प्रदूषण

पौधों के लिए खतरनाक है ओजोन, परागणकों के लिए फूलों को ढूंढना बना रहा है कठिन

ओजोन प्रदूषण फूलों का रंग बदल सकता है, परागणकों को देखने के संकेतों पर असर डाल सकता है, पराग के साथ सीधे प्रतिक्रिया कर उसकी गुणवत्ता कम कर सकता है।

Dayanidhi

ओजोन प्रदूषण का बढ़ता स्तर परागण को रोक रहा हैं, जिससे पौधों और उन्हें परागित करने वाले जीवों दोनों पर असर पड़ रहा है। एक शोध में, शोधकर्ता बताते हैं कि कैसे जमीनी स्तर की ओजोन की अधिकता पौधों के पत्तों को नुकसान पहुंचा सकती है, पौधों के फूलों के पैटर्न को बदल सकती है और परागणकों के काम में बाधा डाल सकती है

प्रमुख शोधकर्ता एवगेनियोस अगाथोक्लियस ने कहा कि परागणकों पर कृषि में उपयोग होने वाले रसायनों के प्रत्यक्ष प्रभावों के बारे में बहुत अधिक जानकारी है, लेकिन अब यह सामने उभर कर आया है कि ओजोन परागणकों और परागण के लिए एक छुपा हुआ खतरा है। उन्होंने कहा कि ओजोन के इन प्रभावों को लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है। अगाथोक्लियस, नानजिंग विश्वविद्यालय में एक पारिस्थितिकीविद् हैं।

ओजोन गैस धरती की मित्र और शत्रु दोनों हो सकती है। समताप मंडल या ट्रोपोस्फेरिक में, समुद्र तल से 12 किलोमीटर ऊपर, ओजोन प्राकृतिक रूप से बनती है और पृथ्वी को हानिकारक सूरज की किरणों से बचाने में मदद करती है, लेकिन उस क्षेत्र के नीचे, ओजोन एक हानिकारक प्रदूषक है। ट्रोपोस्फेरिक-स्तरीय ओजोन गैस वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के बीच एक फोटोकैमिकल प्रतिक्रिया द्वारा बनती है।

यह वनस्पति द्वारा उत्सर्जित और आमतौर पर पेंट और एरोसोल जैसे पदार्थों में पाया जाता है और नाइट्रोजन ऑक्साइड, जो जीवाश्म ईंधन के जलने पर निकलते हैं वो भी इसमें शामिल होते हैं। ट्रोपोस्फेरिक ओजोन का स्तर बढ़ रहा है क्योंकि एक गर्म जलवायु इसके गठन के लिए अनुकूलतम परिस्थितियों का निर्माण कर रही है।

अगाथोक्लियस कहते हैं कि ओजोन प्रदूषण फूलों के समय और अवधि के आधार पर परागणकों को प्रभावित कर सकता है। फूलों को परागणकों के द्वारा परागित करने की गतिविधि का समय बहुत कम होता है। उन्होंने कहा प्रदूषण फूलों का रंग भी बदल सकता है, परागणकों को देखने के संकेतों को बाधित कर सकता है। ओजोन प्रदूषण भी पराग के साथ सीधे प्रतिक्रिया कर सकता है, इसकी गुणवत्ता कम कर सकता है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से पराग की मात्रा को भी बदल सकता है।

ओजोन प्रदूषण पौधों की पत्तियों को तेजी से नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे विविध रंगों और आकृतियों के निशान और पत्तियों का रंग फीका पड़ सकता है। क्षतिग्रस्त होने पर, पत्तियों को प्रकाश संश्लेषण में कठिनाई होती है तथा इसमें समय लगता है। पौधे को ऊर्जा प्रदान करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है।

पौधे अपने स्वयं के कार्बनिक वाष्पशील यौगिकों का उत्सर्जन करते हैं जो रासायनिक संकेतों के रूप में कार्य करते हैं, जो एक पौधे से दूसरे पौधे तक संचार की सुविधा प्रदान करते हैं और परागणकों को प्रतीक्षारत फूल की उपस्थिति के लिए सचेत करते हैं। ओजोन प्रदूषण इन रासायनिक चीजों को प्रभावित करता हुआ प्रतीत होता है।

अगाथोक्लियस कहते हैं कि बनावट में बदलाव का परागणकों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि वे पौधों और उनके गुणों को उसी तरह से नहीं पहचान सकते हैं जैसे वे अतीत में पहचानते आए थे।

पौधे के ऊतकों के भीतर, ओजोन प्रदूषण कीड़ों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा को कम कर सकता है। उन रसायनों की प्रचुरता को बढ़ा सकता है जो उन्हें निगलने वाले कीड़ों के लिए हानिकारक हैं और पौधों के ऊतकों की पूरी गुणवत्ता को कम कर सकता है। यह शोध ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।