प्रदूषण

अवैध खनन मामले में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन से मांगा जवाब

एनजीटी ने कहा है कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना खनिज निकालने की अनुमति कैसे दी जा सकती है

Susan Chacko, Dayanidhi

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के जस्टिस सोनम फिंटसो वांग्दी की पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि ओडिशा के खोरधा में अवैध खदानों को चलाने वाले व्यक्ति के बजाय ट्रकों के ड्राइवरों से पर्यावरणीय मुआवजा कैसे वसूला जा रहा है। इसके अलावा पीठ ने यह भी कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना तथा पर्यावरण मंजूरी (ईसी) प्राप्त किए बिना खनिज निकालने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।

आदेश में कहा गया है कि सरकार द्वारा की गई कवायद गैरकानूनी अपराधियों को बचाने के लिए ट्रिब्यूनल को चकमा देने का प्रयास है और इस मामले में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) मूकदर्शक बना हुआ है। एनजीटी ने संयुक्त समिति को निर्देश दिया कि वह अवैध खनन करने वाले व्यक्तियों की पहचान कर मामले की जांच रिपोर्ट के साथ ही श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को क्षेत्र में खनन करने की अनुमति देते समय अनिवार्य रूप से पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं, इसकी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने को कहा गया।

खनन और अन्य पर्यावरणीय कानूनों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन किए बिना रेट होल माइनिंग विधि द्वारा लेटराइट पत्थर के अवैध खनन के बारे में बिदु भूषण हरिचंदन द्वारा एनजीटी में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि ओडिशा के खोरधा जिले में कम से कम 40 अलग-अलग साइटें हैं, जहां इस तरह का खनन चल रहा है, जिसमें 500 एकड़ जमीन शामिल है, जिसमें नजीगढ़ तपंग पंचायत में आने वाले तपंगा, औरा और झिन्कीझारी जैसे गांव शामिल हैं।

जगन्नाथ सागर झील का संरक्षण

जगन्नाथ सागर झील के कायाकल्प के लिए उड़ीसा के कोरापुट में स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने वर्ष 2020-21 में  कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) फंड के तहत 100 लाख रुपये की राशि मंजूर की थी। कोरापुट के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता ने अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों की स्थापना के लिए उचित स्थान का चयन किया और इस योजना की तैयारी के लिए 4241.43 लाख रुपये की लागत का अनुमान लगाया है।    

ये जगन्नाथ सागर के संरक्षण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष कोरापुट जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में उल्लिखित कुछ कदम थे।

अतिक्रमण हटाने के संबंध में जेयपोरे के तहसीलदार ने उड़ीसा में भूमि अतिक्रमण निरोधक अधिनियम, 1972 (ओपीएलई अधिनियम) के तहत 54 मामलों की शुरुआत की है। अतिक्रमण करने वालों ने जगन्नाथ सागर के चारों ओर की भूमि पर कब्जा कर लिया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जगन्नाथ सागर के निराकरण के लिए जिला प्रशासन ने जंगली घास, खरपतवार काटने वाले को काम पर रखने पर सहमति व्यक्त की थी। भुवनेश्वर के चिलिका विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अपनी तकनीकी टीम नियुक्त करने का अनुरोध किया था, ताकि यह टीम जेयपोरे, जगन्नाथ सागर का दौरा कर जंगली घास को जड़ से हटाने के लिए पूर्ण प्रमाण के साथ एक संभावित रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

हालांकि भुवनेश्वर के चिलिका विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा है कि पर्याप्त तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण तकनीकी टीम को जेयपोरे भेजना संभव नहीं था। इसलिए, उन्होंने अनुरोध किया कि खरपतवार से घिरे जगन्नाथ सागर के क्षेत्र के परिमाप के बारे में उन्हें जानकारी दी जाए, ताकि वे अनुमान तैयार कर सकें।

जेयपोरे नगर पालिका के कार्यपालक पदाधिकारी जगन्नाथ सागर का दौरा करेंगे। जगन्नाथ सागर के साथ-साथ खरपतवार से घिरे क्षेत्र का सही आयाम प्रस्तुत किया जा सके, ताकि आगे की कार्रवाई करने के लिए वही जानकारी चिलिका विकास प्राधिकरण को दी जा सके।

यह रिपोर्ट 6 अक्टूबर, 2020 को जनता के लिए उपलब्ध कराई गई थी।

झारखंड और पश्चिम बंगाल में पत्थर खनन

एनजीटी ने झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य मे चल रहे अवैध पत्थर खनन के संचालकों का पर्यावरण क्षतिपूर्ति का आकलन करने और वसूली करने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दो महीने का समय दिया है।

एनजीटी ने 1 जुलाई को अपने आदेश में झारखंड के अवैध पत्थर खदान संचालकों से भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) को पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली करने का निर्देश दिया था। पश्चिम बंगाल को दिए गए आदेश में कहा गया था कि वह आईसीएफआरई के द्वारा किए गए आकलन की प्रक्रिया को अपना कर नुकसान और पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली करे।

हालांकि दोनों राज्यों ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए और समय सीमा की मांग की है।

सावनपुरा तोरण में खनन

एनजीटी ने 5 अक्टूबर को सीकर जिले के गांव सावनपुरा तोरण में अवैध खनन के मामले की जांच करने के लिए राजस्थान के सीकर जिले के कलेक्टर, क्षेत्रीय अधिकारी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मिलाकर एक संयुक्त समिति बनाने का निर्देश दिया।

 समिति को जगह का दौरा कर चार सप्ताह के भीतर एक तथ्यात्मक और कार्रवाई की गई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।

ध्वाजबंद मंदिर के महंत और अन्य पुजारियों द्वारा सदियों पुराने मंदिर और जल निकाय के पास अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी। जहां खनिजों की खुदाई नियमानुसार मंजूरी और अन्य प्रासंगिक सहमति के बिना की जा रही थी।

याचिका में कहा गया है कि राज्य के अधिकारियों की खनन करने वालों के साथ मिलीभगत है। खनन करने वालों को ग्राम भोजमेर, तहसील नीम-का-थाना के पास 4.29 हेक्टेयर भूमि पर खनिज मुख्य रूप से क्वार्ट्ज और फेल्डस्पार के लिए खनन पट्टे आवंटित किए गए थे।