प्रदूषण

कोई भी जगह नहीं बची जहां माइक्रोप्लास्टिक न मिला हो: अध्ययन

Dayanidhi

वायुमंडलीय माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के उभरते खतरे ने उन क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया है जिन्हें पहले प्लास्टिक की पहुंच से बाहर माना जाता था। दुनिया भर में इस समस्या की सीमा को समझने के लिए वायुमंडलीय माइक्रोप्लास्टिक की सीमा की जांच करना महत्वपूर्ण है।

अब एक नए अध्ययन में पता चला है कि दुनिया भर में माउंट एवरेस्ट से लेकर मारियाना ट्रेंच तक हर जगह माइक्रोप्लास्टिक फैला हुआ है। यहां तक कि पृथ्वी के निचले स्तरों से लेकर ऊंचे वायुमंडल तक जहां हवा की गति उन्हें बहुत दूरी तक ले जाती है।

माइक्रोप्लास्टिक में महीन कण शामिल होते हैं, जिनकी माप 5 मिलीमीटर से कम होती है। यह माइक्रोप्लास्टिक के कण पैकेजिंग, कपड़ों, वाहनों और अन्य स्रोतों से आते हैं और जमीन पर, पानी में और हवा में मिल जाते हैं।

फ्रांसीसी राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान सीएनआरएस के वैज्ञानिकों ने स्थानीय जलवायु और पर्यावरण द्वारा उस पर सीमित प्रभाव का पता लगाया। इसके लिए फ्रांसीसी पिरेनीज में पिक डु मिडी वेधशाला जिसे एक स्वच्छ स्टेशन भी माना जाता है, जोकि समुद्र तल से 2,877 मीटर ऊपर है, वहां से हवा के नमूने लिए गए।

यहां बताते चलें कि पिरेनीज पर्वत श्रृंखला यूरोप के बाकी हिस्सों से इबेरियन प्रायद्वीप को अलग करती है, जो स्पेन और फ्रांस के बीच 430 किमी से अधिक दूरी तक फैली हुई है और इसकी ऊंचाई में 3,400 मीटर से अधिक है।

वहां उन्होंने जून और अक्टूबर 2017 के बीच प्रति सप्ताह 10,000 क्यूबिक मीटर हवा का परीक्षण किया और सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया। मौसम के आंकड़ों का उपयोग करते हुए उन्होंने प्रत्येक नमूने से पहले विभिन्न वायु द्रव्यमान के प्रक्षेपवक्र की गणना की और उत्तरी अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका के रूप में यहां तक पहुंचने वाले दूर के स्रोतों का पता लगाया।

कनाडा के डलहौजी विश्वविद्यालय के प्रमुख अध्ययनकर्ता स्टीव एलन ने बताया कि कण इतनी दूरी तक फैल सकते हैं, क्योंकि वे बहुत अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सक्षम थे। उन्होंने कहा एक बार जब यह निचले स्तरों से टकराते हैं, तो यह एक सबसे तेज राजमार्ग की तरह व्यवहार करते हैं।

शोध इस बात की भी तस्दीक करता है कि माइक्रोप्लास्टिक के स्रोतों में भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर भी शामिल है। एलन ने कहा कि समुद्री स्रोत सबसे दिलचस्प है। उन्होंने कहा प्लास्टिक समुद्र को हवा में इतना ऊंचा छोड़ा जा रहा है, जो यह भी दर्शाता है कि इस प्लास्टिक के लिए कोई अंतिम जगह नहीं है जहां यह नहीं है, यह बस एक अनिश्चित चक्र में इधर-उधर घूम रहा है।

जबकि पिक डू मिडी के नमूनों में मिले माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा नहीं करती है, सह-अध्ययनकर्ता डीओनी एलन ने गौर किया कि कण इतने छोटे हैं कि मनुष्य सांस के द्वारा शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा एक ऐसे क्षेत्र में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति जिसे संरक्षित माना जाता है उन्हें प्रदूषण के स्रोतों से दूर रखना चाहिए, इन पर रोक लगाना जरूरी है।

एलन ने कहा कि इससे यह भी पता चलता है कि प्लास्टिक को दूसरे देशों में भेजकर उसका निपटान करना गलत रणनीति है। उन्होंने कहा क्योंकि यह आपके पास वापस आने वाला है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशन मैं प्रकाशित हुआ है