प्रदूषण

चिंताजनक हालात, 11 फीसदी समुद्री जीवों के शरीर में पाया गया प्लास्टिक

Dayanidhi

समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण चिंताजनक स्तर पर पहुंच रहा है और यह आगे भी बढ़ता रहेगा। भले ही इस तरह के कचरे को दुनिया के महासागरों तक पहुंचने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम ही क्यों न उठाए जाएं।

समुद्री प्रजातियां, जैव विविधता और पारिस्थितिकी प्रणालियों पर महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव नामक अध्ययन प्रकाशित हुआ है। सह-अध्ययनकर्ता और जीव विज्ञानी मेलानी बर्गमैन ने कहा हमने प्लास्टिक को समुद्र की सतह पर और आर्कटिक समुद्री बर्फ में सबसे गहरी समुद्री खाइयों में देखा है। अध्ययन के मुताबिक अब तक उत्पादित सभी प्लास्टिक का लगभग 75 फीसदी बेकार हो गया है। 

अध्ययन में कहा गया है कि प्लास्टिक उत्पादन, उपयोग और निपटान कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बजट का 10 से 20 फीसदी हो सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि महासागरीय प्लास्टिक का 80 फीसदी भूमि आधारित स्रोतों से आया है।

नदी के डेल्टा में 52 फीसदी प्लास्टिक प्रदूषण नदियों द्वारा यहां तक पहुंचता है। अध्ययन के मुताबिक समुद्री बर्फ में प्लास्टिक का समावेश ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है।

समुद्री जीवों के माइक्रोप्लास्टिक के सेवन से आंतों में रुकावट या घाव बन सकते है और उनके खाने की मात्रा भी कम हो रही  है। प्लास्टिक के कारण  हजारों स्ट्रॉबेरी हर्मिट केकड़े कंटेनरों में फंस जाते हैं और हर साल हेंडरसन द्वीप पर मर जाते हैं। अध्ययन के मुताबिक 6,561 जांचे गए जलीय जीवों में से 11 फीसदी ने समुद्री प्लास्टिक के मलबे को निगल लिया था।

समुद्री खाद्य वेब में पॉलीक्लोराइनेटेड बाइफिनाइल (पीसीबी) की बढ़ती मात्रा एक स्पष्ट चेतावनी है। लगातार कार्बनिक प्रदूषकों का निरंतर उपयोग समुद्री जीवन को खतरे में डालता है। जबकि प्लास्टिक से निकलने वाले विभिन्न रसायन पहले ही जलीय जानवरों के लिए जहरीला है।

कुछ क्षेत्रों - जैसे भूमध्यसागरीय, पूर्वी चीन और पीले समुद्र में पहले से ही प्लास्टिक खतरनाक स्तर तक बढ़ गया हैं। जबकि अन्य भाग भविष्य में तेजी से प्रदूषित होने के खतरे में हैं।

अध्ययनकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि समुद्र में लगभग हर प्रजाति प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावित हुई है और यह महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र जैसे कोरल रीफ और मैंग्रोव को नुकसान पहुंचा रहा है।  

जैसे-जैसे प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटता जाता है, यह समुद्री खाद्य श्रृंखला में भी प्रवेश करता है, व्हेल से लेकर कछुओं, छोटे प्लवक तक हर जीव द्वारा निगला जा रहा है।

बर्गमैन ने कहा उस प्लास्टिक को फिर से पानी से बाहर निकालना लगभग असंभव है, इसलिए नीति निर्माताओं को इसे पहले स्थान पर महासागरों में प्रवेश करने से रोकने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कुछ अध्ययनों से पता चला है कि अगर आज भी ऐसा होता है, तो समुद्री माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा दशकों तक बढ़ती रहेगी।

मैकलियोड ने कहा कि दुनिया भर में  प्लास्टिक से पड़ने वाले बुरे प्रभावों पर तत्काल उपाय करने और लगाम लगाने की आवश्यकता है।

वर्ल्ड वाइड फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के हाइक वेस्पर ने कहा कि जहां उपभोक्ता अपने व्यवहार में बदलाव करके प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं। वहीं सरकारों को इस समस्या से निपटने के लिए कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा हमें प्लास्टिक पर रोक लगाने की एक अच्छी नीतिगत रूपरेखा की आवश्यकता है, यह एक वैश्विक समस्या है और इसे वैश्विक समाधान की आवश्यकता है।