प्रदूषण

सर्दियों में फिर बढ़ा प्रदूषण का स्तर, दिल्ली-एनसीआर अव्वल रहे: सीएसई

DTE Staff

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने 24 फरवरी को जारी अपनी एक आकलन रिपोर्ट में कहा है कि बीते सर्दी के मौसम में बड़े शहरों के मुकाबले छोटे शहरों में प्रदूषण की मात्रा अधिक रही। वहीं, दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले उत्तर भारत में सबसे अधिक प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया, इसमें दिल्ली-एनसीआर की भूमिका अधिक रही। सर्दियों का प्रदूषण अकेला ऐसा मानक है, जो यह बताता कि देश के सभी क्षेत्रों में क्या कुछ गलत हो रहा है। 

सीएसई की रिसर्च एवं एडवोकेसी इंचार्ज व कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि सर्दियों में ठंड और शांत मौसम के चलते प्रदूषण बढ़ना एक खास चुनौती होता है। बीते साल जब लॉकडाउन के कारण गर्मी और मानसून सीजन में प्रदूषण कम रहा, बावजूद इसके सर्दी के वर्तमान सीजन में 2019 के सीजन के मुकाबले पीएम2.5 का स्तर अधिक रहा। वाहन, उद्योग, बिजली घर और कूड़ा जलने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। 

सीएसई के मुताबिक दक्षिण भारत के शहरों के मुकाबले उत्तर भारत के शहरों में प्रदूषण अधिक पाया गया। औसत आधार पर देखा जाए तो उत्तर भारत के शहरों में दक्षिण भारत के शहरों के मुकाबले तीन गुणा अधिक प्रदूषण पाया गया। 

इन सर्दियों में जिन 99 शहरों का आकलन किया गया, उनमें से 43 शहरों में पीएम2.5 का स्तर खराब रहा। इसकी तुलना पिछली सर्दियों (अक्टूबर से जनवरी) से की गई है। इन शहरों में ज्यादातर टियर-वन या छोटे शहर शामिल हैं। इनमें गुरुग्राम, लखनऊ, जयपुर, विशाखापट्टनम, आगरा, नवी मुंबई और जोधपुर शामिल हैं। बड़े शहरों में केवल कोलकाता शामिल है।

 पिछली सर्दियों के मुकाबले इन सर्दियों में केवल 19 शहर ऐसे पाए गए, जहां की हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इनमें चैन्नई भी शामिल हैं। जबकि 37 शहरों में हवा की गुणवत्ता में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया।

सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 2020-21 के सर्दी के सीजन में औसत पीएम2.5 218 माइक्रोग्राम घन मीटर रहा, जो 2019-20 के मुकाबले 6 फीसदी था। हालांकि यहां सीजन का पीक स्तर 529 माइक्रोग्राम घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। जबकि बुलंदशहर में 195 माइक्रोग्राम घन मीटर रहा, जो पिछली सर्दियों के मुकाबले 32 फीसदी अधिक था।

हरियाणा के फतेहाबाद में भी पिछली सर्दियों के मुकाबले वर्तमान सर्दियों में प्रदूषण का औसत स्तर 228 फीसदी अधिक रहा, जबकि  धारूहे्ड़ा में 44 फीसदी, उत्तर प्रदेश के आगरा में 87 फीसदी, राजस्थान के भिवाड़ी में 31 फीसदी, उत्तर प्रदेश के मेरठ में 16 फीसदी, जींद हरियाणा में 18 फीसदी, हिसार में 16 फीसदी, रोहतक में 28 फीसदी, बहादुरगढ़ में 49 फीसदी, मानेसर में 18 फीसदी, गुरुग्राम में 9 फीसदी, सोनीपत में 69 फीसदी, यमुनानगर में 17 फीसदी, कैथल में 43 फीसदी, पंचकूला में 37 फीसदी, पंजाब के भटिंडा में 17 फीसदी, राजस्थान के अलवर में 29 फीसदी अधिक रिकॉर्ड किया गया। 

मध्य और पश्चिमी भारत के 32 शहरों में प्रदूषण का विश्लेषण किया गया। पिछली सर्दियों के मुकाबले इस सर्दी में पीएम2.5 के औसत स्तर में सबसे अधिक 122 फीसदी सागर में रिकॉर्ड किया गया। हालांकि यहां पीएम2.5 का स्तर 53 माइक्रोग्राम घन मीटर था। जबकि उत्तर भारत के ज्यादातर शहरों का स्तर इससे अधिक था। सीएसई के मुताबिक ग्वालियर का औसत पीएम2.5 का स्तर 128, मध्यप्रदेश का 126, कटनी का 106, वापी का 91, राजस्थान के जोधपुर का 90 और नवी मुंबई का 89 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। 

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