकी और रसायन प्रक्रिया समान है।"

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 के अनुसार प्रदूषण के चलते 2017 में 12 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में होने वाली मौतों के लिए वायु प्रदूषण तीसरा सबसे बड़ा कारक है, जो धूम्रपान से ठीक ऊपर है। दुनिया भर में हर वर्ष वायु प्रदूषण से जितनी मौतें होती हैं, उतनी तो एक्सीडेंट्स और मलेरिया से भी नहीं होती ।इसलिए यह मॉडल बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है, यदि आपको आने वाले वक्त में होने वाले वायु प्रदूषण के बारे में पहले से जानकारी हो तो आप इससे बचने के उपाय पहले ही कर सकते हैं और इस पर नियंत्रण कर सकते हैं। जिससे वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों और इसके जोखिम को सीमित किया जा सकता है ।