प्रदूषण

एनजीटी ने पंजाब सरकार पर लगाया 10 अरब रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना

ट्रिब्यूनल ने पंजाब के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है

Vivek Mishra

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आदेशों के बावजूद ठोस और तरल कचरा प्रबंधन में विफल रहे पंजाब सरकार पर 10 अरब रुपए का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि पंजाब सरकार कुल 10,261,908,000 रुपए का पर्यावरणीय जुर्माना एक महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा करे। एनजीटी ने इसके साथ ही शीर्ष अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

एनजीटी ने पंजाब सरकार पर 10 अरब रुपए से अधिक इस जुर्माने का हिसाब बीते छह महीने के पर्यावरणीय जुर्माने से लगाया है।

एनजीटी ने कहा कि इस मामले में बेहद उदार रवैया अपनाते हुए यदि हम मौजूदा लीगेसी वेस्ट 53.87 लाख टन (5387000000 केजी) को एक पैसा प्रति किलो प्रतिदिन के हिसाब से बीते छह माह (180 दिन) के लिए जोड़ते हैं तो यह 5387000000*180**0.01 रुपए = 9,696,600,000 होगा।

वहीं, ट्रिब्यूनल ने कहा कि रिकॉर्ड के मुताबिक सीवेज उपचार में अंतर जून, 2024 में 314.06 एमएलडी (314060000 लीटर) है। ऐसे में गैरउपचारित सीवेज को भी एक पैसा प्रति प्रति दिन के हिसाब से 180 दिन या छह महीने के लिए जोड़ते हैं तो यह 565,308,000 रुपए होगा।

एनजीटी ने कहा कि इस मामले में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016, पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 की धारा 15 लागू होती है। ट्रिब्यूनल ने इसके तहत पंजाब के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और एक्सपर्ट मेंबर ए सेंथिल की पीठ ने 25 जुलाई, 2024 को यह आदेश दिया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर, 2024 को होगी।

एनजीटी ने पर्यावरणीय जुर्माना लगाने के साथ ही नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि ट्रिब्यूनल के पूर्व आदेशों का पालन करने के लिए क्यों न शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला चलाया जाए?

एनजीटी ने इसी मामले में 22, सितंबर, 2022 को पंजाब सरकार पर 2080 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाते हुए कहा था कि वह एक रिंग फेंस एकाउंट में यह राशि जमा करे।

हालांकि, ट्रिब्यूनल ने पाया कि अब तक न ही कोई रिंग फेंस एकाउंट बनाया गया और न ही जुर्माने की राशि जमा की गई। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि "यह स्पष्ट है कि 2080 करोड़ रुपए के लिए रिंग फेंस एकाउंट बनाने के लिए 22 सितंबर, 2022 को दिए गए ट्रिब्यूनल के आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया और उसकी अवज्ञा की गई। यह एनजीटी एक्ट, 2010 की धारा 26 के तहत उल्लंघन है।"

एनजीटी में यह मामला अलमित्रा एच पटेल बनाम भारत सरकार के नाम से सितंबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जरिए ट्रांसफर किया गया था। 8 अप्रैल 2016 को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स अधिसूचित होने के बाद 12 दिसंबर, 2016 को इस मामले को एनजीटी ने विस्तृत आदेश देकर निस्तारित कर दिया था। हालांकि, बाद में आदेशों के उल्लंघन और अनुपालन को लेकर सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों का यह मामला ट्रिब्यूनल में सुना जा रहा है।

इसी मामले में पंजाब के मुख्य सचिव ने 7 मार्च, 2019 को ट्रिब्यूनल में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया था। इसके अलावा 7 मार्च को ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद एनजीटी ने पाया था कि न सिर्फ बड़े पैमाने पर उल्लंघन किया गया है बल्कि कई काम अधूरे हैं। ट्रिब्यूनल ने यह भी गौर किया था कि राज्य क्षति की रिकवरी करने के मुद्दे पर भी विफल है।

2020 में सीपीसीबी की ओर से पेश की गई एक और रिपोर्ट में भी ट्रिब्यूनल ने राज्यों की ओर से आदेशों के अनुपालन की स्थिति को असंतोषजनक पाया था।

इसके बाद 10 जनवरी, 2020 को भी पंजाब के मुख्य सचिव ट्रिब्यूनल में पेश हुए और उनकी तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में भी ट्रिब्यूनल ने पैदा होने वाले सॉलिड और लिक्विड वेस्ट और उसके उपचार में भारी अंतर पाया था।

10 जनवरी, 2020 को ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि कई सांविधिक टाइमलाइन खत्म हो चुकी हैं और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट व ट्रिब्यूनल के आदेशों का अनुपालन नहीं किया गया। इसी आदेश में ट्रिब्यूनल ने राज्य से आगे खुद निगरानी करने और जुर्माने की राशि का आकलन करने का आदेश दिया था। हालांकि, इस पर भी पंजाब सरकार ने काम नहीं किया।

22 फरवरी, 2021 को ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव स्तर पर आगे की निगरानी का आदेश दिया। इसके बाद भी चीजों में सुधार नहीं हुआ। 25 जुलाई, 2022 को पंजाब के मुख्य सचिव ट्रिब्यूनल में पेश हुए लेकिन कोई जवाब नहीं दाखिल किया गया। ट्रिब्यूनल ने गौर किया कि आदेशों के तहत सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं किया जा रहा है और वेस्ट उपचार के आंकड़ों में भारी अंतर है।

22 सितंबर, 2022 को एनजीटी ने 2080 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।

16 मई और 20 नवंबर, 2023 को पंजाब सरकार की ओर से सॉडिव वेस्ट मैनेजमेंट की रिपोर्ट दाखिल की गई, हालांकि छह महीने की प्रगति रिपोर्ट नहीं दाखिल की गई। इसके बाद 23 नवंबर 2023 को एनजीटी ने एक बार फिर पंजाब के मुख्य सचिव को छह महीनों के भीतर प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

हालांकि, 2022 से 2024 में स्थिति और खराब होने के कारण अब एनजीटी ने बीते छह महीनों का भारी-भरकम पर्यावरणीय जुर्माना पंजाब सरकार पर लगाया है।