प्रदूषण

गैस चैंबर में तब्दील हुई दिल्ली, हवा न चलने से बिगड़े हालात

Raju Sajwan

दिवाली के बाद पराली जलने और हवा न चलने के कारण देश की राजधानी दिल्ली आईसीयू (गहन चिकित्सा केंद्र) की स्थिति में पहुंच गई है। 29 अक्टूबर को शाम छह बजे दिल्ली में पीएम2.5 इमरजेंसी लेवल पर पहुंच गया।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ऑनलाइन डाटा बताता है कि 29 अक्टूबर शाम 6 बजे तक दिल्ली में हवा की गुणवत्ता अति खराब (सिवियर) स्थिति में हुए लगभग 40 घंटे हो चुके थे और 8 घंटे यही हालत रही तो दिल्ली में इमरजेंसी (स्मॉग अलर्ट) जारी कर देना चाहिए। 28 अक्टूबर को सुबह 3 बजे पीएम2.5 का स्तर 250 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गया था, जो 29 अक्टूबर को शाम 6 बजे तक इससे अधिक ही रहा। प्रदूषण नियंत्रण नियमों के मुताबिक, यदि पीएम2.5 का यही स्तर 48 घंटे तक लगातार रहती है तो इमरजेंसी घोषित की जाती है और पूरे क्षेत्र में निर्माण कार्य, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, कूड़ा जलाने जैसी कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

सीएसई के प्रोग्राम मैनेजर अविकल सोमवंशी ने कहा कि दिल्ली में हालात काफी खराब हो गए हैं। ऐसे में, अगर बारिश आ जाए तो ही हालत ठीक हो सकती है। वह बताते हैं कि दो दिन के दौरान हवा की गति काफी धीमी है, जिसने हालात और खराब कर दिए हैं। सीएसई के सीनियर रिसर्चर विवेक चट्टोपाध्याय का कहना है कि 29 अक्टूबर की शाम को दिल्ली के कुछ इलाकों में 1 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने के कारण ऐसी स्थिति बन गई कि वायु प्रदूषण की वजह से ये इलाके गैस चेंबर में तब्दील हो गए, क्योंकि हवा की गति जितनी कम होगी, वायु प्रदूषकों को वातावरण में फैलने में उतना ही ज्यादा समय लगता है।

उधर, सफर के मुताबिक, पीएम2.5 के स्तर बढने के पीछे 25 फीसदी कारण पराली जलना है, जो 30 अक्टूबर को बढ़कर 29 फीसदी तक हो सकता है। इससे कहा जा सकता है कि केंद्र व राज्य सरकारें पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रही हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 29 अक्टूबर को शाम चार बजे जारी 24 घंटे के औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक दिल्ली में ओवरऑल 400 इंडेक्स वेल्यू रिकॉर्ड किया गया। जबकि गाजियाबाद में सबसे अधिक 446, ग्रेटर नोएडा में 428, नोएडा में 439 रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह हरियाणा के पानीपत में 415, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 424 रिकॉर्ड किया गया। यहां उल्लेखनीय है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 से अधिक होने पर एयर क्वालिटी को सिवियर (अत्याधिक खराब) घोषित किया जाता है। जबकि 300 से 400 के बीच की एयर क्वालिटी को बहुत खराब और 200 से 300 इंडेक्स वेल्यू को खराब माना जाता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और आईआईटीएम,पुणे के संयुक्त एजेंसी सफर के मुताबिक, 27 अक्टूबर यानी दिवाली की रात को पराली जलाने की घटनाएं नहीं हुई, लेकिन 28 व 29 को पराली जलाने की घटनाएं अचानक बढ़ गई हैं। सफर के मुताबिक पिछले 24 घंटे के दौरान पंजाब-हरियाणा में पराली जलने की घटनाओं में 1654 से बढ़कर 2577 तक पहुंच गई।

दो दिन और हो सकती है दिक्कत

सफर का अनुमान है कि अगले दो दिन यानी 30 व 31 अक्टूबर को भी हवा की गुणवत्ता सबसे खराब रहने वाली है। हालांकि एक नवंबर में थोड़ा बहुत सुधार हो सकता है, क्योंकि एक नवंबर को हवा की गति बढ़ सकती है। वहीं, पराली जलने की घटनाएं बढ़ने से दो दिन तक दिक्कत बनी रह सकती है।