नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि कार्बन ब्लैक का उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए एक स्थाई समाधान होना चाहिए। कार्बन ब्लैक का निपटान अक्सर उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन (एचडीपीई) और पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) से बने जंबो बैग में किया जाता है। अदालत ने 10 नवंबर, 2023 को इस संबंध में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इस रिपोर्ट में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन से जुड़े मौजूदा नियमों, ऐसे उद्योगों पर लगाई जाने वाली सामान्य शर्तों और इन नियमों का पालन करने की उनकी जिम्मेदारी की रूपरेखा होनी चाहिए।
गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी के समक्ष दायर आवेदन में अपोलो टायर्स लिमिटेड ने कानूनी तौर पर एचडीपीई पीपी/कार्बन जंबो बैग के अनुचित या अवैध निपटान को रोकने का अनुरोध किया था। साथ ही इस याचिका में अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
बता दें कि कार्बन ब्लैक टायरों के निर्माण के प्रमुख घटकों में से एक है। इसका उपयोग अपोलो टायर्स द्वारा भी किया जाता है। हालांकि प्राप्त जानकारी के मुताबिक एक बार उपयोग करने के बाद, अपोलो टायर्स द्वारा कार्बन ब्लैक वाले बैग या तो रिसाइक्लर या किसी अन्य एजेंसी के माध्यम से बाहर भेजे जाते हैं।
इस मामले में अपोलो टायर्स लिमिटेड ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कांचीपुरम जिले में उनका संयंत्र प्रति माह 5,000 मीट्रिक टन की खपत करता है, जिससे मासिक रूप से करीब 5,000 खाली बैग पैदा होते हैं। इन बैगों का वजन हर महीने करीब 21 मीट्रिक टन होता है।
इन बैगों को विशेष रूप से कार्बन ब्लैक के परिवहन के लिए डिजाइन किया गया है, जिनसे परिवहन के दौरान रिसाव नहीं होता है। वहीं वैकल्पिक रूप में, कंपनी ने आंध्र प्रदेश में अपने नए संयंत्र में कार्बन टैंकर शुरू करके जंबो बैग के उपयोग को कम करने के प्रयासों का भी उल्लेख आवेदन में किया है। वे वर्तमान में इसे अन्य संयंत्रों में भी विस्तारित करने की सम्भावना तलाश रहे हैं।
आवेदक का मुख्य आरोप है कि इन थैलियों को उपयोग के बाद बिना साफ किए खुले बाजार में भेज दिया जाता है, जिसमें कार्बन ब्लैक की मात्रा होती है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
इस संबंध में, अपोलो टायर्स लिमिटेड को यह बताने का निर्देश दिया गया है कि वे इस्तेमाल किए गए बैग निर्माता को क्यों नहीं लौटा सकते, जैसा कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) में उल्लिखित है। इसके अतिरिक्त, उनसे किसी अन्य उपयुक्त विकल्प का सुझाव देने को कोर्ट ने कहा है।
इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर, 2023 को होगी।
उज्जैन के गोवर्धन सागर में दूषित पानी छोड़े जाने का मामला, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने डेढ़ करोड़ का लगाया जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वो नियमों को ध्यान में रखकर पर्यावरणीय मुआवजे का आंकलन करे। मामला साफ किए बिना उज्जैन के गोवर्धन सागर में छोड़े जा रहे दूषित पानी और अतिक्रमण से जुड़ा है। एनजीटी ने नौ नवंबर 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि इस बाबत कोर्ट में सौंपी जाने वाली रिपोर्ट में अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाइयों का भी विवरण शामिल होना चाहिए।
उज्जैन के एडीएम ने अदालत को अतिक्रमण हटाने की स्थिति और प्रगति से भी अवगत कराया है। वहीं इसमें छोड़े जा रहे दूषित पानी के संबंध में अदालत को सूचित किया गया है कि मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसके लिए मुआवजे की राशि डेढ़ करोड़ तय की है।