प्रदूषण

हिमाचल में दवा उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल पर एनजीटी सख्त

केंद्र और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिए साथ मिलकर काम करने के निर्देश

Rohit Prashar

हिमाचल प्रदेश के औघोगिक क्षेत्र बद्दी में दवा के अपशिष्ट जल को सिरसा और सतलुज में बहाकर नदियों को प्रदूषित करने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कंपनियों को सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) और ईटीपी में सुधार करने को लेकर कड़े निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को बद्दी क्षेत्र में सीईटीपी को और सुदृढ करने के निर्देश दिए ताकि उद्योगों खासकर दवा कंपनियों से निकलने वाले अपशिष्ट जल से सिरसा और सतलुज नदी में होने वाले जल प्रदूषण से होने वाले नुकसान को बचाया जा सके। इससे पहले एनजीटी ने इस मामले में जांच के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्टेट नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय जिला उपायुक्त को लेकर एक ज्वांइट इन्सपेक्शन के लिए कमेटी का गठन किया था।

इस कमेटी की ओर से एनजीटी के सामने रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन कंपनियों की ओर से तय मात्रा से अधिक अपशिष्ट जल नदी में छोड़ा जा रहा है, उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए आधारभूत ढांचा तैयार होने तक उन्हें बंद करवा दिया गया है। इसके अलावा उनके द्वारा पूर्व में किए गए नियमों की अवहेलना के मामले में उनकी जिम्मेवारी तय करके उनके खिलाफ कार्रवाई करने का काम किया जा रहा है।

इस कमेटी ने 5 तरह की 449 कंपनियों से निकलने वाले अपशिष्ट जल की रिपोर्ट को तैयार किया है। इसमें सबसे पहले खाद्य, कपड़ा और कागज उद्योग, दूसरे स्थान पर साबुन और डिटेर्जेंट, तीसरे पर दवा कंपनियां, चौथे पर डाईंग और पांचवे पर इलेक्टोप्लेटिंग और धातु उद्योग की कंपनियों का विविध मानकों पर डाटा एकत्र कर रिपोर्ट तैयार की है।

इसके अलावा एनजीटी की खंडपीठ ने दवा कंपनियों से निकलने वाले अपशिष्ट जल के निपटारे को लेकर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से जल्द नियम तय किए जाने को लेकर कहा है। एनजीटी ने सीईटीपी को आधुनिक तौर पर अपग्रेड करने के लिए भी स्टेट पीसीबी को निदेर्शित किया है। इसके साथ ही स्टेट पीसीबी को सीईटीपी की हर माह निगरानी और इसका सारा डाटा ऑनलाइन करने को लेकर भी कहा है।

सीपीसीबी की ओर से खंडपीठ को बताया गया आने वाले मानसून सीजन में उद्योग अपशिष्ट पदार्थ नदियों में न छोड़े इसके लिए विशेष निगरानी रखने के साथ समय-समय पर जांच के नमूनों को उठाकर उनका विश्लेषण करती रहती है। वहीं सीपीसीबी और स्टेट पीसीबी ने भी अपशिष्ट जल पर निगरानी और उनकी जांच को लेकर नियमावली तैयार की है, जिनके आधार पर नमूनों की जांच की जा रही है।

एनजीटी ने स्टेट पीसीबी को ईटीपी और सीईटीपी को आधुनिक करने के साथ क्षेत्र में हवा और नदी, नालों, झीलों और ग्राउंड वाटर की गुणवत्ता को समय-समय पर जांचने के निर्देश दिए हैं।